एसिड अटैक क्या होता है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारी दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के इरादे या सोच के साथ एसिड को लेकर कुछ भी करने का प्रयास – जैसे किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकना या किसी व्यक्ति को एसिड पिलाना – अपराध के अंतर्गत आता है। इसे एसिड अटैक कहते हैं। एसिड अटैक से व्यक्ति को शरीर के किसी भी हिस्से में चोट आ सकती है, जैसे:

• किसी व्यक्ति को स्थायी (परमानेंट) या आंशिक (पार्शियल) क्षति या विकृति

• शरीर के किसी भी हिस्से का जल जाना

• किसी व्यक्ति की अपंगता, विरूपता या किसी भी प्रकार की विकलांगता।

भले ही एसिड अटैक की मुख्य परिभाषा भारतीय दंड संहिता, 1860 में दी गई है, भारत के विधि आयोग ने भी एसिड अटैक को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के एक रूप में परिभाषित किया है, जहां अपराधी किसी व्यक्ति या वस्तु पर उसे विकृत करने या मारने के लिए एसिड फेंकता है।

एसिड अटैक कहीं भी हो सकता है। एसिड अटैक की घटनाएं अक्सर घर में, सड़कों पर और यहां तक ​​कि कार्यस्थलों पर भी हुई हैं।

 

एसिड अटैक क्या होता है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारी दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के इरादे या सोच के साथ एसिड को लेकर कुछ भी करने का प्रयास – जैसे किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकना या किसी व्यक्ति को एसिड पिलाना – अपराध के अंतर्गत आता है। इसे एसिड अटैक कहते हैं। एसिड अटैक से व्यक्ति को शरीर के किसी भी हिस्से में चोट आ सकती है, जैसे:

• किसी व्यक्ति को स्थायी (परमानेंट) या आंशिक (पार्शियल) क्षति या विकृति

• शरीर के किसी भी हिस्से का जल जाना

• किसी व्यक्ति की अपंगता, विरूपता या किसी भी प्रकार की विकलांगता।

भले ही एसिड अटैक की मुख्य परिभाषा भारतीय दंड संहिता, 1860 में दी गई है, भारत के विधि आयोग ने भी एसिड अटैक को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के एक रूप में परिभाषित किया है, जहां अपराधी किसी व्यक्ति या वस्तु पर उसे विकृत करने या मारने के लिए एसिड फेंकता है।

एसिड अटैक कहीं भी हो सकता है। एसिड अटैक की घटनाएं अक्सर घर में, सड़कों पर और यहां तक ​​कि कार्यस्थलों पर भी हुई हैं।

कानून किस की सुरक्षा करता है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

कानून सभी व्यक्तियों को एसिड अटैक से सुरक्षा प्रदान करता है, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो। इसके अलावा, सर्वाइवर की उम्र को लेकर कानून में कोई विशेष प्रावधान नहीं है। इसलिए, एसिड अटैक, चाहे वह किसी भी उम्र के व्यक्ति पर किया गया हो, कानून के तहत दंडनीय है। कानून उन विदेशियों को भी सुरक्षा प्रदान करता है, जिनके ऊपर भारत में रहने के दौरान एसिड हमले हुए और वे ज़िंदा बच गए।

 

 

इस कानून के तहत किसी व्यक्ति के क्या-क्या अधिकार हैं?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

एसिड अटैक के सर्वाइवर को कानून के तहत निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं:

चिकित्सा उपचार लेने का अधिकार 

एसिड अटैक के सर्वाइवर को सरकारी और प्राईवेट अस्पतालों में इलाज कराने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक अपराधों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जहां उन्होंने कहा है कि:

• कोई भी अस्पताल या क्लिनिक विशेष सुविधाओं की कमी का बहाना देते हुए एसिड अटैक सर्वाइवर के इलाज से इनकार नहीं कर सकता।

• सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को सर्वाइवर को प्राथमिक चिकित्सा और चिकित्सा उपचार निःशुल्क उपलब्ध कराना होगा।

कोर्ट ने पीड़ितों के इलाज और पुनर्वास की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दी है। इसके अतिरिक्त, कोर्ट राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपेक्षा करता है, जो एसिड अटैक सर्वाइवर का इलाज करने से इनकार करते हैं।

शिकायत दर्ज करने का अधिकार 

एसिड अटैक सर्वाइवर को भी अपराधी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। सर्वाइवर के रिश्तेदार, दोस्त या परिचित, कोई भी व्यक्ति जिसने अपराध देखा है, या कोई भी व्यक्ति जिसे अपराध के बारे में पता चलता है, शिकायत दर्ज कर सकता है। अन्य व्यक्तियों की सूची देखने के लिए जो शिकायत दर्ज कर सकते हैं, यहां देखें।

दर्ज की गई शिकायत को प्रथम सूचना रिपोर्ट (“एफआईआर”) के रूप में जाना जाता है। एफआईआर एक दस्तावेज है जिसमें वह जानकारी होती है जिसे एक पुलिस अधिकारी अपराध की सूचना मिलने पर भरता है। एफआईआर दर्ज करने का तरीका जानने के लिए, आप हमारे एक दूसरे लेख ‘एफआईआर कैसे दर्ज करें’ को पढ़ सकते हैं।

किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की जा सकती है, भले ही वह जगह जहां अपराध हुआ है उसके अधिकार क्षेत्र में आती हो या नहीं। इसके बाद यह जानकारी अपेक्षित क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को स्थानांतरित(ट्रांसफर) कर दी जाएगी। इस अवधारणा को आम तौर पर एक शून्य प्राथमिकी या जीरो एफआईआर के रूप में जाना जाता है। जीरो एफआईआर के बारे में अधिक समझने के लिए, आप ‘एफआईआर कहां दर्ज की जा सकती है’ पर हमारे लेख को पढ़ सकते हैं।

मुआवजे का अधिकार 

एसिड अटैक सर्वाइवर को राज्य सरकार से मुआवजे की मांग करने का अधिकार है। पीड़ित मुआवजा योजना को 2018 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया था, इसे राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया था। यह योजना एसिड अटैक सर्वाइवर के साथ-साथ यौन उत्पीड़न, हत्या, अपहरण आदि सहित यौन अपराधों के लिए अनिवार्य मुआवजे का प्रावधान करती है। मुआवजे के अलावा, इस योजना के तहत, सर्वाइवर को न्यायालय द्वारा लगाये जुर्माने की राशि प्राप्त होती है, जिसका अपराधी अपराध करने के लिए भुगतान करता है।

विभिन्न राज्य सरकारों ने एसिड अटैक सर्वाइवर के लिए पीड़ित मुआवजा योजनाएं बनाई हैं। यह ध्यान में रखते हुए कि राज्य की योजनाओं में एकरूपता की कमी है, और इनमें से अधिकांश योजनाओं में निर्दिष्ट मुआवजे की राशि बहुत कम है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि:

• प्रत्येक सर्वाइवर को राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम 3 लाख रुपये की राशि प्रदान की जानी चाहिए। यह न्यूनतम राशि है, और जहां आवश्यक हो, राज्य सरकार अधिक राशि प्रदान कर सकती है।

• कोई भी मुआवज़ा राशि न केवल सर्वाइवर की शारीरिक चोटों बल्कि पूर्ण रूप से जीवन जीने में उनकी अक्षमता को भी ध्यान में रखकर तय होना चाहिए। 17

• संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के मुख्य सचिव/प्रशासक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस राशि का भुगतान किया जा चुका है।

सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के लिए विभिन्न राज्यों की योजनाओं, वन-स्टॉप सेंटरों, सुरक्षा अधिकारियों और हेल्पलाइन नंबरों के संपर्क आदि ज़रूरी जानकारी के बारे में अधिक जानने के लिए, सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के बारे में के लिए न्याया मैप को देखें।

भारत में राज्य पीड़ित मुआवजा योजनाओं की सूची नीचे दी गई है:

राज्य  योजना का नाम 
अरुणाचल प्रदेश अरुणाचल प्रदेश पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
असम असम पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
बिहार बिहार पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
चंडीगढ़ चंडीगढ़ पीड़ित सहायता योजना, 2012
दादरा और नगर हवेली दादरा और नगर हवेली पीड़ित सहायता योजना, 2012
दमन और दीव दमन और दीव पीड़ित सहायता योजना, 2012
दिल्ली दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना, 2015
गोवा गोवा पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
गुजरात गुजरात पीड़ित मुआवजा योजना, 2013
हरियाणा हरियाणा पीड़ित मुआवजा योजना, 2013
हिमाचल प्रदेश हिमाचल प्रदेश (अपराध का शिकार) मुआवजा योजना, 2012
जम्मू और कश्मीर जम्मू और कश्मीर पीड़ित मुआवजा योजना, 2013
झारखंड झारखंड पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
कर्नाटक कर्नाटक पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
केरल केरल पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
लक्षद्वीप लक्षद्वीप पीड़ित सहायता योजना, 2012
मणिपुर मणिपुर पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
मेघालय मेघालय पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
मिजोरम मिजोरम पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
महाराष्ट्र महाराष्ट्र पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश पीड़ित मुआवजा योजना, 2015
नगालैंड नागालैंड पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
उड़ीसा ओडिशा पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
पुडुचेरी पुडुचेरी पीड़ित सहायता योजना, 2012
पंजाब पंजाब पीड़ित मुआवजा योजना, 2017
राजस्थान राजस्थान पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
सिक्किम सिक्किम पीड़ितों को या उनके आश्रितों को मुआवजा योजना, 2011
तमिलनाडु तमिलनाडु महिला पीड़ितों / यौन उत्पीड़न / अन्य अपराधों से बचे लोगों के लिए पीड़ित मुआवजा योजना, 2018
त्रिपुरा त्रिपुरा पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
उतार प्रदेश उत्तर प्रदेश पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
उत्तराखंड उत्तराखंड अपराध से पीड़ित सहायता योजना, 2013
पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल पीड़ित मुआवजा योजना, 2012

 

इस कानून के तहत कौन-कौन से अपराध और दंड आते हैं?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

एसिड अटैक से संबंधित अपराधों को भारतीय दंड संहिता, 1860 और आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत निर्दिष्ट किया गया है। नीचे दिए गए अपराधों के लिए किसी को भी दंडित किया जा सकता है, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो। जो कि निम्नलिखित हैं:

एसिड फेंकना या एसिड फेंकने का प्रयास करना 

किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकना और उसे चोट पहुंचाना अपराध है। एसिड फेंकने की सजा कम से कम 10 साल की जेल है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जिससे एसिड अटैक सर्वाइवर के चिकित्सा खर्चों को पूरा किया जा सके।

साथ ही किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकना या फेंकने का प्रयास करना भी अपराध है। इस अपराध के लिए कम से कम 5 साल की जेल जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

एसिड फेंकने में किसी की मदद करना 

किसी को एसिड फेंकने में मदद करना भी अपराध है। किसी को अपराध करने में मदद करना कानून के तहत उकसाने के रूप में जाना जाता है। उकसाने की सजा वही है जो एसिड फेंकने या किसी अन्य व्यक्ति पर एसिड फेंकने का प्रयास करने की सजा है।

एसिड अटैक सर्वाइवर का इलाज करने या मुफ्त तत्काल उपचार प्रदान करने से इनकार करना 

एसिड अटैक सर्वाइवर को चिकित्सा उपचार का अधिकार है और इस तरह का उपचार प्रदान करने से इनकार करने वाला अस्पताल इस कानून के तहत अपराधी है। सर्वाइवर का इलाज करने से इंकार करने वाले व्यक्ति के खिलाफ पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज की जा सकती है।

भारतीय दंड संहिता, 1860 में विशिष्ट एसिड अटैक अपराधों के अलावा, अन्य अपराधों को भी एसिड हमलों के मामले में पुलिस द्वारा एफआईआर या चार्जशीट में सम्मिलित या लिखा जा सकता है। इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, खतरनाक हथियारों से किसी को चोट पहुंचाना, और गंभीर चोट पहुंचाना शामिल हैं।

क्या अपराध जमानती या गैर-जमानती/संज्ञेय हैं?

किसी पर एसिड फेंकने या फेंकने वाले की मदद करने का अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती दोनों है।

संज्ञेय अपराध एक ऐसा अपराध होता है, जिसमें पुलिस अधिकारी बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार कर सकता है।

गैर-जमानती अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें ज़मानत नहीं मिलती है और इसे देने या न देने का विवेक न्यायालय का है। गैर-जमानती अपराधों में जमानत के बारे में अधिक जानने के लिए, आप गैर-जमानती अपराधों के लिए जमानत पर हमारे लेख को पढ़ सकते हैं।

 

आप चिकित्सा उपचार कैसे ले सकते हैं?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

एसिड अटैक सर्वाइवर के इलाज की चिकित्सा प्रक्रिया इस प्रकार है:

चरण 1: पहला कदम और तत्काल उपचार 

सर्वाइवर को तत्काल चिकित्सा उपचार देने के लिए निकटतम अस्पताल ले जाया जाना चाहिए। उपचार मुफ्त दिया जाना चाहिए। प्राथमिक उपचार दिया जाना चाहिए और सर्वाइवर को स्थिर करने की कोशिश की जानी चाहिए। सर्वाइवर को चिकित्सा सहायता प्रदान करने से इनकार करने वाले किसी भी अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

चरण 2: सर्वाइवर का चिकित्सा उपचार 

एक बार जब सर्वाइवर प्राथमिक उपचार प्राप्त कर लेता है, तो उसे या तो आगे के इलाज के लिए विशेषीकृत अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है या उसका उसी अस्पताल में इलाज किया जा सकता है, अगर संस्थान के पास ऐसा करने की सुविधा है।

चरण 3: सर्वाइवर के लिए चिकित्सा प्रमाणपत्र 

जिस अस्पताल में सर्वाइवर का पहले इलाज किया जा रहा है, उस अस्पताल को उस व्यक्ति को एक प्रमाण पत्र देना चाहिए, जिसमें यह लिखा गया हो कि वह व्यक्ति एसिड अटैक का सर्वाइवर है। इस प्रमाणपत्र का उपयोग उपचार और अन्य सर्जरी या किसी अन्य राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश की योजनाओं के लिए किया जा सकता है, जिसका व्यक्ति लाभ उठाना चाहता है। इसके अलावा, इसे पीड़ित मुआवजा योजना के तहत मुआवजे का दावा करने के लिए आवेदन के साथ संलग्न किया जाना चाहिए।

कौन शिकायत कर सकता है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

निम्नलिखित व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकते हैं:

• एसिड अटैक का सर्वाइवर

• कोई रिश्तेदार, दोस्त या परिचित

• कोई भी व्यक्ति जिसने अपराध होते देखा है

• कोई भी व्यक्ति, जो यह जानता है कि इस तरह का हमला होने वाला है

जो भी अपराध के बारे में शिकायत करना चाहता है, वह सबसे पहले पुलिस से संपर्क कर सकता है। एफआईआर दर्ज करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आपके पास अपराध के बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप जो कुछ भी जानते हैं उसकी रिपोर्ट पुलिस को करें। आप यहां एफआईआर दर्ज करने के तरीके के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

एफआईआर अपने आप में किसी के खिलाफ दर्ज किया गया आपराधिक मामला नहीं होती है। यह सिर्फ अपराध के बारे में पुलिस को दी जाने वाली एक सूचना है। आपराधिक मामला तब शुरू होता है जब पुलिस द्वारा अदालत के समक्ष चार्जशीट दायर की जाती है और राज्य द्वारा एक पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किया जाता है।

आप शिकायत कैसे दर्ज करते हैं?

एसिड अटैक के बाद कानूनी प्रक्रिया इस प्रकार है :

चरण 1: एफआईआर दर्ज करें 

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है।

आरोपी के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। यह एफआईआर या तो सर्वाइवर, उनके परिवार के सदस्यों, अपराध को देखने वाले किसी भी व्यक्ति या अपराध के बारे में जानने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा दर्ज की जा सकती है।

चूंकि एसिड अटैक और एसिड फेंकने का प्रयास आईपीसी की धारा 326ए और 326बी के तहत संज्ञेय अपराध हैं, जब पुलिस को लगता है कि व्यक्ति को खुला घूमने देना खतरनाक है तो पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। एफआईआर दर्ज करने वाले व्यक्ति को एफआईआर की फ्री कॉपी प्राप्त करने का भी अधिकार है।

चरण 2: पुलिस द्वारा जांच शुरू करना 

एफआईआर दर्ज होने के बाद, पुलिस शिकायत की जांच करेगी और जांच और गवाहों के बयानों के आधार पर अंतिम रिपोर्ट पेश करेगी। जब आरोपी हिरासत में हो, तो यह जांच 60 से 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।

चरण 3: चार्जशीट दाखिल करना और मुकदमे का शुरू होना 

जांच करने पर, अगर पुलिस को लगता है कि आरोपी द्वारा किए गए अपराध के पर्याप्त सबूत हैं, तो वे एक आपराधिक अदालत में चार्ज शीट दायर कर सकते हैं, जिसमें मामले का नोटिस लेने का अनुरोध किया जा सके। इसके बाद परीक्षण प्रक्रिया शुरू होती है। यदि सबूत अपर्याप्त हैं, तो मामले को बंद करने के लिए मजिस्ट्रेट के पास क्लोजर रिपोर्ट दायर की जा सकती है। हालांकि, इसे चुनौती दी जा सकती है। कृपया मुकदमे की प्रक्रिया के लिए संबंधित जिला अदालत के वकील की मदद लें।

इसके लिए शिकायत फोरम/हेल्पलाइन कौन-कौन सी है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

यदि आप एसिड अटैक से बच गए हैं, तो आप निम्नलिखित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं:

पुलिस 

आप शिकायत करने के लिए पुलिस से संपर्क कर सकते हैं। आप हेल्पलाइन नंबर 100 पर डायल करके पुलिस से संपर्क कर सकते हैं। पुलिस एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) में अपराध की जानकारी दर्ज करेगी।

राष्ट्रीय महिला आयोग 

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) एक राष्ट्रीय स्तर का सरकारी संगठन है जिसे महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों से संबंधित शिकायतों की जांच करने का अधिकार है। राष्ट्रीय महिला आयोग निम्न मामलों में आपकी मदद करेगा:

• पुलिस के नेतृत्व में की जा रही जांच की निगरानी और उसमें तेजी लाने में।

• एसिड अटैक के मामलों में आरोपियों पर मुकदमा चलाने के संबंध में, ​​सर्वाइवर को चिकित्सा राहत प्रदान करने और सिस्टम के माध्यम से पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान कराने की निगरानी करने के संबंध में। यह एमआईएस प्रणाली के उपयोग के माध्यम से किया जाता है।

• राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष परामर्श प्रदान करना या सुनवाई करना। यह दोनों पक्षों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए किया जाता है।

आप हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कॉल करके या ncw@nic.in पर ईमेल भेजकर या ऑनलाइन शिकायत दर्ज करके उनसे संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, आप अपने राज्य में स्थित राज्य महिला आयोग से भी संपर्क कर सकते हैं और उनसे मदद मांग सकते हैं।

सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट 

कोई व्यक्ति जिले के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) से भी शिकायत कर सकता है, क्योंकि एसिड अटैक के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है। इन दिशा-निर्देशों में, एसिड की बिक्री तथा एसिड बेचते समय दुकानदारों की भूमिका की जानकारी शामिल है।

वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर जुर्माना भी लगा सकते हैं।

राष्ट्रीय हेल्पलाइन 

कुछ राष्ट्रीय हेल्पलाइन जिनसे आप संपर्क कर सकते हैं, वे हैं:

राष्ट्रीय आपातकालीन नंबर (चिकित्सा भी) 112
महिला हेल्पलाइन (अखिल भारतीय)- संकटग्रस्त महिलाएं 1091
महिला हेल्पलाइन घरेलू दुर्व्यवहार 181
पुलिस 100
राष्ट्रीय महिला आयोग 011-26942369, 26944754
चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन हेल्पलाइन 1098
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग 011- 23385368/9810298900