एसिड अटैक क्या होता है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारी दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के इरादे या सोच के साथ एसिड को लेकर कुछ भी करने का प्रयास – जैसे किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकना या किसी व्यक्ति को एसिड पिलाना – अपराध के अंतर्गत आता है। इसे एसिड अटैक कहते हैं। एसिड अटैक से व्यक्ति को शरीर के किसी भी हिस्से में चोट आ सकती है, जैसे:

• किसी व्यक्ति को स्थायी (परमानेंट) या आंशिक (पार्शियल) क्षति या विकृति

• शरीर के किसी भी हिस्से का जल जाना

• किसी व्यक्ति की अपंगता, विरूपता या किसी भी प्रकार की विकलांगता।

भले ही एसिड अटैक की मुख्य परिभाषा भारतीय दंड संहिता, 1860 में दी गई है, भारत के विधि आयोग ने भी एसिड अटैक को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के एक रूप में परिभाषित किया है, जहां अपराधी किसी व्यक्ति या वस्तु पर उसे विकृत करने या मारने के लिए एसिड फेंकता है।

एसिड अटैक कहीं भी हो सकता है। एसिड अटैक की घटनाएं अक्सर घर में, सड़कों पर और यहां तक ​​कि कार्यस्थलों पर भी हुई हैं।

 

एसिड अटैक क्या होता है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारी दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के इरादे या सोच के साथ एसिड को लेकर कुछ भी करने का प्रयास – जैसे किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकना या किसी व्यक्ति को एसिड पिलाना – अपराध के अंतर्गत आता है। इसे एसिड अटैक कहते हैं। एसिड अटैक से व्यक्ति को शरीर के किसी भी हिस्से में चोट आ सकती है, जैसे:

• किसी व्यक्ति को स्थायी (परमानेंट) या आंशिक (पार्शियल) क्षति या विकृति

• शरीर के किसी भी हिस्से का जल जाना

• किसी व्यक्ति की अपंगता, विरूपता या किसी भी प्रकार की विकलांगता।

भले ही एसिड अटैक की मुख्य परिभाषा भारतीय दंड संहिता, 1860 में दी गई है, भारत के विधि आयोग ने भी एसिड अटैक को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के एक रूप में परिभाषित किया है, जहां अपराधी किसी व्यक्ति या वस्तु पर उसे विकृत करने या मारने के लिए एसिड फेंकता है।

एसिड अटैक कहीं भी हो सकता है। एसिड अटैक की घटनाएं अक्सर घर में, सड़कों पर और यहां तक ​​कि कार्यस्थलों पर भी हुई हैं।

रैगिंग क्या है?

एक शिक्षण संस्थान के किसी अन्य छात्र के खिलाफ एक छात्र द्वारा किये गये किसी भी शारीरिक, मौखिक या मानसिक दुर्व्‍यवहार को रैगिंग कहते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सा छात्र इसे करता है या किस छात्र के साथ यह दुर्व्यवहार किया जाता है (यह एक फ्रेशर / नवागत हो सकता है या एक वरिष्ठ भी हो सकता है)-हर हाल में यह एक रैगिंग का अपराध है। रैगिंग कई कारणों से हो सकती है, जैसे आपकी त्वचा, नस्‍ल, धर्म, जाति, प्रजातीयता, जेंडर, यौनिक रुझान, रूप-रंग, राष्ट्रीयता, क्षेत्रीय मूल, आपकी बोली, जन्म स्थान, गृह स्थान या आर्थिक पृष्‍ठभूमि के कारण।

रैगिंग कई अलग-अलग रूप ले सकती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र किसी अन्य छात्र को उसके काम करने के लिए धौंस दिखाता है या किसी छात्र को कॉलेज समारोह जैसी परिसर की गतिविधियों से बाहर रखा जाता है, तो उसे रैगिंग माना जाता है।

मानसिक चोट, शारीरिक दुर्व्‍यवहार, भेदभाव, शैक्षणिक गतिविधि में व्‍यवधान आदि सहित छात्रों के खिलाफ रैगिंग के विभिन्न रूपों को कानून, दंडित करता है।

रैगिंग पर कानून

रैगिंग पर कानून को उच्च शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए यूजीसी विनियमन, 2009 के बतौर जाना जाता है। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त, केंद्र सरकार द्वारा घोषित संस्थानों समेत उच्चतर अध्ययन के सभी शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग को प्रतिबंधित करता है। इन सब संस्थानों के भीतर, रैगिंग इस प्रकार से निषिद्ध है-

  • एक शैक्षिक संस्थान में सभी विभाग,
  • परिसर के अंदर या परिसर के बाहर, संस्‍थान के छात्रों द्वारा इस्‍तेमाल किये जाने वाले किसी भी परिवहन सहित।

रैगिंग पर कुछ शिक्षण संस्थानों के अपने नियम हैं। उदाहरण के लिए, ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के पास रैगिंग पर दिशानिर्देशों की अपनी एक नियमावली है।

राज्य के कानून

कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में रैगिंग को प्रतिबंधित करने व रोकने के लिहाज़ से विभिन्न राज्यों ने कानून पारित किये हैं, जो केवल उन संबंधित राज्यों में ही लागू होते हैं। ये राज्य हैं आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, त्रिपुरा, आदि।

रैगिंग के लिए सज़ा

यदि कोई छात्र रैगिंग में लिप्त पाया जाता है, तो उसे या तो संस्‍थागत स्‍तर पर दंडित किया जा सकता है (उदाहरण के लिए, निलंबन द्वारा) या उसके खिलाफ पुलिस मामला दर्ज कर; भारतीय दंड संहिता, 1860 का उपयोग रैगिंग के अपराध को दंडित करने के लिए किया जा सकता है। आगे और पढ़ें

अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें

कानून किस की सुरक्षा करता है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

कानून सभी व्यक्तियों को एसिड अटैक से सुरक्षा प्रदान करता है, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो। इसके अलावा, सर्वाइवर की उम्र को लेकर कानून में कोई विशेष प्रावधान नहीं है। इसलिए, एसिड अटैक, चाहे वह किसी भी उम्र के व्यक्ति पर किया गया हो, कानून के तहत दंडनीय है। कानून उन विदेशियों को भी सुरक्षा प्रदान करता है, जिनके ऊपर भारत में रहने के दौरान एसिड हमले हुए और वे ज़िंदा बच गए।

 

 

रैगिंग माने जाने वाले कृत्य

छात्रों के अनेक कृत्‍यों को कानून के तहत रैगिंग माना जाता है। रैगिंग के रूप में माने जाने वाले कुछ कृत्‍य हैं-

मानसिक दुर्व्‍यवहार

किसी छात्र को मानसिक क्षति पहुंचाना कानून के तहत रैगिंग माना जाता है। इसमें ये ये शामिल हो सकते हैं-

  • किसी छात्र द्वारा किया गया कोई भी आचरण, चाहे वह लिखित, मौखिक या व्यवहार-संबंधी हो, जो किसी दूसरे छात्र के साथ छेड़छाड़ या क्रूर व्यवहार करता हो। उदाहरण के लिए, किसी छात्र को अपमानजनक नामों से बुलाना।
  • उपद्रवी या अनुशासनहीन व्यवहार जिसके कारण किसी भी छात्र को झुंझलाहट, कठिनाई या मानसिक नुकसान हो सकता है। इसमें ऐसे मानसिक नुकसानों, झुंझलाहट या कष्ट की आशंका या डर भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, एक छात्र की नोटबुक्‍स चोरी करना और फेंक देना।
  • एक छात्र को एक ऐसा काम करने के लिए कहना, जो वह सामान्य रूप से नहीं करेगा, और जिसके कारण उसे शर्म, पीड़ा या शर्मिंदगी महसूस होती है, और उसके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, भरी कक्षा में किसी छात्र से मजबूरन डांस करवाना।
  • कोई भी काम जो एक छात्र के मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास को प्रतिकूल प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, किसी छात्र से कक्षा के सामने मजबूरन डांस करवाना और उसके लिए उसकी खिल्‍ली उड़ाना।
  • एक ऐसा कृत्‍य या दुर्व्‍यवहार, चाहे वह लिखित हो, मौखिक या ऑनलाइन (ईमेल, पोस्ट आदि), जिसके परिणामस्वरूप एक छात्र असहज हो जाए। इसमें प्रताड़‍ित होने वाले छात्र की कीमत पर इस तरह के कृत्‍य में भागीदारी के द्वारा मजे लेना शामिल है। उदाहरण के लिए, किसी छात्र के बारे में ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर अफवाहें फैलाना।

शैक्षणिक क्रि‍याकलाप में व्‍यवधान

रैगिंग किसी छात्र की पढ़ाई-लिखाई में खलल डाल सकती है। यदि कोई भी छात्र किसी अन्य छात्र की नियमित शैक्षणिक गतिविधि को रोकता या बाधित करता है, तो यह रैगिंग है। उदाहरण के लिए, यदि कोई वरिष्ठ छात्र किसी जूनियर छात्र को कक्षा में इतना परेशान करता है कि वह कक्षाओं में जाना बंद कर देता है, तो इसे रैगिंग माना जा सकता है।

किसी छात्र का उपयोग करना या उसका शोषण करना

रैगिंग दूसरे छात्र के शोषण का रूप ले सकती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र अपना होमवर्क किसी और छात्र से करवाता है, तो उसे रैगिंग माना जा सकता है। निम्नलिखित को रैगिंग के रूप में माना जाता है-

  • किसी व्यक्ति / समूह को सौंपे गए शैक्षणिक कार्यों को पूरा करने के लिए किसी भी छात्र का शोषण करना। उदाहरण के लिए, एक छात्र द्वारा कुछ अन्य छात्रों के होमवर्क असाइनमेंट करवाना।
  • पैसे की जबरन वसूली या किसी भी छात्र से जबरन खर्च करवाना। उदाहरण के लिए, एक छात्र से दूसरे छात्र/छात्रों के खर्चों का भुगतान करवाना।

शारीरिक शोषण

रैगिंग शारीरिक शोषण और हिंसा का रूप ले सकती है। निम्नलिखित को रैगिंग के रूप में माना जाता है-

  • उपद्रवी या अनुशासनहीन व्यवहार, जिसके कारण किसी भी छात्र को शारीरिक नुकसान होने की संभावना है, या कोई भी ऐसा काम जो किसी को शारीरिक नुकसान पहुंचाता है या पहुंचा सकता है या ऐसा डर पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र को पीटने की धमकी देना।
  • किसी छात्र को एक ऐसा काम करने के लिए कहना, जो वह सामान्य रूप से नहीं करेगा, और जिसके कारण उसे शर्म, पीड़ा या शर्मिंदगी महसूस होती है, और उसके शारीरिक हाल-चाल पर बुरा असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र की पिटाई करना क्योंकि उसने किसी काम को करने के लिए वरिष्ठ के आदेशों का पालन नहीं किया था।
  • मारपीट, कपड़े उतरवाने, जबरन अश्लील और भद्दी हरकतें या इशारे आदि समेत यौन शोषण। उदाहरण के लिए, एक महिला छात्रा को जबरन कपड़े उतारने के लिए कहना।
  • कोई भी ऐसा काम जो किसी छात्र को शारीरिक नुकसान या किसी अन्य खतरे का कारण बनता है। मसलन, एक छात्र के भोजन में जुलाब डालना।

किसी अन्‍य छात्र के साथ भेदभाव करना

रैगिंग दूसरे छात्र के खिलाफ भेदभाव और पूर्वाग्रह का रूप ले सकती है। आपकी त्वचा, जाति, धर्म, जाति, नस्ल, लिंग, यौनिक रुझान, रंग-रूप, राष्ट्रीयता, क्षेत्रीय मूल, भाषाई पहचान, जन्म स्थान, निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर किसी भी दुर्व्‍यवहार को रैगिंग के रूप में माना जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी छात्रा को उसके क्षेत्रीय मूल के आधार पर लगातार छेड़ा जाता है और उसे अपशब्‍द कहे जाते हैं, या उसका उपहास किया जाता है क्योंकि वह अन्य छात्रों की तुलना में कमतर सामाजिक-आर्थिक स्‍तर से आती है, तो इसे रैगिंग माना जा सकता है।

रैगिंग के पीछे की मंशा कोई मायने नहीं रखती; भले ही यह मज़े के लिए किया गया हो, या खुशी हासिल करने के लिए, या अधिकार या श्रेष्ठता जतलाने के लिए-भारतीय कानून के तहत रैगिंग एक अपराध है।

यदि आपकी रैगिंग की जा रही है, तो आप कॉलेज के अधिकारियों या पुलिस से शिकायत कर सकते हैं।

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इस कानून के तहत किसी व्यक्ति के क्या-क्या अधिकार हैं?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

एसिड अटैक के सर्वाइवर को कानून के तहत निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं:

चिकित्सा उपचार लेने का अधिकार 

एसिड अटैक के सर्वाइवर को सरकारी और प्राईवेट अस्पतालों में इलाज कराने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक अपराधों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जहां उन्होंने कहा है कि:

• कोई भी अस्पताल या क्लिनिक विशेष सुविधाओं की कमी का बहाना देते हुए एसिड अटैक सर्वाइवर के इलाज से इनकार नहीं कर सकता।

• सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को सर्वाइवर को प्राथमिक चिकित्सा और चिकित्सा उपचार निःशुल्क उपलब्ध कराना होगा।

कोर्ट ने पीड़ितों के इलाज और पुनर्वास की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दी है। इसके अतिरिक्त, कोर्ट राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपेक्षा करता है, जो एसिड अटैक सर्वाइवर का इलाज करने से इनकार करते हैं।

शिकायत दर्ज करने का अधिकार 

एसिड अटैक सर्वाइवर को भी अपराधी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। सर्वाइवर के रिश्तेदार, दोस्त या परिचित, कोई भी व्यक्ति जिसने अपराध देखा है, या कोई भी व्यक्ति जिसे अपराध के बारे में पता चलता है, शिकायत दर्ज कर सकता है। अन्य व्यक्तियों की सूची देखने के लिए जो शिकायत दर्ज कर सकते हैं, यहां देखें।

दर्ज की गई शिकायत को प्रथम सूचना रिपोर्ट (“एफआईआर”) के रूप में जाना जाता है। एफआईआर एक दस्तावेज है जिसमें वह जानकारी होती है जिसे एक पुलिस अधिकारी अपराध की सूचना मिलने पर भरता है। एफआईआर दर्ज करने का तरीका जानने के लिए, आप हमारे एक दूसरे लेख ‘एफआईआर कैसे दर्ज करें’ को पढ़ सकते हैं।

किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की जा सकती है, भले ही वह जगह जहां अपराध हुआ है उसके अधिकार क्षेत्र में आती हो या नहीं। इसके बाद यह जानकारी अपेक्षित क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को स्थानांतरित(ट्रांसफर) कर दी जाएगी। इस अवधारणा को आम तौर पर एक शून्य प्राथमिकी या जीरो एफआईआर के रूप में जाना जाता है। जीरो एफआईआर के बारे में अधिक समझने के लिए, आप ‘एफआईआर कहां दर्ज की जा सकती है’ पर हमारे लेख को पढ़ सकते हैं।

मुआवजे का अधिकार 

एसिड अटैक सर्वाइवर को राज्य सरकार से मुआवजे की मांग करने का अधिकार है। पीड़ित मुआवजा योजना को 2018 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया था, इसे राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया था। यह योजना एसिड अटैक सर्वाइवर के साथ-साथ यौन उत्पीड़न, हत्या, अपहरण आदि सहित यौन अपराधों के लिए अनिवार्य मुआवजे का प्रावधान करती है। मुआवजे के अलावा, इस योजना के तहत, सर्वाइवर को न्यायालय द्वारा लगाये जुर्माने की राशि प्राप्त होती है, जिसका अपराधी अपराध करने के लिए भुगतान करता है।

विभिन्न राज्य सरकारों ने एसिड अटैक सर्वाइवर के लिए पीड़ित मुआवजा योजनाएं बनाई हैं। यह ध्यान में रखते हुए कि राज्य की योजनाओं में एकरूपता की कमी है, और इनमें से अधिकांश योजनाओं में निर्दिष्ट मुआवजे की राशि बहुत कम है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि:

• प्रत्येक सर्वाइवर को राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम 3 लाख रुपये की राशि प्रदान की जानी चाहिए। यह न्यूनतम राशि है, और जहां आवश्यक हो, राज्य सरकार अधिक राशि प्रदान कर सकती है।

• कोई भी मुआवज़ा राशि न केवल सर्वाइवर की शारीरिक चोटों बल्कि पूर्ण रूप से जीवन जीने में उनकी अक्षमता को भी ध्यान में रखकर तय होना चाहिए। 17

• संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के मुख्य सचिव/प्रशासक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस राशि का भुगतान किया जा चुका है।

सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के लिए विभिन्न राज्यों की योजनाओं, वन-स्टॉप सेंटरों, सुरक्षा अधिकारियों और हेल्पलाइन नंबरों के संपर्क आदि ज़रूरी जानकारी के बारे में अधिक जानने के लिए, सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के बारे में के लिए न्याया मैप को देखें।

भारत में राज्य पीड़ित मुआवजा योजनाओं की सूची नीचे दी गई है:

राज्य  योजना का नाम 
अरुणाचल प्रदेश अरुणाचल प्रदेश पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
असम असम पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
बिहार बिहार पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
चंडीगढ़ चंडीगढ़ पीड़ित सहायता योजना, 2012
दादरा और नगर हवेली दादरा और नगर हवेली पीड़ित सहायता योजना, 2012
दमन और दीव दमन और दीव पीड़ित सहायता योजना, 2012
दिल्ली दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना, 2015
गोवा गोवा पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
गुजरात गुजरात पीड़ित मुआवजा योजना, 2013
हरियाणा हरियाणा पीड़ित मुआवजा योजना, 2013
हिमाचल प्रदेश हिमाचल प्रदेश (अपराध का शिकार) मुआवजा योजना, 2012
जम्मू और कश्मीर जम्मू और कश्मीर पीड़ित मुआवजा योजना, 2013
झारखंड झारखंड पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
कर्नाटक कर्नाटक पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
केरल केरल पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
लक्षद्वीप लक्षद्वीप पीड़ित सहायता योजना, 2012
मणिपुर मणिपुर पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
मेघालय मेघालय पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
मिजोरम मिजोरम पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
महाराष्ट्र महाराष्ट्र पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश पीड़ित मुआवजा योजना, 2015
नगालैंड नागालैंड पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
उड़ीसा ओडिशा पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
पुडुचेरी पुडुचेरी पीड़ित सहायता योजना, 2012
पंजाब पंजाब पीड़ित मुआवजा योजना, 2017
राजस्थान राजस्थान पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
सिक्किम सिक्किम पीड़ितों को या उनके आश्रितों को मुआवजा योजना, 2011
तमिलनाडु तमिलनाडु महिला पीड़ितों / यौन उत्पीड़न / अन्य अपराधों से बचे लोगों के लिए पीड़ित मुआवजा योजना, 2018
त्रिपुरा त्रिपुरा पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
उतार प्रदेश उत्तर प्रदेश पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
उत्तराखंड उत्तराखंड अपराध से पीड़ित सहायता योजना, 2013
पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल पीड़ित मुआवजा योजना, 2012

 

रैगिंग विरोधी कानून के तहत नियुक्त अधिकारी

रैगिंग को रोकने के लिए, प्रत्येक कॉलेज और विश्वविद्यालय को निम्नलिखित प्राधिकारणों  का गठन करना चाहिये-

ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी

प्रत्येक कॉलेज के लिए एक ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी का गठन करना अनिवार्य है, जिसमें निम्नलिखित सदस्यों होते हैं-

  • कॉलेज के प्रमुख
  • पुलिस के प्रतिनिधि
  • स्थानीय मीडिया
  • युवाओं के लिए काम करने वाले एन.जी.ओ.
  • अभिभावक प्रतिनिधि
  • संकाय प्रतिनिधि
  • छात्र प्रतिनिधि (फ्रेशर्स और सीनियर्स, दोनों)
  • परा-शिक्षण कर्मचारी

ऍण्‍टी रैगिंग कमेटी के कर्तव्य हैं –

  • सुनिश्चित करें कि संबद्ध कॉलेज, भारत में रैगिंग पर कानून का पालन कर रहा है
  • ऍण्‍टी-रैगिंग दल की गतिविधियों पर नज़र रखें
  • ऍण्‍टी-रैगिंग दल से सिफारिशें प्राप्‍त करें और रैगिंग प्रकरणों पर अंतिम कार्रवाई करें

ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ता

प्रत्येक कॉलेज के लिए एक ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ते का गठन करना अनिवार्य है, जो कॉलेज के प्रमुख, जैसे प्रिंसिपल या डीन द्वारा नामज़द होता है। इस दस्ते में कैंपस समुदाय के विभिन्न सदस्य जैसे शिक्षक, छात्र स्वयंसेवक आदि लोगों का प्रतिनिधित्‍व हाते है। पुलिस या मीडिया जैसे बाहरी प्रतिनिधि इस दस्ते का हिस्सा नहीं होते हैं।

ऍण्‍टी-रैगिंग दस्ते के कर्तव्य-

  • रैगिंग की किसी भी घटना की जांच-पड़ताल करना। कॉलेज के प्रमुख, माता-पिता या अभिभावक, संकाय के सदस्य, छात्र आदि सहित कोई भी किसी रैगिंग घटना के बारे में सूचित करने या शिकायत दर्ज करने के लिए ऍण्‍टी-रैगिंग दस्ते से संपर्क कर सकता है।
  • रैगिंग की घटना की जांच रिपोर्ट और अपनी सिफारिशें ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी को भेजें, जो फिर आगे की कार्रवाई करेगी।
  • हॉस्टल जैसे किसी भी स्थान पर जहां रैगिंग होने की संभावना होती है, वहां का औचक दौरा और निरीक्षण आदि करें।

मेंटरिंग / परामर्श सेल / कक्ष

प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में प्रत्येक कॉलेज के लिए एक मेंटरिंग सेल का गठन करना अनिवार्य है। यह उन छात्रों से बना होता है, जिन्होंने कॉलेज या संस्थान में शामिल होने वाले नये छात्रों के संरक्षक बनने की स्वयं पहल की है।

मेंटरिंग सेल का कर्तव्य, फ्रेशर्स या नये छात्रों को सहायता और मेंटरशिप / परामर्श देना है। कृपया ध्यान दें कि कानून के अनुसार, छह फ्रेशर्स पर एक मेंटर हो सकता है, और अधिक सीनियर स्तर के प्रत्येक मेंटर के मार्गदर्शन में छह संरक्षक होंगे। उदाहरण के लिए, यदि राम द्वितीय वर्ष का छात्र है, जिसमें छह फ्रेशर्स की मेंटरिंग की जानी है और श्याम तृतीय वर्ष का छात्र है, तो श्याम, राम और पांच अन्य ऐसे मेंटरों का मार्गदर्शन करेगा।

रैगिंग पर निगरानी सेल

प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिए रैगिंग पर एक निगरानी सेल का गठन करना अनिवार्य है। रैगिंग पर निगरानी सेल के कर्तव्य हैं-

  • रैगिंग को रोकने के लिए विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी कॉलेजों की गतिविधियों का समन्वय करें।
  • मेंटरिंग सेल, ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड और कॉलेजों के प्रमुखों से ऍण्‍टी-रैगिंग समिति की गतिविधियों पर रिपोर्ट प्राप्‍त करें।
  • रैगिंग विरोधी उपायों को प्रचारित करने के लिए कॉलेजों के प्रयासों की समीक्षा करें।
  • माता-पिता और छात्रों से रैगिंग जैसे कृत्‍यों में शामिल न होने, और रैगिंग में शामिल पाये जाने पर सज़ा भुुगतने के लिए तैयार रहने हेतु हस्ताक्षरित शपथपत्र प्राप्‍त करें।
  • ऍण्‍टी-रैगिंग उपायों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिहाज़ से विश्वविद्यालय के किसी भी उपनियम या अध्यादेश में संशोधन करें।
अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें

इस कानून के तहत कौन-कौन से अपराध और दंड आते हैं?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

एसिड अटैक से संबंधित अपराधों को भारतीय दंड संहिता, 1860 और आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत निर्दिष्ट किया गया है। नीचे दिए गए अपराधों के लिए किसी को भी दंडित किया जा सकता है, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो। जो कि निम्नलिखित हैं:

एसिड फेंकना या एसिड फेंकने का प्रयास करना 

किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकना और उसे चोट पहुंचाना अपराध है। एसिड फेंकने की सजा कम से कम 10 साल की जेल है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जिससे एसिड अटैक सर्वाइवर के चिकित्सा खर्चों को पूरा किया जा सके।

साथ ही किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकना या फेंकने का प्रयास करना भी अपराध है। इस अपराध के लिए कम से कम 5 साल की जेल जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

एसिड फेंकने में किसी की मदद करना 

किसी को एसिड फेंकने में मदद करना भी अपराध है। किसी को अपराध करने में मदद करना कानून के तहत उकसाने के रूप में जाना जाता है। उकसाने की सजा वही है जो एसिड फेंकने या किसी अन्य व्यक्ति पर एसिड फेंकने का प्रयास करने की सजा है।

एसिड अटैक सर्वाइवर का इलाज करने या मुफ्त तत्काल उपचार प्रदान करने से इनकार करना 

एसिड अटैक सर्वाइवर को चिकित्सा उपचार का अधिकार है और इस तरह का उपचार प्रदान करने से इनकार करने वाला अस्पताल इस कानून के तहत अपराधी है। सर्वाइवर का इलाज करने से इंकार करने वाले व्यक्ति के खिलाफ पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज की जा सकती है।

भारतीय दंड संहिता, 1860 में विशिष्ट एसिड अटैक अपराधों के अलावा, अन्य अपराधों को भी एसिड हमलों के मामले में पुलिस द्वारा एफआईआर या चार्जशीट में सम्मिलित या लिखा जा सकता है। इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, खतरनाक हथियारों से किसी को चोट पहुंचाना, और गंभीर चोट पहुंचाना शामिल हैं।

रैगिंग रोकने के लिए संस्थानों के कर्तव्य

रैगिंग रोकना कॉलेज का कर्तव्य है। सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को परिसर के भीतर और बाहर, दोनों जगहों पर रैगिंग खत्म करने के लिए सभी उपाय करने होंगे। कानून के तहत, सभी उप-इकाइयों, जैसे विभाग, कैंटीन, आदि सहित कोई भी कॉलेज या संस्थान, किसी भी तरह से रैगिंग की अनुमति नहीं दे सकता है।

सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को ऍडमिशन और नामांकन के समय जैसे अलग-अलग चरणों में रैगिंग रोकने के लिए कदम उठाने होते हैं।

प्रवेश के समय किये जाने वाले उपाय

सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को, छात्रों के प्रवेश के समय उपाय करने चाहिए। इनमें से कुछ हैं-

  • एक सार्वजनिक घोषणा (किसी भी प्रारूप में-प्रिंट, ऑडियो विजुअल, आदि) करें कि कॉलेज में रैगिंग पूरी तरह से निषिद्ध है, और जो कोई भी छात्रों की रैगिंग करता पाया जाएगा, उसे कानून के तहत दंडित किया जाएगा।
  • प्रवेश की विवरणिका में रैगिंग के बारे में जानकारी दें। उच्च शिक्षा संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए यूजीसी विनियमनों 2009 (यूजीसी गाइडलाइंस) को मुद्रित किया जाना चाहिए। साथ ही सभी महत्वपूर्ण पदाधिकारियों, जैसे कि प्रमुख, हॉस्टल वार्डन, आदि की संपर्क जानकारी, साथ ही ऍण्‍टी-रैगिंग हेल्पलाइन का नंबर भी छपना चाहिए।
  • आवेदन पत्र के साथ एक शपथ पत्र प्रदान करें। छात्रों और अभिभावकों के लिए ये हलफनामे में लिखा होना चाहिए कि छात्र और माता-पिता ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को पढ़ा और समझा है, वे जानते हैं कि रैगिंग निषिद्ध है और आवेदक किसी भी ततरह की रैगिंग में शामिल नहीं होगा, और ऐसे किसी भी व्यवहार में लिप्‍त पाये जाने पर वह सज़ा के लिए उत्तरदायी होगा या होगी। यदि छात्रावास के लिए आवेदन करने पर आवेदक को अतिरिक्त शपथ पत्रों पर हस्ताक्षर करने होंगे।
  • एक दस्तावेज़ प्रदान करें जो आवेदक के सामाजिक व्यवहार पर रिपोर्ट करता है। इस तरह के दस्तावेज़ में किसी भी लिखित कदाचार का उल्‍लेख किया जाएगा और कॉलेज, आवेदक पर नज़र रख सकता है। यह दस्तावेज़ आवेदन पत्र के साथ नत्‍थी होना चाहिए।
  • हॉस्टल वार्डनों, छात्रों, अभिभावकों आदि के प्रतिनिधियों के साथ रैगिंग रोकने के उपायों और कदमों पर चर्चा करें।
  • रैगिंग के लिए दंड-प्रावधानों और यूजीसी के दिशा-निर्देशों और अमल में ला सकने वाले अन्य कानूनी प्रावधानों को विभिन्न स्थानों पर प्रमुखता से डिस्‍पले करें।
  • जिन स्थानों पर रैगिंग होने की संभावना है, उन स्थानों को पहचान कर उन पर कड़ी निगरानी रखें। ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड और संबद्ध
  • वॉलंटियरों को सेमेस्टर के पहले कुछ महीनों के दौरान अप्रत्‍याशित समय-समय पर ऐसे स्थानों का औचक निरीक्षण करना चाहिए।

नामांकन / पंजीकरण के दौरान किये जाने वाले उपाय

सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को छात्रों के नामांकन / पंजीकरण के समय कुछ निश्‍चित उपाय करने होंगे। इनमें से कुछ हैं-

  • कॉलेज के प्रत्येक नये छात्र को एक पर्चा दिया जाना चाहिए जो यह निर्दिष्ट करेगा-
    • रैगिंग के दौरान और प्रकरण में जिन व्यक्तियों से संपर्क साधा जा सकता है, जैसे ऍण्‍टी-रैगिंग हेल्पलाइन नंबर, हॉस्टल वार्डन, स्थानीय पुलिस आदि जैसे व्यक्तियों की संपर्क जानकारी।
    • नये छात्रों को बातचीत करने और वरिष्ठ छात्रों के साथ मिलने-जुलने में सक्षम बनाने के लिए जो समावेशन कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
    • संबद्ध कॉलेज के छात्र के बतौर मिले अधिकार।
    • निर्देश कि छात्र को किसी भी प्रकार की रैगिंग में शामिल नहीं होना चाहिए, भले ही सीनियर छात्रों द्वारा ऐसा करने को बोला जाये, और यह कि रैगिंग के हर प्रकरण को तुरंत रिपोर्ट किया जाएगा।
    • शैक्षणिक परिवेश के साथ-साथ फ्रेशर्स की पहचान की सुविधा के लिहाज़ से बनीं सभी गतिविधियों वाला एक कैलेंडर।
  • छात्रों को रैगिंग की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यदि वे पीड़ित हैं या वे किसी अन्य छात्र की ओर से शिकायत करते हैं, तो उनकी पहचान सुरक्षित और गुप्‍त रखी जाएगी, और उन्हें केवल उस घटना की रिपोर्ट करने के लिए कोई भी प्रतिकूल परिणाम भुगतना नहीं पड़ेगा।
  • फ्रेशर्स / नये छात्रों की बैच को छोटे-छोटे समूहों में विभाजित किया जाएगा, और प्रत्येक समूह में एक शिक्षक होगा जो छात्रों की समस्याएं समझने के लिए उनके साथ रोज़ बातचीत करेगा।
  • हॉस्टलों में फ्रेशर्स को सीनियर्स से अलग रखा जाना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में जहां यह संभव नहीं है, सीनियर छात्रों की जूनियर छात्रों तक पहुंच की निगरानी वार्डन / छात्रावास सुरक्षा द्वारा की जानी चाहिए।
  • कॉलेज के प्रमुख को शैक्षणिक वर्ष के अंत में प्रथम वर्ष के छात्रों के माता-पिता को एक पत्र भेजना चाहिए, ताकि उन्हें रैगिंग और उसके दंड-प्रावधानों के बारे में बताया जा सके। पत्र में माता-पिता से यह भी आग्रह करना चाहिए कि वे अपने बच्चों को रैैगिंग जैसे किसी भी व्यवहार में शामिल न होने के लिए कहें।

सामान्य उपाय

ऊपर दिये गये उपायों के अलावा, हरेक कॉलेज को कुछ सामान्य उपाय करने होंगे। इनमें से कुछ हैं-

  • कॉलेज को ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी, ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड, मेंटरिंग सेल और मॉनिटरिंग सेल जैसे प्राधिकरणों का गठन करना चाहिए।
  • हरेक छात्रावास में एक पूर्णकालिक वार्डन होना चाहिए, जिसकी योग्यताओं में ये शामिल हों-छात्रों को अनुशासित कर सकना, रैगिंग को रोकने और छात्रों से संवाद / परामर्श करने की क्षमता।
  • वार्डन को हर समय उपलब्ध होना चाहिए, कॉलेज द्वारा प्रदत्त उसका एक टेलीफोन नंबर अच्छी तरह से प्रसारित होना चाहिए।
  • कॉलेज को ऑडियो-विजुअल सामग्री, काउंसलिंग सत्र, कार्यशालाओं आदि के माध्यम से रैगिंग के खिलाफ प्रचार के लिए व्यापक उपाय करने होंगे।
  • कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को कक्षाओं / पुस्‍तकालयों के अलावा छात्रों को ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड से रैगिंग की शिकायत करने के लिहाज़ से संबद्ध मोबाइल फोनों पर बेरोक और आसान पहुंच मुहैया करानी चाहिए।
  • परा-शिक्षण स्‍टाफ सहित कॉलेज के सभी संकायों को रैगिंग के मुद्दे पर संवेदनशील बनाया जाएगा।

अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें

क्या अपराध जमानती या गैर-जमानती/संज्ञेय हैं?

किसी पर एसिड फेंकने या फेंकने वाले की मदद करने का अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती दोनों है।

संज्ञेय अपराध एक ऐसा अपराध होता है, जिसमें पुलिस अधिकारी बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार कर सकता है।

गैर-जमानती अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें ज़मानत नहीं मिलती है और इसे देने या न देने का विवेक न्यायालय का है। गैर-जमानती अपराधों में जमानत के बारे में अधिक जानने के लिए, आप गैर-जमानती अपराधों के लिए जमानत पर हमारे लेख को पढ़ सकते हैं।