बैंक लापरवाही से/गलत ढंग से चेक बाउंस कर रहे हैं

आखिरी अपडेट Aug 11, 2022

बैंकों द्वारा लापरवाही/गलत ढंग से चेक बाउंस करने के मामले भी हो सकते हैं। हो सकता है कि बैंक द्वारा चेक गलत तरीके से बाउंस हो गया हो। यह बैंक की ओर से लापरवाही या गलती के कारण हो सकता है। यह उपभोक्ता कानून में ‘सेवा में कमी’ के अपराध के बराबर है।

अगर आपके द्वारा जारी किए गए चेक के साथ ऐसा हुआ है तो आप बैंक के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज करा सकते हैं।

बैंक अधिकारियों की ओर से चूक या लापरवाही के कारण डिमांड ड्राफ्ट का बाउंस होना जैसे हस्ताक्षर न करना, कोड नंबर का उल्लेख करने में विफलता आदि को भी सेवा में कमी के रूप में माना गया है।

Comments

    Padam Chand Gupta

    October 17, 2023

    Bank return a cheque with reason exceed arrangement by which a sec 138 N I Act case is lodged against me . I was authorised signatory of cheque of the company which I left before 5 months of cheque bounce.
    As bank was already informed 2 months before cheque return by fresh board resolution that I am no more authorised signatory.
    Bank confirmed me on RTI that when cheque returned you were not authorised signatory.
    But not giving a correct return memo that cheque not signed as per mandate on record instead false reason of Exceed arrangement saying because no balance was in account when cheque presented
    As per RBI rule nd section 10 N I Act bank can not pay the cheque even if the account had balance because cheque was not perfectly drawn
    Can I file a FIR on bank official who fraudulently return cheque with false reason just for implicate in a criminal case..under breach of trust, cheating, fraud in cheque return memo of forgery.
    Because if bank give correct return memo cheque bounce case not sustainable against me.
    Thanks

    Alka Manral

    June 4, 2024

    Collect all pertinent documents, such as the RTI response and board resolutions, and engage in open communication with the bank officials to resolve the issue amicably. If discussions prove ineffective, consider filing a complaint with the Banking Ombudsman, an independent authority for banking disputes. If you suspect fraudulent activities by bank officials, consult your lawyer before contemplating the filing of an FIR with the police. Finally, explore potential legal remedies with your attorney, considering the complexities of your case and the available courses of action. Seeking personalized legal advice is crucial in navigating the intricacies of the legal system.
    Section 468 pertains only to the cases where forgery is for cheating. Forgery has been explained before as concerning the presence of one or other of the two elements of dishonesty or fraud.
    Proof: the prosecution has to prove that the:
    • Accused committed forgery.
    • That he did so with the intention that the document forged shall be used for cheating.
    Section 465 of the Indian Penal Code deals with the penalty for forgery in India. As per this Section, the offence is punishable by a jail cycle elongating up to 2 years or fine or both. It is a non-cognizable, bailable offence in India that is triable by a Magistrate of the first class.
    Lastly, it is advisable for you to seek help from a lawyer.

    गुरुचरण सिंह

    May 23, 2024

    चेक बाउंस में रिटर्न मेमो पर बैंक की सील होती हैं या नहीं होती हैं।और चेक पर आगे पीछे चेक बाउंस की बैंक की सील होती है या नहीं होती है

    Suneel Kirar

    August 10, 2024

    Check ban huns pe konse benk ki sheel lagti hai

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उपभोक्ता शिकायतों के प्रकार

उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत प्रत्येक व्यक्ति को निम्नलिखित प्रकार की उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने का अधिकार है |

बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करना

प्रत्येक बैंक को अपने पते पर शाखा बैंकिंग लोकपाल का विवरण प्रदर्शित करना आवश्यक है जिसके अधिकार क्षेत्र में शाखा आती है।

ग्राहक दायित्व

ग्राहक को किसी तीसरे पक्ष के साथ भुगतान क्रेडेंशियल प्रकट नहीं करना चाहिए। यदि कोई ग्राहक ऐसा करता है तो लापरवाह के कारण देनदारी बढ़ जाएगी।

बैंक में शिकायत दर्ज करना

शिकायत संख्या को नोट करना न भूलें और उसी नंबर का उपयोग करके आगे की कार्यवाही करें। बैंक को आपके ईमेल की स्वीकृति देनी चाहिए।

उपभोक्ता शिकायत मंच

उपभोक्ता संरक्षण कानून संबद्ध प्राधिकरणों को निर्दिष्‍ट करता है कि कोई उपभोक्ता-अधिकारों का उल्‍लंघन होने पर उनसे संपर्क कर सकता है।

सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं क्या हैं

सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाएं हैं, जो नागरिकों के लिए आवश्यक सेवाएं होती हैं।