एक प्राधिकारी द्वारा यौन उत्पीड़न

नीचे दी गई सूची के लोगों से, बच्चों के प्रति किये गये यौन अपराधों के लिये, कानून के तहत, काफी सख्ती से निपटा जाता है।

जब ये लोग, ‘यौन आक्रमण’ या ‘प्रच्छेदिक यौन आक्रमण’ जैसे अपराध करते हैं, तो उन्हें उसी अपराध करने के लिए बड़ी सजा दी जाएगी। तब ऐसे लोगों द्वारा किये अपराधों को क्रमशः, ‘संगीन यौन आक्रमण’ और ‘संगीण प्रच्छेदिक यौन आक्रमण’ के रूप में जाना जाता है।

इस सूची में शामिल किये गये लोग हैं:

  • कोई भी व्यक्ति जो सरकारी कर्मचारी है और जिसके पास सरकार की संस्थागत प्रणाली के अंदर अपने पद के कारण अधिकार है। उदाहरण: एक पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी पर तैनात।
  • कोई भी व्यक्ति जो अपने विश्वास या अधिकार के पद के चलते बच्चे से बात-चीत करता हो। उदाहरण: एक स्कूल का शिक्षक या परिवार का एक सदस्य।
  • वे लोग जो अधिक भयानक प्रकृति के यौन आक्रमण करते हैं उन्हें ऊँचे दर्जे की सजा दी जाती हैं। उदाहरण: एक बच्चे का सामूहिक बलात्कार।
  • आवर्ती (रिपीट) दोषी का उदाहरण: वह जिसे बाल यौन उत्पीड़न के लिए पहले भी अपराधी ठहराया गया है।

इस सूची के तहत कौन आता है यह देखने के लिए कृपया अधिनियम की धारा 5 और धारा 9 को देखें।

किसी भी शैक्षणिक, धार्मिक या चिकित्सा संस्थान के शिक्षक, चिकित्सा पेशेवर, देखभाल करने वाले, कर्मचारी और प्रबंधकों को, उनके अधिकार का दुरुपयोग करने के लिये, और बाल यौन उत्पीड़न करने के लिए दंडित किया जा सकता है।

इस कानून के तहत किसी ऐसे डॉक्टर को दंडित नहीं किया जायेगा जो बच्चे के माता-पिता की अनुमति लेकर बच्चे की चिकित्सीय परीक्षण कर रहा हो। लेकिन, अगर यह सिद्ध किया जाता है कि परीक्षण करते समय डॉक्टर ने यौन उत्पीड़न किया है, तो उसे कानून के तहत दंडित किया जाएगा।

इस तरह के एक अपराध की सजा, जुर्माने के साथ साथ, 10 वर्ष के कठोर कारावास से लेकर आजीवन कठोर कारावास तक की हो सकती है।

बाल यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करना

अगर आपको पता चलता है कि कहीं बाल यौन दुराचार हो रहा है, तो आपको पुलिस को इसकी रिपोर्ट करनी होगी, जो आपके शिकायत को लिखित रूप में दर्ज करेगा। यदि आप जान कर भी रिपोर्ट नहीं करते हैं, तो आपको जुर्माने के साथ 6 महीने के जेल की सजा दी जा सकती है। यदि आप किसी भी घटना से अवगत हैं और आप बहुत हद तक निश्चित हैं कि कोई बच्चा किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न का शिकार है, तो कृपया बच्चे की मदद करने के लिए किसी अधिकारी से संपर्क करने के लिए उल्लेखित तरीकों का प्रयोग करें। इसके लिये अधिकारी तक पहुंचने के कई तरीके हैं, इसलिए आप के लिये जो सबसे ज्यादा उपयुक्त तरीका हो उसका उपयोग करें।

आप किसी भी तरीके से शिकायत कर सकते हैं:

ऑनलाइन:

सरकार की एक ऑनलाइन शिकायत प्रणाली है जहां आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आपकी शिकायत ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स) को दायर की जाएगी।

फोन के जरिए:

आप निम्नलिखित टेलीफोन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं: -‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’-9868235077 -‘चाइल्डलाइन’ (चाइल्डलाइन बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए एक हेल्पलाइन है) -1098

ईमेल के जरियेः

आप pocsoebox-ncpcr@gov.in पर एक ईमेल भेज सकते हैं

पुलिस:

बाल यौन उत्पीड़न की किसी भी घटना के बारे में आपके पास जो भी जानकारी है, उसके बारे में पुलिस से संपर्क करने के लिए 100 नंबर पर कॉल करें।

मोबाइल ऐप्प:

आप POCSO e-box (केवल एंड्रॉयड यूजर्स के लिये) नामक मोबाइल ऐप्प डाउनलोड कर सकते हैं और सीधे इसके माध्यम से उत्पीड़न की रिपोर्ट कर सकते हैं।

पोस्ट / पत्र / ‘मैसेंजर’ के माध्यम से:

आप अपनी शिकायत के साथ ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ को लिख सकते हैं या इस पते पर एक ‘मैसेंजर’ भेज सकते हैं:

'राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग' (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स, एनसीपीसीआर) 
5 वाँ तल, चंद्रलोक बिल्डिंग 36, जनपथ, नई दिल्ली -110001 भारत।

जब आपने शिकायत कर दी तो बच्चे के साथ क्या होगा इसके बारे में आप चिंतित न हों। बच्चे की स्थानीय पुलिस / ‘विशेष किशोर पुलिस’ (स्पेशल जुवेनाइल पुलिस) के द्वारा देखभाल की जाएगी जो ‘बाल कल्याण समिति (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) को सूचित करेगी, जो शिकायत मिलने के बाद, बच्चे और बच्चे के परिवार को कानूनी प्रक्रिया में सहायता करने के लिए एक ‘सहायक व्यक्ति’ (सपोर्ट परसन) की नियुक्ति करेगी।

बच्चे की गवाही का विशेषज्ञों द्वारा रिकॉर्ड करना

सभी साक्षात्कार और जांच के दौरान, उन बच्चों और पक्षों की मदद करने के लिए जो विभिन्न भाषा बोलते हैं, या जिन्हें संचार में कठिनाई होती है, दुभाषिये और विशेषज्ञ मौजूद रहते हैं। ये लोग उन गवाहों की मदद करने के लिए रहते हैं जिनकी भाषा, उस विशिष्ट राज्य के न्यायालय की भाषा से अलग है। प्रत्येक जिले की ‘बाल संरक्षण इकाइयां’ (चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट्स) को, पीड़ितों और उससे संबंधित पक्षों को संचार मुद्दों पर मदद करने के लिए दुभाषियों और अनुवादकों को उपलब्ध करना होगा। यदि दुभाषिया उपलब्ध नहीं है, तो किसी गैर-पेशेवर को दुभाषिये के रूप में उपयोग किया जा सकता है लेकिन पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके हितों का टकराव (कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट) ना हो। उदाहरण के लिए, एक पिता अपने बच्चे के लिए दुभाषिये का रोल अदा नहीं कर सकता।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • दुभाषिये को, परिवार के साथ बहुत अधिक घुलमिल जाने की आवश्यकता नहीं है और न ही उसे उनकी तरफ से बात करनी चाहिए। संप्रेषण की कठिनाइयों में मदद करना ही उसका एकमात्र कार्य होना चाहिए।
  • दुभाषिये का परिवार या उस बच्चे के साथ कोई पुराना संबंध नहीं होना चाहिए।
  • पीड़ित और अन्य पक्षों द्वारा दी गई सभी जानकारी बेहद गोपनीय है और किसी भी तरीके से इसका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।

पुलिस को शिकायत दर्ज करना

जब आप 100 नंबर पर फोन करके या पुलिस स्टेशन पर जाकर पुलिस से संपर्क करते हैं तो निम्नलिखित प्रक्रिया का अनुकरण होगा:

  • वे आपकी शिकायत का एक लिखित रिकॉर्ड बनायेंगे।
  • आपकी रिपोर्ट के आधार पर अगर पुलिस को लगेगा कि बच्चे को तत्काल देखभाल करने और ध्यान देने की जरूरत है, तो वे बच्चे को तुरंत अस्पताल में, या आश्रय गृह (शेल्टर होम) में स्थानांतरित कर देंगेे।

जब आपने नेक नीयत से अपराध की रिपोर्ट की है तो आपको यह चिंता करने की जरूरत नहीं है कि आपको अदालत के चक्कर लगाने पड़ेंगे जब तक कि अपराधी को दोषी नहीं ठहराया जाता।

बाल-अनुकूल न्यायालय प्रक्रिया

इस तरह की मुद्दे की संवेदनशीलता के कारण बाल यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए ‘विशिष्ट न्यायालय’ (स्पेशल कोर्ट्स) स्थापित किए गए हैं। सामान्य न्यायालयों के विपरीत, इन न्यायालयों को ऐसी प्रक्रिया का पालन करना होता है जो यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है ताकि बच्चा सुरक्षित और सहज महसूस कर सके।

यदि कोई बच्चा यौन हमले का शिकार है, तो विशिष्ट न्यायालय को, उसके लिए कुछ बाल-अनुकूल प्रक्रिया सुनिश्चित करना होगा।

यह विशिष्ट न्यायालय:

कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से, परिचित लोगों की उपस्थिति सुनिश्चित करेगा

  • मुकदमें के दौरान बच्चे के परिवार के सदस्य / रिश्तेदार / मित्र या अभिभावक को उसके साथ उपस्थित रहने देगा।

सुनिश्चित करेगा कि कानूनी प्रक्रिया बच्चे के लिए ज्यादा परेशानी वाला नहीं हो।

  • मुकदमे के दौरान बच्चे काे बार-बार विराम देने की अनुमति देगा।
  • गवाही देने के लिए बच्चे को बार-बार अदालत नहीं बुलाया जायेगा।
  • विशेष परिस्थितियों में, बयान देने के लिये बच्चे को न्यायालय में आने की जरूरत नहीं होगी। न्यायालय, बच्चे की जांच करने के लिए उसके घर पर, एक अधिकारी को भेजेगा। बच्चे की गवाही को दर्ज करते समय, न्यायालय एक योग्य अनुवादक, दुभाषिये या विशेष शिक्षक की मदद ले सकता है।
  • कोशिश और सुनिश्चित करेगा कि गवाही 30 दिनों के भीतर दर्ज कर लिया गया है, और मुकदमा एक वर्ष के भीतर पूरा हो जाय।

बच्चे को आरोपित व्यक्ति और जनता से सुरक्षित रक्खे

  • सुनिश्चित करें कि मुकदमे के दौरान बच्चा किसी भी तरह से आरोपी के संपर्क में नहीं आ रहा है। हालांकि, अदालत को यह भी सुनिश्चित करना है कि आरोपी बच्चे के बयान सुन सके। ऐसा एकतरफा दर्पण, पर्दा या वीडियो कॉल की मदद से किया जा सकता है।
  • निजी अदालत में कार्यवाही करें जिससे मीडिया, अदालत में होने वाली घटनाओं के बारे में रिपोर्ट नहीं कर सके।

बच्चे से पूछताछ की प्रक्रिया

कानून ने, आरोपी के वकील के लिये कुछ कर्तव्यों को निर्धारित किया है। इस मुद्दे की संवेदनशीलता और बच्चे की सुरक्षा को हित में रखते हुए, वकील से अदालत की प्रक्रिया को एक खास तरीके से करने की अपेक्षा की जाती है।

  • वकील सीधे बच्चे से सवाल नहीं कर सकता है। वकील, बच्चे को पूछे जाने वाले प्रश्नों को ‘विशेष अदालत’ में पेश करेगा, और तब वे उन प्रश्नों को बच्चे से पूछेंगे।
  • वकील, बच्चे के चरित्र पर यह कहकर लांक्षण नहीं लगा सकता कि बच्चे का अपने माता-पिता के साथ झूठ बोलने का इतिहास है।

झूठी रिपोर्ट या शिकायत करने पर

किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी बच्चे को यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत करना गैरकानूनी है अगर वास्तव में उसने ऐसा नहीं किया है। इस झूठी शिकायत करने की सजा, एक साल का जेल, या जुर्माना या दोनों है। अगर किसी को अपमानित करने के इरादे से झूठी शिकायत या रिपोर्ट की गई है, तो वैसे अपराध के लिये, 6 महीने के जेल, या जुर्माना, या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।

हालांकि, अगर कोई बच्चा एक झूठी शिकायत करता है, तो उसे दंडित नहीं किया जा सकता है।