रिट याचिका ऑनलाइन कैसे दायर करें?

आखिरी अपडेट Oct 9, 2024

  1. यहां से भारत के सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जाएं।
  2. होम मेन्यू के पास में दिए विकल्पों में से ‘ई- सर्विसेज’ पर जाकर ‘ई-फाइलिंग’ पर क्लिक करें।
  3. अगर पहली बार याचिका दायर कर रहे हैं, तो वेब पेज के दाहिने कोने पर, ‘न्यू रजिस्ट्रेशन/ नया पंजीकरण’ पर क्लिक करें और जानकारी भरें। अगर आप पंजीकरण पहले कर चुके हैं, तो सीधे चरण संख्या 7 से आगे बढ़ें।
  4. उपयोगकर्ता का प्रकार पूछने पर ‘पिटीशनर इन पर्सन’ चुनें , अब आपको एक फॉर्म दिखाई देगा।
  5. जरूरी जानकारी भरने के बाद, वेबपेज के आखिर में दिए गए ‘साइन अप’ बटन पर क्लिक करें।
  6. रजिस्ट्रेशन पूरा करने के बाद यहां से ‘ई-फाइलिंग’ पेज पर वापस जाएं।
  7. ‘लॉगिन’ विकल्प पर क्लिक करें।
  8. लॉग इन करने के बाद एक मेन्यू दिखाई देगा। ‘न्यू ई फाइलिंग’ पर क्लिक करें।
  9. अब जरूरी जानकारी भरें। अगर याचिका निचली अदालत के किसी फैसले के खिलाफ है, तो ‘निचली अदालत (Lower Court)’ बटन पर क्लिक करें। इसी तरह हर कैटेगरी पर क्लिक करें और जरूरी जानकारी भरें।
  10. अगर याचिका के साथ कोई दस्तावेज जमा करना है, तो ‘अन्य दस्तावेज के साथ याचिका (Petition with Other Document)’ पर क्लिक करें।
  11. सभी जरूरी जानकारी भरने और भुगतान पूरा करने के बाद, आपको एक आवेदन संख्या दी जाएगी।

Comments

    राम कृष्ण

    January 16, 2024

    न्याय में देरी के सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र

    Alka Manral

    June 4, 2024

    प्रार्थना पत्र के तत्व:

    पत्र को संबंधित न्यायालय या अधिकारी के नाम पर पत्रित करें। पत्र के लिए उचित स्थान का अनुसंधान करें। यह पहले से निर्धारित न्यायाधीश के लिए हो सकता है, या दावा पर अधिकार वाले न्यायालय के लिए हो सकता है। न्यायाधीश के लिए सही उपाधि का उपयोग करें (माननीय न्यायाधीश, मुख्य न्यायाधीश, आदि)।

    पीछे के संदर्भ और संबंधित तथ्यों की स्थिति बताएं। अपने आप को परिचित कराएं और समस्या को समाधान करने के लिए आप क्या खोज रहे हैं, यह बताएं। पेशेवर ध्वनि का उपयोग करें और एक व्यापार पत्र के प्रारूप में लिखें। उसे निर्णय लेने के लिए न्यायालय को कुछ भी शामिल करें। आपको समर्थन दस्तावेज़ों को भी शामिल करने की आवश्यकता हो सकती है।

    अपनी अनुरोध को स्पष्ट रूप से कहें। न्यायालय द्वारा लिया जाने वाला कार्य शामिल करें।

    न्यायालय को एक पत्र के लिए टेम्पलेट (बच्चे की पोषण की हिफाजत के लिए)

    [आपका नाम]

    [आपका पता]

    [शहर, राज्य पिन कोड]

    [तिथि]

    [न्यायाधीश का नाम]

    [न्यायालय का नाम]

    [न्यायालय का पता]

    [शहर, राज्य पिन कोड]

    विषय: [नाम, मामला संख्या]

    [श्रीमान/श्रीमती न्यायाधीश के लिए]:
    [परिचय: शादी और आपके पूर्व-पति ने जब और जब आपके बच्चे/बच्चों का जन्म हुआ था, इसे शामिल करें। स्पष्ट रूप से बताएं कि आप क्या मांग रहे हैं, जैसे कि एकल कानूनी और शारीरिक हाकिमी, बच्चे के शिक्षा शुल्क और किसी अतिरिक्त भुगतान के लिए, जैसे कि बच्चे के स्कूल की शुल्क।]

    [शादी के पृष्ठभूमि, वर्तमान निवासी व्यवस्थाएं, अलगाव के बाद की परिस्थितियाँ समझाएं]

    [प्रत्येक माता-पिता के रोज़गार और अनुसूचित समय, देखभाल के जिम्मेदारियां, व्यय कैसे किया जाता है, कोई विशेष आवश्यकताएँ या प्रमुख विवादित मुद्दे विस्तार से बताएं]

    [यह बताएं कि आपका प्रस्तावित मातृत्व समयसारणी क्या है, और आपके बच्चे/बच्चों के लिए यह सबसे अच्छा क्यों है]

    [अपने पत्र के साथ शामिल किए गए संलग्नियों का विवरण शामिल करें, जैसे कि प्रदर्शन। सुनिश्चित करें कि आप अपने सभी अनुरोधों को समझाएं, जिसमें बच्चे के समर्थन की भुगतान शामिल हैं]

    [संक्षेप: जिन चीजों को आप न्यायालय को आदेश देने के लिए चाहते हैं, उनका स्पष्ट और संक्षेपित पुनरावलोकन]

    मैं इसे राज्य [राज्य] के कानून के दंडाधिकार के तहत झूठ का दंड का निशाना बनाता हूं।

    आपका वफादार,

    [पूरा नाम]

    Hasina

    June 10, 2024

    Sir Mera Sahara me pasad website nahi mil Raha hai hum garib logo bahut pareshan hai hamare bache bahut pareshan hai hamari ABC news wapas diye hungry logo carniven Sunday hum log apni takleef kaise bataye koi nahi Santa kitne logo SE kaha Gaya leaking question ❓❓🤔

    Sawrup solanki

    July 12, 2024

    मान्यवर
    राजस्थान हाई कोर्ट के टू चाइल्ड पॉलिसी की संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करनी हैं

    Vinita

    January 18, 2024

    मैं एक मैरिड हूं 13 से 14 साल हो गया मेरे दो बच्चे हैं और मेरे हसबैंड का बाहर किसी और से संबंध रहता था इस लिए हमारे बीच बहुत झगड़े होते थे जब नहीं माने तो धीरे-धीरे हमारे बीच दूरी बन गई एक से ढेर साल एक विशाल नाम के लड़के से हमारी फेसबुक पर मुलाकात हुई 19.11.2019
    हमारे बीच शारीरिक संबंध भी है और शादी भी किये थे शादी का फोटो नहीं है और उनके साथ बहुत सारा फोटो है मेरे पास 2 जनवरी 2024 को बहुत ज्यादा मारपीट किये मेरे साथ शारीरिक संबंध भी बनाएं उसके बाद वह मुझे छोड़ कर चले गए हैं
    अपना नंबर भी बन्द कर दिए हैं इसलिए वह थाईलैंड भाग गए मैं उनके खिलाफ कार्रवाई करना चाहती हूं प्लीज मेरी मदद करिए

    Alka Manral

    June 10, 2024

    प्रोटेक्शन ऑफ़ वुमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, 2005, धारा 4, व्यक्तियों को यह कर्तव्य प्रदान करती है कि यदि उन्हें विश्वास हो कि किसी घरेलू हिंसा का कोई कृत्य किया गया है, हो रहा है, या होने की संभावना है, तो प्रोटेक्शन अधिकारी को सूचित किया जाए। यह घरेलू हिंसा के पीड़ितों को समय पर विवेकी बाल में हस्तक्षेप और सहायता प्रदान करता है।

    एक्ट की धारा 6 के अंतर्गत, आश्रय स्थलों को अपीलकर्ता की मांग पर पीड़ित व्यक्तियों को आश्रय प्रदान करने का कर्तव्य होता है, जिससे उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित होता है।

    उसी तरह, धारा 7 के अंतर्गत, चिकित्सा सुविधाओं को पीड़ित व्यक्तियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने का कर्तव्य होता है, ताकि उनकी स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

    इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A और 406 ने विवाहित महिलाओं को उनके पतियों या संबंधियों द्वारा क्रूरता का शिकार होने से बचाने के लिए कानूनी उपाय प्रदान किया है। धारा 498A विवाहित महिलाओं को क्रूरता और परेशानी से बचाने के लिए संरक्षण प्रदान करती है, जबकि धारा 406 उपभोक्तवाद का दंड प्रदान करती है। यह प्रावधान क्रूरता के अपराधियों को डराने और दंडित करने का उद्देश्य रखते हैं और पीड़ितों को न्याय प्रदान करते हैं।

    इसके अतिरिक्त, दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 125 महिलाओं, बच्चों या माता-पिता को न्याय और लाभ के लिए धनराशि प्रदान करने के लिए संवैधानिक कानून प्रदान करती है। यह धनराशि विकलंगता और गरीबी जैसी स्थितियों से बचने के लिए सहायक होता है।

    प्रोटेक्शन ऑफ़ वुमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, 2005, धारा 4, व्यक्तियों को यह कर्तव्य प्रदान करती है कि यदि उन्हें विश्वास हो कि किसी घरेलू हिंसा का कोई कृत्य किया गया है, हो रहा है, या होने की संभावना है, तो प्रोटेक्शन अधिकारी को सूचित किया जाए। यह घरेलू हिंसा के पीड़ितों को समय पर विवेकी बाल में हस्तक्षेप और सहायता प्रदान करता है।

    एक्ट की धारा 6 के अंतर्गत, आश्रय स्थलों को अपीलकर्ता की मांग पर पीड़ित व्यक्तियों को आश्रय प्रदान करने का कर्तव्य होता है, जिससे उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित होता है।

    उसी तरह, धारा 7 के अंतर्गत, चिकित्सा सुविधाओं को पीड़ित व्यक्तियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने का कर्तव्य होता है, ताकि उनकी स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

    इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A और 406 ने विवाहित महिलाओं को उनके पतियों या संबंधियों द्वारा क्रूरता का शिकार होने से बचाने के लिए कानूनी उपाय प्रदान किया है। धारा 498A विवाहित महिलाओं को क्रूरता और परेशानी से बचाने के लिए संरक्षण प्रदान करती है, जबकि धारा 406 उपभोक्तवाद का दंड प्रदान करती है। यह प्रावधान क्रूरता के अपराधियों को डराने और दंडित करने का उद्देश्य रखते हैं और पीड़ितों को न्याय प्रदान करते हैं।

    इसके अतिरिक्त, दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 125 महिलाओं, बच्चों या माता-पिता को न्याय और लाभ के लिए धनराशि प्रदान करने के लिए संवैधानिक कानून प्रदान करती है। यह धनराशि विकलंगता और गरीबी जैसी स्थितियों से बचने के लिए सहायक होता है।

    अनिल सुर्यावंशी

    May 20, 2024

    श्री मान मुख्य न्यायाधीश चन्द्रचूड साहब से मेरा निवेदन हैं कि सर मेरे पिता जी पर मेरे गांव के 9 लोगों ने मेरे घर मे घुस कर जान लेवा हमला किया, और मेरी माता बहनों पर गलत तरिके से व्यवहार किया , अत श्री मान जी मध्यप्रदेश प्रशासन द्वारा कोई उच्चित कार्यवाही नहीं कि जा रही हैं , अंत श्री मान जी चन्द्रचूड साहब से निवेदन हैं, कि आप यहा मामला आपके संज्ञान में ले

    आवेदन करता : अनिल सुर्यावशी
    तहसील कालापीपल
    पोस्ट :भुरिया खजूरिया
    जिला : शाजापुर
    राज्य : मध्यप्रदेश
    पिन : 465337

    Anupam aadesh Tiwari

    May 31, 2024

    Mujhe Apne Pati ke khilaf complaint karvani hai mere husband mere ko jabardasti Delhi bhej diye mere mummy papa ke pass mujhe ek par se nahin de rahe hain aur ladkiyon ke sath dhandha karte Hain main bahut pareshan hun mera ek beta bhi hai 9 sal ka usko lekar main Kahan jaaun mere mayke Wale itne saksham nahin hai hotel main room lekar soye Hain pata nahin kaun se hotel mein hai har baat per jhooth bolate Hain mere se koi matlab nahin rakhte sasural Wale bhi mere Sahi nahin hai sasural mein jab jaati Hun to vah log mere upar mitti ka tel dal kar jalate Hain ek bar Maine police bhi khulvaya tha vah log complain wapas karva liya pata nahin kaise yah log hamesha mere se Dahej mangte Hain Kahan se main lekar aaun mere man baap bahut bujurg Hain daru pikar aate Hain mujhe maarte Hain Kolkata ki ek ladki hai usse yah hamesha baat karte hain 2:00 baje raat ko call Karti hai vah ladki usko hamesha paise dete Hain inko ulti Sidhi tasvir bhejti hai mujhe lagta hai vah Kolkata mein abhi hai filhal main live location mang rahi hun nahin de rahe hai kya Karun sar main bahut pareshan hun Dahej mein itna Sara sabko Diya bhi gaya tha fir bhi yah log mere se Dahej mangte Hai inke mummy papa bhi Mera divorce karvana chahte Hain unke bhai mere se jabardasti karte the Ghar per jab thi main inke didi jija hi use ladki se Inka sampark karvaya hai Inka pura Parivar use ladki ko jante Hain sar Mera Ghar Tut raha hai please meri madad kariye ek Bank wala hai uske sath yah grant road mein Kamra karke jaate Hain Paisa bhi achcha khasa kamate Hain lekin ₹1 mujhe nahin dete Hain sirf 200 ke alava mere mummy papa Delhi mein rahte hain rent per main Apne bacche ka kaise parvarish Karun mujhe kuchh samajh mein nahin a raha hai Mera Aadhar card pan card lekar ke itna Sara Bank salon uthae Hain mujhe kuchh pata lagta hi nahin hai main itni padhi likhi nahin hun sar main bhi de diya tha PAN card mujhe kya pata yah itna Sara loan utha rahe hain darvaje per Aakar sab MI wale gali de dekar ja rahe hain sab log mera photo dikha rahe hain mere Aadhar card pan card se paise uthae Hain bank se Mera jevar bhi sab girvi Rakha hua hai Mera Bhai bhi Mumbai mein kam Karta tha uska Paisa bhi sab le liye hain aur ₹50000 mahine bhi kamate hain itna Sara laun uthae paise bhi kamate Hain sab paise ja kahan Raha hai sar mujhe kuchh maloom nahin hai ek minut mere ko time nahin dete Hain din Raat Ghar se gayab rahte hain Apne kahin jaenge to flight se jaenge mujhe Delhi bheje Hain sleeper ticket karva ke vah bhi bacche ka ticket bhi nahin banvae the ₹700 fine maar liya Delhi Kolkata Bengaluru sab jagah ghumne jaate Hain Chennai Jahan bhi jaenge akele jaate Hain mujhe kahin lekar nahin jaate meri ek Padosan uske ghar mein दो-दो baje raat ko jaate Hain daru pikar usko ulta sidha bolate Hain usko bhi achcha lagta hai inke dost hain Rajesh Sonu Arvind Ashok Gaurav Tiwari Bank wala hai yahi charni road lekar jata hai bolata main tumhara loan pass karvaunga sabse do do lakh rupaye byaaj per liye hain Sara Paisa pata nahin kahan ja raha hai kuchh bhi ghar mein karte mujhe kuchh bhi nahin maloom sabke sath resort mein jaate Hain Apne doston ke sath main jab se Mumbai se I hun tab se sabke sath ghoom rahe hain mujhe ₹1 nahin de rahe hain sir please meri madad kariye main hath jod rahi hun pahli baat mujhse koi sharirik sambandh nahin rakhte Hain yah shaadi ham donon ki marji se hua hai jab tak mera beta nahin hua tha tab tak mujhe mante the jab se use ladki ke chakkar mein pade Hain tab se Puri tarah se barbad ho gaye hain aur yah dost log jab se inki jindagi mein aaye Hain tab se Puri tarah barbad Ho Gaye Mera Ghar Puri tarah se tut gaya hai dusron ki aurat se bahut hanskar baat karte mujhe dekhna nahin chahte paise bhi kamate hain do 2000 ka daru Pi jaate Hain aur randikhana mein jaate Hain Mumbai mein hamen lagta hai Kolkata aaye ham Bata nahin rahe hain bol rahe hai Kam nahin chal raha hai Kam nahin chala to kaise hotel mein ruke Hain main jab rahti thi ghar ka khana nahin khate the main jab se I hun meri Padosan ke yahan roj daily khana khate Hain uska naam Puja hai main jab rahti thi nalasopara mein kab bhi ghar per nahin aate the jab se main Delhi I hun daily nalasopara jaate Hain mujhe bilkul pasand nahin karte inke bare mein bahut sari baat hai mujhe utha kar jhatak dete mujhe bahut maarte hain daru pikar sabko gali dete Hain

    महेंद्र /बाबुराम, मेहरो की ढाणी शेखनगर, पीपाड़ शहर जोधपुर राजस्थान

    June 13, 2024

    नमस्कार श्रीमान् जी, मेरे दादा जी 2 भाई सगे थे, लेकिन श्रीमान् जी किसी कारण से, मेरे दादा जी के बड़े भाई ने जमीन अपने बच्चों के नाम ज्यादा करवा दी, ओर मेरे दादा जी को बराबर हिस्सा जायदाद का नहीं मिला है, अतः हम रोजाना उनको जमीन मेरे नाम करवाने को कहते हैं लेकिन वो बोलते है, करवा देंगे, अब मेरी जमीन नाम नहीं करवा रहे हैं, क्या करू.. या तो कोर्ट में रिट दायर करू.. या क्या करूँ

    रमाकांत पान्डेय

    October 10, 2024

    विषय – आजमगढ़ जनपद के मेहनगर तहसील में तहसीलदार पद पर तैनात चमन सिंह द्वारा मोटी रकम लेकर उपजिलाधिकारी न्यायालय के निरस्त आदेश को पुनः बहाल किये जाने के संबंध में

    महोदय
    विनम्र निवेदन के साथ अवगत कराना है यह हैं कि न्यायालय तहसीलदार वाद संख्या -120/2024 मीरा पाण्डेय विधवा व अग्रीमा उर्फ गुनगन नाबालिक उम्र ढ़ाई वर्ष बनाम विष्णु दत्त कंप्यूटरीकृत वाद संख्या T- 20141506051201 अंतर्गत धारा 34/35 उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम 1901 आदेश तिथि 07/10/2024 अंतिम आदेश निर्णय में तहसीलदार मेहनगर चमन सिंह द्वारा मोटी रकम लेकर न्यायालय उपजिलाधिकारी मेहनगर के 18/08/2023 के निरस्त आदेश को पुनः बहाल कर दिया गया हैं। जो विधि संवत के विरुद्ध हैं।
    1- यह कि उक्त वाद पत्रावली में फर्जी वादीनी के संबंध में आपत्तिकर्ता रमाकांत द्वारा पर्याप्त साक्ष्य सबूत दिया गया। तथा वादीनी के न्यायालय में अनुपस्थित रहने पर भी क्रेता दारो से मोटी रकम लेकर फर्जी वादीनी के पक्ष में तहसीलदार मेहनगर चमन सिंह द्वारा वरासत का आदेश पारित किया गया हैं। जिससे यह सिद्ध होता हैं कि मोटी रकम लेकर 16/09/2014 में त्रुटि आदेश को तहसीलदार मेहनगर चमन सिंह द्वारा बहाल किया गया हैं।
    2- यह कि तहसीलदार चमन सिंह द्वारा अपने आदेश निर्णय में उल्लेख किया गया हैं कि प्रतिवादी रमाकांत द्वारा पूर्व में न्यायालय में उपस्थित होकर अपने को तथा अपनी नाबालिक पुत्री को वारिस का अनूरोध किया हैं। जो सरा सर असत्य व निराधार हैं। जबकि प्रतिवादी रमाकांत के पास न तो कोई पुत्री हैं न ही प्रतिवादी रमाकांत द्वारा किसी न्यायालय या किसी सक्षम अधिकारी के यहां उपस्थित होकर कोई बयान हीं दिया हैं। जिसका कोई प्रमाण भी वाद पत्रावली में नहीं हैं।
    3- यह कि तहसीलदार चमन सिंह द्वारा अपने निर्णय में यह उल्लेख किया गया हैं कि तहसील दिवस में आयुक्त महोदय के आने पर मीरा द्वारा वहा उपस्थित होकर प्रार्थना पत्र दी तो आयुक्त महोदय जी ने तहसीलदार को तत्काल निस्तारण करने का आदेश दिया गया जो कथन भ्रामक व असत्य है। मीरा शादी शुदा महिला थी। मीरा ने कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया था । जिसका उल्लेख तहसीलदार द्वारा निर्णय में किया गया हैं उसका रिकार्ड वाद पत्रावली में भी नहीं हैं इससे यह सिद्ध होता है कि
    तहसीलदार चमन सिंह ने मनमाने ढंग से वाद पत्रावली के निर्णय में बढ़ा चढ़ा कर लिखा गया हैं।
    4- यह कि तहसीलदार चमन सिंह द्वारा अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया गया हैं कि प्रतिवादी रमाकांत की बहन विभा ने भी बयान में कहां कि मीरा मेरी भाभी हैं उसकी एक नाबालिक पुत्र हैं। जो सरा सर असत्य व निराधार हैं। हम प्रतिवादी रमाकांत की कोई बहन हैं हीं नही तो कहां से विभा बहन हों गई। यह अपने आप में एक बड़ा सवाल हैं।
    5- यह कि तहसीलदार चमन सिंह द्वारा पूर्व के त्रुटि पूर्ण विरासत आदेश को बहाल करने के लिए चार क्रेता दारो से मोटी रकम लिया जाना प्रतित हो रहा हैं।जो न्याय विरुद्ध हैं।
    6- यह कि मेहनगर तहसीलदार चमन सिंह द्वारा अपने निर्णय में प्रस्तुत शपथ पत्र को संदिग्ध प्रतीत होता हैं दिखया गया हैं। तो सवाल यह खड़ा करता हैं कि अगर संदिग्ध था तो आदेश के पहले क्यों नहीं तहसीलदार द्वारा पुष्ट किया गया कि संदिग्ध हैं या असल हैं। इस नाते तहसीलदार चमन सिंह के निर्णय आदेश को ग़लत साबित करने का पर्याप्त आधार है।
    7- यह कि मेहनगर तहसीलदार महोदय अपने निर्णय में यह उल्लेख किया है कि प्रस्तुत शपथ पत्र संदिग्ध लग रहा हैं। जबकि न ही शपथकर्ती को बुलाया गया न ही तहसीलदार महोदय द्वारा शपथ पत्र की जांच ही कराया गया। इससे यह सिद्ध होता हैं कि मेहनगर तहसीलदार चमन सिंह द्वारा मोटी रकम लेकर पूर्व के त्रुटि पूर्ण 16/09/2014 के आदेश को बहाल किया गया हैं।
    8- यह कि मेहनगर तहसीलदार चमन सिंह द्वारा अपने निर्णय में यह उल्लेखित किया हैं कि वाद जिस समय दाखिल किया गया हैं उस समय वह विष्णु दत्त की विधवा मीरा थी तथा विष्णु दत्त के स्थान पर उनकी उनका व उनकी नाबालिक पुत्री हीं वारिस थीं। जो सरा सर असत्य व निराधार हैं। मीरा पहले से ही एक शादी शुदा औरत थी तो कहां से विधवा हो गई। यह सवाल भी उठता हैं कि आखिर पत्रावली उपजिलाधिकारी न्यायालय इन्हीं साक्ष्य सबूत को जांचने व परखने के लिए वरासत पत्रावली तहसीलदार न्यायालय में पुनः प्रत्यावर्तित हुई थी लेकिन तहसीलदार चमन सिंह द्वारा बिना जांचे-परखे ही शादी शुदा महिला को विष्णु दत्त की विधवा मान कर वरासत कर दिया गया जो राजस्व अधिनियम में वर्णित धाराओं के विरुद्ध हैं।
    9- यह कि तहसीलदार महोदय जी द्वारा जो उल्लेख किया गया हैं कि वरासत के समय वह विष्णु की विधवा थी यह असत्य है जबकि मीरा एक शादी शुदा थीं। वरासत दौरान भी प्रतिवादी रमाकांत ने मीरा के शादी का उल्लेख किया गया था जब तक प्रतिवादी साक्ष्य न्यायालय तहसीलदार को देता की बिना कोर्ट बैठे हीं विरासत आदेश पैसे के बल पर क्रेताओं ने करा लिया। जिसका जिक्र खुद वादनी द्वारा अपने शपथ पत्र में किया गया हैं।
    10- यह कि तहसीलदार द्वारा अपने निर्णय में यह उल्लेख किया है कि पूर्व पारित आदेश दिनांक 16/09/2014 विधिसंगत हैं जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं हैं। जिससे आदेश दिनांक 16/09/2014 बहाल किया जाना उचित प्रतीत होता हैं। जो विधि संवत के विरुद्ध हैं। उक्त त्रुटि पूर्ण आदेश को बहाल करने से यह सिद्ध होता हैं कि तहसीलदार चमन सिंह द्वारा मोटी रकम लेकर 16/09/2014 के त्रुटि पूर्ण आदेश को बहाल किया गया हैं।
    11- तहसीलदार चमन सिंह द्वारा मोटी रकम लेकर मनमाने ढंग से साक्ष्य सबूत को नज़र अंदाज़ कर उपजिलाधिकारी न्यायालय से निरस्त आदेश को प्रत्यावर्तित पत्रावली में निरस्त आदेश को पुनः बहाल किया गया हैं । जो हित बध नही हैं
    अतः श्रीमान जी से विनम्र निवेदन हैं कि उक्त पत्रावली का संज्ञान लेने की महती कृपा करें जिससे पीड़ित के साथ न्याय हो सकें पीड़ित आप का आजीवन आभारी रहेगा।
    प्रार्थी
    रमाकांत पान्डेय पुत्र सत्यदेव पान्डेय
    ग्राम गोपालपुर थाना मेहनगर तहसील मेहनगर जनपद आजमगढ़ मोबाईल – 9838825561

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