जमानत देने से इनकार करना

आखिरी अपडेट Jul 12, 2022

गैर-जमानती अपराधों के लिए न्यायालय आपको जमानत देने से इनकार कर सकता है, जब आपके द्वारा किए गए अपराध का दण्ड निम्न श्रेणी में हो तो अदालत आपको जमानत देने से इन्कार कर सकता है:
-मौत की सजा,
-आजीवन कारावास,
-7 साल से अधिक जेल की सजा,
-अगर अपराध संज्ञेय (कॉग्निज़ेबल) है, या

  • यदि आपको दो या दो से अधिक मौकों पर संज्ञेय अपराध के लिये दोषी पाया गया है, जिसके लिये आपको तीन साल या उससे अधिक के कारावास (लेकिन सात साल से कम नहीं) की सजा से दंडित किया जा चुका है।

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एफआईआर, गिरफ्तारी और जमानत

इसके अलावा, वह व्यक्ति जो इस कानून के तहत किए या ना किए गए अपराधों के लिए गिरफ्तारी से डरता है, वह अग्रिम जमानत के लिए फाइल नहीं कर सकता है।
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पीड़ितों और गवाहों के अधिकार

यह विशेष कानून पीड़ितों, उनके आश्रितों और इस कानून के तहत दायर शिकायतों के गवाह के रूप में कार्य करने वालों को कुछ अधिकारों की गारंटी देता है।
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अत्याचार करने वाले व्यक्तियों का निर्वासन

यदि किसी व्यक्ति द्वारा ऐसे क्षेत्रों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर अपराध या अत्याचार करने की संभावना है, तो विशेष अदालतें उन्हें वहां से हटा सकती हैं।
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अग्रिम जमानत

कानून हर वैसे व्यक्ति को जमानत के लिए आवेदन करने की इजाजत देता है, जिसे भले ही अभी गिरफ्तार नहीं किया गया हो, लेकिन निकट भविष्य में उसे अपनी गिरफ्तारी का भय/संदेह है।

जमानत को भलि भांति समझना

जब एक आरोपी व्यक्ति अदालत/पुलिस को आश्वासन देता है कि वह रिहा होने पर समाज से भागेगा नहीं और कोई नया अपराध नहीं करेगा, तब उसे जमानत दी जाती है ।

अदालत की अवमानना ​​कहां हो सकती है?

कोर्ट की अवमानना ​​कहीं भी हो सकती है-कोर्ट के अंदर, सोशल मीडिया पर, आदि। अवमानना ​​की कार्यवाही या तो उच्च न्यायालय द्वारा की जा सकती है।