आप इस कानून के तहत मुआवजे का दावा कैसे कर सकते हैं?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

पीड़ित मुआवजा योजना, के तहत मुआवजे की मांग करने की प्रक्रिया इस प्रकार है:

चरण 1: एफआईआर दर्ज करना 

सर्वाइवर या उनकी ओर से किसी के द्वारा एफआईआर दर्ज करके अनिवार्य रूप से एसिड अटैक अपराध की रिपोर्ट दर्ज करनी होगी।

चरण 2: कानूनी सेवा प्राधिकरण को एफआईआर की कॉपी साझा करना

किसी पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (“SHO”), पुलिस अधीक्षक (“SP”) या पुलिस उपायुक्त (“DCP”) को अनिवार्य रूप से SLSA या DLSA के साथ एफआईआर की हार्ड या सॉफ्ट कॉपी साझा करनी होती है।

चरण 3: मुआवजे के लिए आवेदन 

सर्वाइवर, उसके आश्रित या रिश्तेदार, या एसएलएसए (SLSA) या डीएलएसए (DLSA) से संबंधित क्षेत्र के एसएचओ (SHO) मुआवजे की अंतरिम या अंतिम राशि का आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पीड़ित मुआवजा योजना के तहत दिए गए प्रारूप में फॉर्म-I के रूप में जमा किया जाना चाहिए। इसे एफआईआर या आपराधिक शिकायत की एक कॉपी और, यदि उपलब्ध हो, मेडिकल रिपोर्ट या मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ दर्ज किया जाना चाहिए। इसके अलावा, अगर मुकदमा खत्म हो गया हो, तो आवेदक को अदालत के फैसले/सिफारिशों की एक कॉपी जमा करानी होगी।

चरण 4: कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रारंभिक जांच 

एसएलएसए या डीएलएसए तब मुआवजा देने के लिए हमले के तथ्यों का प्रारंभिक सत्यापन शुरू करता है।

चरण 5: मुआवजा प्राप्त करना 

मुआवजे की राशि एसएलएसए या डीएलएसए द्वारा एक बैंक में सर्वाइवर या आश्रित (आश्रितों) के संयुक्त या एकल नाम में जमा करके दी जाएगी। यदि सर्वाइवर के पास कोई बैंक खाता नहीं है, तो डीएलएसए सर्वाइवर के नाम पर एक बैंक खाता खोलने में मदद करेगा। यदि सर्वाइवर बाल देखभाल संस्थान में नाबालिग के रूप में है, तो बैंक खाता संस्था के अधीक्षक के पास अभिभावक के रूप में खोला जाएगा। हालांकि, यदि सर्वाइवर एक विदेशी नागरिक या शरणार्थी है, तो मुआवजा नकद कार्ड के माध्यम से दिया जाएगा।

सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के लिए विभिन्न राज्यों की योजनाओं, वन-स्टॉप सेंटरों, सुरक्षा अधिकारियों और हेल्पलाइन नंबरों के संपर्क आदि जानकारी के बारे में अधिक जानने के लिए, सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के बारे में ज़रूरी जानकारी के लिए न्याया मैप को देखें।

कानून के तहत अधिकारों के इस्तेमाल की लागत कितनी है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

एसिड अटैक के अपराधों के लिए पीड़ितों को मुफ्त में चिकित्सा और रिहेब्लिटेशन सुविधाएं अवश्य प्रदान की जानी चाहिए:

• उन्हें मुफ्त प्राथमिक उपचार और चिकित्सा उपचार दिया जाना चाहिए।

• उन्हें एक मुफ्त चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रदान किया जाना चाहिए, जिसका उपयोग अन्य अस्पतालों में आगे के इलाज के लिए किया जा सकता है।

• पुलिस को शिकायतकर्ता को एफआईआर की एक फ्री कॉपी देनी चाहिए।

• आगे के चिकित्सा उपचार के लिए आमतौर पर निम्न में से भुगतान किया जाता है:

  • अपराध करने के लिए अपराधी पर लगायी गई जुर्माना राशि में से
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उनकी संबंधित पीड़ित मुआवजा योजनाओं के तहत मुआवजा में से,
  • और; पीड़ित क्षतिपूर्ति कोष से अतिरिक्त मुआवजा में से

भारत में एसिड की बिक्री को कैसे नियंत्रित किया जाता है?

भारत में एसिड की बिक्री, नियामक तंत्र के दो स्तरों द्वारा नियंत्रित होती है:

संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियमों से 

छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक, त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश सहित एसिड की बिक्री के लिए विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने नियम बनाए हैं। ये नियम मोटे तौर पर समान हैं, और एसिड बेचने वाले दुकानदारों के लिए विभिन्न आवश्यकताओं को निर्धारित करते हैं:

1. दुकानदार केवल एसिड बेच सकते हैं, या बिक्री के लिए तभी रख सकते हैं, जब उनके पास संबंधित लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस हो। इसका मतलब यह प्राधिकारी जिला मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त कोई अन्य अधिकारी हो सकता है।

2. यदि किसी दुकानदार का लाइसेंस अमान्य हो जाता है, तो उन्हें 3 महीने के भीतर दूसरे लाइसेंस धारक को एसिड बेचना होगा। इस अवधि के बाद, लाइसेंसिंग प्राधिकारी को इसे हटाना और नष्ट करना होता है।

3. दुकानदारों को अपने व्यवसाय के स्थान पर उस राज्य के एसिड नियमों की बिक्री की एक कॉपी प्रदर्शित करनी होगी।

4. दुकानदारों को केवल उन्हीं परिसरों से एसिड बेचना चाहिए, जो लाइसेंस में निर्दिष्ट किए गए हैं। उदाहरण के लिए, दुकानदार अपने केवल एक ही दुकान में एसिड की बिक्री कर सकता है, न कि अन्य किसी दुकान में जिसका लाइसेंस में उल्लेख नहीं है।

5. दुकानदारों को केवल उन्ही लोगों को एसिड बेचना चाहिए जिन्हें वह व्यक्तिगत रूप से जानता है, या जो अपने पते के साथ एक फोटो पहचान-पत्र दिखाते हैं और आधार कार्ड जैसे कानूनी रूप से वैध पते के प्रमाण के साथ इसकी पुष्टि करते हैं।

6. दुकानदारों को एसिड खरीदने वाले का नाम, फोन नंबर, पता और एसिड खरीदने का मकसद पता करने के बाद ही एसिड बेचना चाहिए. उन्हें एसिड बिक्री लेनदेन के निर्धारित विवरण के साथ एक रजिस्टर रखना होगा, जिसमें एसिड का नाम, बेची गई मात्रा आदि शामिल हैं।

7. दुकानदारों को 18 साल से कम उम्र के लोगों को एसिड नहीं बेचना चाहिए।

8. दुकानदारों को एसिड को एक बॉक्स/कमरे आदि में सुरक्षित रूप से स्टोर करना चाहिए, जिस पर ‘जहर’ लिखा हो, और यह सुनिश्चित करें कि वहां केवल एसिड ही रखा जाए। उन्हें सुरक्षित रूप से पैकिंग और लेबल लगाने के बाद ही एसिड बेचना चाहिए।

यदि कोई दुकानदार पहली बार इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो 3 महीने तक की जेल की सजा दी जा सकती है, या 500 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों लगाएं जा सकते हैं। अपराध को दोहराने पर 6 महीने तक की अवधि की जेल है, या 1000 रुपये का जुर्माना, या दोनों लगाए जा सकते हैं। इसलिए, उनके खिलाफ एसिड की अवैध बिक्री के लिए आपराधिक शिकायत या एफआईआर दर्ज की जा सकती है। ऐसा एसिड, जो अवैध रूप से जमा किया गया है, उसे भी दुकानदार के पास से जब्त कर लिया जाएगा।

भारत सरकार ने संबंधित नियम बनाते समय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मॉडल नियम(जहर रखने और बिक्री नियम, 2013) भी बनाए हैं, ताकि उसे संदर्भित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अपने नियमों को इन मॉडल नियमों के जैसे ही सख्त बनाने के लिए अनिवार्य किया है। इसके अलावा, कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से बार-बार आग्रह किया है कि वे एसिड और अन्य नाशक पदार्थों की बिक्री को विनियमित करने के लिए नियम बनाएं, और उसका उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करें।

सुप्रीम कोर्ट के नियम 

सुप्रीम कोर्ट ने एसिड की बिक्री के बारे में दिशा-निर्देश दिए हैं ताकि जिन राज्यों में एसिड की बिक्री के लिए राज्य के नियम नहीं थे वहां उनका पालन हो सके। इन दिशानिर्देशों के तहत, दुकानदारों को निम्नलिखित नियमों का पालन करना होगा:

• यदि वे खरीदार के विवरण, उनके पते और बेची गई मात्रा के साथ एक रजिस्टर बनाए रखते हैं वे तभी एसिड की ओवर-द-काउंटर बिक्री कर सकते हैं।

• उन्हें एसिड तभी बेचना चाहिए जब खरीदार व्यक्ति अपने पते के साथ सरकार द्वारा जारी फोटो आईडी दिखाता है, और एसिड खरीदने का कारण बताता है।

• उन्हें जिले के सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को 15 दिनों के भीतर अपने एसिड के स्टॉक की घोषणा करनी होगी।

• उन्हें नाबालिगों को एसिड नहीं बेचना चाहिए।

इन न्यायालय दिशानिर्देशों के तहत, कोई व्यक्ति जिले के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को भी शिकायत कर सकता है क्योंकि दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने की उनकी जिम्मेदारी है और वे ऊपर दिए गए नियमों का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर जुर्माना लगा सकते हैं।