कौन शिकायत कर सकता है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

निम्नलिखित व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकते हैं:

• एसिड अटैक का सर्वाइवर

• कोई रिश्तेदार, दोस्त या परिचित

• कोई भी व्यक्ति जिसने अपराध होते देखा है

• कोई भी व्यक्ति, जो यह जानता है कि इस तरह का हमला होने वाला है

जो भी अपराध के बारे में शिकायत करना चाहता है, वह सबसे पहले पुलिस से संपर्क कर सकता है। एफआईआर दर्ज करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आपके पास अपराध के बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप जो कुछ भी जानते हैं उसकी रिपोर्ट पुलिस को करें। आप यहां एफआईआर दर्ज करने के तरीके के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

एफआईआर अपने आप में किसी के खिलाफ दर्ज किया गया आपराधिक मामला नहीं होती है। यह सिर्फ अपराध के बारे में पुलिस को दी जाने वाली एक सूचना है। आपराधिक मामला तब शुरू होता है जब पुलिस द्वारा अदालत के समक्ष चार्जशीट दायर की जाती है और राज्य द्वारा एक पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किया जाता है।

आप शिकायत कैसे दर्ज करते हैं?

एसिड अटैक के बाद कानूनी प्रक्रिया इस प्रकार है :

चरण 1: एफआईआर दर्ज करें 

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है।

आरोपी के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। यह एफआईआर या तो सर्वाइवर, उनके परिवार के सदस्यों, अपराध को देखने वाले किसी भी व्यक्ति या अपराध के बारे में जानने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा दर्ज की जा सकती है।

चूंकि एसिड अटैक और एसिड फेंकने का प्रयास आईपीसी की धारा 326ए और 326बी के तहत संज्ञेय अपराध हैं, जब पुलिस को लगता है कि व्यक्ति को खुला घूमने देना खतरनाक है तो पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। एफआईआर दर्ज करने वाले व्यक्ति को एफआईआर की फ्री कॉपी प्राप्त करने का भी अधिकार है।

चरण 2: पुलिस द्वारा जांच शुरू करना 

एफआईआर दर्ज होने के बाद, पुलिस शिकायत की जांच करेगी और जांच और गवाहों के बयानों के आधार पर अंतिम रिपोर्ट पेश करेगी। जब आरोपी हिरासत में हो, तो यह जांच 60 से 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।

चरण 3: चार्जशीट दाखिल करना और मुकदमे का शुरू होना 

जांच करने पर, अगर पुलिस को लगता है कि आरोपी द्वारा किए गए अपराध के पर्याप्त सबूत हैं, तो वे एक आपराधिक अदालत में चार्ज शीट दायर कर सकते हैं, जिसमें मामले का नोटिस लेने का अनुरोध किया जा सके। इसके बाद परीक्षण प्रक्रिया शुरू होती है। यदि सबूत अपर्याप्त हैं, तो मामले को बंद करने के लिए मजिस्ट्रेट के पास क्लोजर रिपोर्ट दायर की जा सकती है। हालांकि, इसे चुनौती दी जा सकती है। कृपया मुकदमे की प्रक्रिया के लिए संबंधित जिला अदालत के वकील की मदद लें।

इसके लिए शिकायत फोरम/हेल्पलाइन कौन-कौन सी है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

यदि आप एसिड अटैक से बच गए हैं, तो आप निम्नलिखित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं:

पुलिस 

आप शिकायत करने के लिए पुलिस से संपर्क कर सकते हैं। आप हेल्पलाइन नंबर 100 पर डायल करके पुलिस से संपर्क कर सकते हैं। पुलिस एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) में अपराध की जानकारी दर्ज करेगी।

राष्ट्रीय महिला आयोग 

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) एक राष्ट्रीय स्तर का सरकारी संगठन है जिसे महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों से संबंधित शिकायतों की जांच करने का अधिकार है। राष्ट्रीय महिला आयोग निम्न मामलों में आपकी मदद करेगा:

• पुलिस के नेतृत्व में की जा रही जांच की निगरानी और उसमें तेजी लाने में।

• एसिड अटैक के मामलों में आरोपियों पर मुकदमा चलाने के संबंध में, ​​सर्वाइवर को चिकित्सा राहत प्रदान करने और सिस्टम के माध्यम से पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान कराने की निगरानी करने के संबंध में। यह एमआईएस प्रणाली के उपयोग के माध्यम से किया जाता है।

• राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष परामर्श प्रदान करना या सुनवाई करना। यह दोनों पक्षों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए किया जाता है।

आप हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कॉल करके या ncw@nic.in पर ईमेल भेजकर या ऑनलाइन शिकायत दर्ज करके उनसे संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, आप अपने राज्य में स्थित राज्य महिला आयोग से भी संपर्क कर सकते हैं और उनसे मदद मांग सकते हैं।

सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट 

कोई व्यक्ति जिले के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) से भी शिकायत कर सकता है, क्योंकि एसिड अटैक के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है। इन दिशा-निर्देशों में, एसिड की बिक्री तथा एसिड बेचते समय दुकानदारों की भूमिका की जानकारी शामिल है।

वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर जुर्माना भी लगा सकते हैं।

राष्ट्रीय हेल्पलाइन 

कुछ राष्ट्रीय हेल्पलाइन जिनसे आप संपर्क कर सकते हैं, वे हैं:

राष्ट्रीय आपातकालीन नंबर (चिकित्सा भी) 112
महिला हेल्पलाइन (अखिल भारतीय)- संकटग्रस्त महिलाएं 1091
महिला हेल्पलाइन घरेलू दुर्व्यवहार 181
पुलिस 100
राष्ट्रीय महिला आयोग 011-26942369, 26944754
चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन हेल्पलाइन 1098
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग 011- 23385368/9810298900

 

आप इस कानून के तहत मुआवजे का दावा कैसे कर सकते हैं?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

पीड़ित मुआवजा योजना, के तहत मुआवजे की मांग करने की प्रक्रिया इस प्रकार है:

चरण 1: एफआईआर दर्ज करना 

सर्वाइवर या उनकी ओर से किसी के द्वारा एफआईआर दर्ज करके अनिवार्य रूप से एसिड अटैक अपराध की रिपोर्ट दर्ज करनी होगी।

चरण 2: कानूनी सेवा प्राधिकरण को एफआईआर की कॉपी साझा करना

किसी पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (“SHO”), पुलिस अधीक्षक (“SP”) या पुलिस उपायुक्त (“DCP”) को अनिवार्य रूप से SLSA या DLSA के साथ एफआईआर की हार्ड या सॉफ्ट कॉपी साझा करनी होती है।

चरण 3: मुआवजे के लिए आवेदन 

सर्वाइवर, उसके आश्रित या रिश्तेदार, या एसएलएसए (SLSA) या डीएलएसए (DLSA) से संबंधित क्षेत्र के एसएचओ (SHO) मुआवजे की अंतरिम या अंतिम राशि का आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पीड़ित मुआवजा योजना के तहत दिए गए प्रारूप में फॉर्म-I के रूप में जमा किया जाना चाहिए। इसे एफआईआर या आपराधिक शिकायत की एक कॉपी और, यदि उपलब्ध हो, मेडिकल रिपोर्ट या मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ दर्ज किया जाना चाहिए। इसके अलावा, अगर मुकदमा खत्म हो गया हो, तो आवेदक को अदालत के फैसले/सिफारिशों की एक कॉपी जमा करानी होगी।

चरण 4: कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रारंभिक जांच 

एसएलएसए या डीएलएसए तब मुआवजा देने के लिए हमले के तथ्यों का प्रारंभिक सत्यापन शुरू करता है।

चरण 5: मुआवजा प्राप्त करना 

मुआवजे की राशि एसएलएसए या डीएलएसए द्वारा एक बैंक में सर्वाइवर या आश्रित (आश्रितों) के संयुक्त या एकल नाम में जमा करके दी जाएगी। यदि सर्वाइवर के पास कोई बैंक खाता नहीं है, तो डीएलएसए सर्वाइवर के नाम पर एक बैंक खाता खोलने में मदद करेगा। यदि सर्वाइवर बाल देखभाल संस्थान में नाबालिग के रूप में है, तो बैंक खाता संस्था के अधीक्षक के पास अभिभावक के रूप में खोला जाएगा। हालांकि, यदि सर्वाइवर एक विदेशी नागरिक या शरणार्थी है, तो मुआवजा नकद कार्ड के माध्यम से दिया जाएगा।

सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के लिए विभिन्न राज्यों की योजनाओं, वन-स्टॉप सेंटरों, सुरक्षा अधिकारियों और हेल्पलाइन नंबरों के संपर्क आदि जानकारी के बारे में अधिक जानने के लिए, सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के बारे में ज़रूरी जानकारी के लिए न्याया मैप को देखें।

कानून के तहत अधिकारों के इस्तेमाल की लागत कितनी है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

एसिड अटैक के अपराधों के लिए पीड़ितों को मुफ्त में चिकित्सा और रिहेब्लिटेशन सुविधाएं अवश्य प्रदान की जानी चाहिए:

• उन्हें मुफ्त प्राथमिक उपचार और चिकित्सा उपचार दिया जाना चाहिए।

• उन्हें एक मुफ्त चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रदान किया जाना चाहिए, जिसका उपयोग अन्य अस्पतालों में आगे के इलाज के लिए किया जा सकता है।

• पुलिस को शिकायतकर्ता को एफआईआर की एक फ्री कॉपी देनी चाहिए।

• आगे के चिकित्सा उपचार के लिए आमतौर पर निम्न में से भुगतान किया जाता है:

  • अपराध करने के लिए अपराधी पर लगायी गई जुर्माना राशि में से
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उनकी संबंधित पीड़ित मुआवजा योजनाओं के तहत मुआवजा में से,
  • और; पीड़ित क्षतिपूर्ति कोष से अतिरिक्त मुआवजा में से

भारत में एसिड की बिक्री को कैसे नियंत्रित किया जाता है?

भारत में एसिड की बिक्री, नियामक तंत्र के दो स्तरों द्वारा नियंत्रित होती है:

संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियमों से 

छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक, त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश सहित एसिड की बिक्री के लिए विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने नियम बनाए हैं। ये नियम मोटे तौर पर समान हैं, और एसिड बेचने वाले दुकानदारों के लिए विभिन्न आवश्यकताओं को निर्धारित करते हैं:

1. दुकानदार केवल एसिड बेच सकते हैं, या बिक्री के लिए तभी रख सकते हैं, जब उनके पास संबंधित लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस हो। इसका मतलब यह प्राधिकारी जिला मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त कोई अन्य अधिकारी हो सकता है।

2. यदि किसी दुकानदार का लाइसेंस अमान्य हो जाता है, तो उन्हें 3 महीने के भीतर दूसरे लाइसेंस धारक को एसिड बेचना होगा। इस अवधि के बाद, लाइसेंसिंग प्राधिकारी को इसे हटाना और नष्ट करना होता है।

3. दुकानदारों को अपने व्यवसाय के स्थान पर उस राज्य के एसिड नियमों की बिक्री की एक कॉपी प्रदर्शित करनी होगी।

4. दुकानदारों को केवल उन्हीं परिसरों से एसिड बेचना चाहिए, जो लाइसेंस में निर्दिष्ट किए गए हैं। उदाहरण के लिए, दुकानदार अपने केवल एक ही दुकान में एसिड की बिक्री कर सकता है, न कि अन्य किसी दुकान में जिसका लाइसेंस में उल्लेख नहीं है।

5. दुकानदारों को केवल उन्ही लोगों को एसिड बेचना चाहिए जिन्हें वह व्यक्तिगत रूप से जानता है, या जो अपने पते के साथ एक फोटो पहचान-पत्र दिखाते हैं और आधार कार्ड जैसे कानूनी रूप से वैध पते के प्रमाण के साथ इसकी पुष्टि करते हैं।

6. दुकानदारों को एसिड खरीदने वाले का नाम, फोन नंबर, पता और एसिड खरीदने का मकसद पता करने के बाद ही एसिड बेचना चाहिए. उन्हें एसिड बिक्री लेनदेन के निर्धारित विवरण के साथ एक रजिस्टर रखना होगा, जिसमें एसिड का नाम, बेची गई मात्रा आदि शामिल हैं।

7. दुकानदारों को 18 साल से कम उम्र के लोगों को एसिड नहीं बेचना चाहिए।

8. दुकानदारों को एसिड को एक बॉक्स/कमरे आदि में सुरक्षित रूप से स्टोर करना चाहिए, जिस पर ‘जहर’ लिखा हो, और यह सुनिश्चित करें कि वहां केवल एसिड ही रखा जाए। उन्हें सुरक्षित रूप से पैकिंग और लेबल लगाने के बाद ही एसिड बेचना चाहिए।

यदि कोई दुकानदार पहली बार इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो 3 महीने तक की जेल की सजा दी जा सकती है, या 500 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों लगाएं जा सकते हैं। अपराध को दोहराने पर 6 महीने तक की अवधि की जेल है, या 1000 रुपये का जुर्माना, या दोनों लगाए जा सकते हैं। इसलिए, उनके खिलाफ एसिड की अवैध बिक्री के लिए आपराधिक शिकायत या एफआईआर दर्ज की जा सकती है। ऐसा एसिड, जो अवैध रूप से जमा किया गया है, उसे भी दुकानदार के पास से जब्त कर लिया जाएगा।

भारत सरकार ने संबंधित नियम बनाते समय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मॉडल नियम(जहर रखने और बिक्री नियम, 2013) भी बनाए हैं, ताकि उसे संदर्भित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अपने नियमों को इन मॉडल नियमों के जैसे ही सख्त बनाने के लिए अनिवार्य किया है। इसके अलावा, कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से बार-बार आग्रह किया है कि वे एसिड और अन्य नाशक पदार्थों की बिक्री को विनियमित करने के लिए नियम बनाएं, और उसका उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करें।

सुप्रीम कोर्ट के नियम 

सुप्रीम कोर्ट ने एसिड की बिक्री के बारे में दिशा-निर्देश दिए हैं ताकि जिन राज्यों में एसिड की बिक्री के लिए राज्य के नियम नहीं थे वहां उनका पालन हो सके। इन दिशानिर्देशों के तहत, दुकानदारों को निम्नलिखित नियमों का पालन करना होगा:

• यदि वे खरीदार के विवरण, उनके पते और बेची गई मात्रा के साथ एक रजिस्टर बनाए रखते हैं वे तभी एसिड की ओवर-द-काउंटर बिक्री कर सकते हैं।

• उन्हें एसिड तभी बेचना चाहिए जब खरीदार व्यक्ति अपने पते के साथ सरकार द्वारा जारी फोटो आईडी दिखाता है, और एसिड खरीदने का कारण बताता है।

• उन्हें जिले के सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को 15 दिनों के भीतर अपने एसिड के स्टॉक की घोषणा करनी होगी।

• उन्हें नाबालिगों को एसिड नहीं बेचना चाहिए।

इन न्यायालय दिशानिर्देशों के तहत, कोई व्यक्ति जिले के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को भी शिकायत कर सकता है क्योंकि दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने की उनकी जिम्मेदारी है और वे ऊपर दिए गए नियमों का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर जुर्माना लगा सकते हैं।