अनक्रॉस चेक या ओपन चेक

एक अनक्रॉस चेक या ओपन चेक एक ऐसा चेक है जिसे ऊपरी बाएं कोने पर दो समानांतर रेखाओं से क्रॉस नहीं किया गया है। ऐसे चेक किसी भी बैंक में भुनाए जा सकते हैं। आप बैंक काउंटर से चेक के लिए पैसे जमा कर सकते हैं। इसे चेक प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति के बैंक खाते में भी स्थानांतरित (ट्रांसफर) किया जा सकता है।

अनक्रॉस/ओपन चेक के प्रकार हैं:

• बियरर चेक

• ऑर्डर चेक

समझौते का नोटरीकरण या पंजीकरण

किराए/लीज़ समझौते का पंजीकरण

यदि आपका लीज एग्रीमेंट एक साल या उससे अधिक के लिए है, तो जिस शहर में आप रह रहे हैं, उसके सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में इसे पंजीकृत करना अनिवार्य है। यह लीज एग्रीमेंट होने के 4 महीने के अंदर इसे पंजीकृत करवा देना चाहिए। यदि यह करार पंजीकृत नही करवाया जाता है तो इसे उस स्थिति में न्यायलय द्वारा साक्ष्य के रूप में स्वीकार नही किया जायेगा, यदि किराये पर ली गयी/दी गयी संपत्ति के संबंध में कभी कोई मुकदमा दायर किया जाता है।

आपके करार का पंजीकरण यह सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी है कि आपका मकान मालिक आपसे सहमत हुए राशि से अतिरिक्त कुछ भी नहीं लेता है, या किसी भी अवैध लेनदेन के लिये आपके साथ जबरदस्ती नही करता है।

यही कारण है कि अधिकांश करार 11 महीने की अवधि के होते हैं, ताकि इस पंजीकरण प्रक्रिया से बचा जा सके। ऐसे मामलों में, करार को आपको पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसे केवल नोटरीकृत कराना होगा।

हालांकि, मुंबई जैसे कुछ शहरों में, जहां लीव एंड लाइसेंस समझौते का उपयोग किया जाता है, इस समझौते को पंजीकृत करना अनिवार्य है, भले ही किरायेदारी की अवधि कुछ भी हो। महाराष्ट्र में, किरायेदारी के सभी समझौते, चाहें वह लीज या लीव एंड लाइसेंस हों, कानूनन अनिवार्य रूप से पंजीकृत होने चाहिए।

अपने समझौते को नोटरीकृत कराना

किसी भी तरह के किराये के समझौते को, यदि इसे पंजीकृत नहीं किया जा रहा है तो इसे नोटरीकृत कराना आवश्यक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके और आपके मकान मालिक के बीच एक अनुबंध है और सभी अनुबंध आमतौर पर नोटरीकृत कराए जाने के बाद ही मान्य होते हैं। समझौते को नोटरीकृत कराने से आपके दस्तावेज को वैधता मिलती है और यह इस बात की भी पुष्टि करता है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले पक्ष वास्तव में कौन कौन हैं। यह न केवल आपको आपके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में सुनिश्चित करता है, बल्कि अगर मामला अदालत में जाता है, तो एक नोटरीकृत समझौते पर विवाद होने की संभावना नहीं होती है।

उत्पाद दायित्व क्या होता है?

उत्पाद की जवाबदेही, उत्पाद में दोष या सेवा में कमी पाये जाने पर ग्राहक को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उत्पाद निर्माता या विक्रेता की जिम्मेदारी को रेखांकित करती है। नुकसान में व्यक्तिगत चोट, मानसिक तकलीफ, मृत्यु, संपत्ति का नुकसान, अनुबंध का उल्‍लंघन, आदि जैसे मुद्दे आते हैं। उदाहरण के लिए, यदि ऑनलाइन मंगाया गया कोई खाद्य उत्पाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनता है या अत्यधिक मिलावटी है, तो उपभोक्ता विक्रेता के खिलाफ उत्पाद देयता कार्रवाई करने के लिए शिकायत दर्ज कर सकता है। ऐसे मामलों में उत्पाद निर्माता, विक्रेता और सेवा प्रदाता के खिलाफ शिकायत दर्ज की जा सकती है।

उत्पाद दायित्व के उदाहरण 

• जब उत्पाद में कोई निर्माण दोष हो या वह पर्याप्‍त रूप से अच्छा न हो

• जहां उत्पाद का निर्माण, उत्‍पादन मानकों के अनुरूप नहीं पाया जाता

• उत्पाद में संशोधन या परिवर्तन जिसके कारण नुकसान हुआ है

• उत्पाद में कोई डिज़ाइन, परीक्षण या पैकेजिंग दोष है

• खरीदे गये उत्पाद के उपयोग के संबंध में अपर्याप्‍त निर्देश या चेतावनियां

• उत्पाद जो एक्सप्रेस वारंटी या उल्लिखित गारंटियों के अनुरूप नहीं होता

असेसमेंट/आई.टी.आर वेरिफिकेशन

आईटीआर फाइलिंग प्रक्रिया का अंतिम चरण सत्यापन है। अगर आप रिटर्न फाइल करने के 120 दिनों के भीतर अपना आईटीआर सत्यापित नहीं करते हैं, तो यह माना जाएगा कि आपने आईटीआर दाखिल नहीं किया है

निम्नलिखित दिए गए कई तरीके हैं जिनसे आप अपने आईटीआर को इलेक्ट्रॉनिक रूप से सत्यापित कर सकते हैं:

• डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी)-अपने आईटीआर फॉर्म के साथ डीएससी मैनेजमेंट यूटिलिटी से जेनरेट की गई सिग्नेचर फाइल अटैच करें।

• आधार ओटीपी-यूआईडीएआई के साथ पंजीकृत अपने मोबाइल नंबर में प्राप्त आधार ओटीपी दर्ज करें।

• पूर्व-मान्य बैंक खाता विवरण का उपयोग करते हुए या पूर्व-मान्य डीमैट खाता विवरण का उपयोग करते हुए इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन कोड-बैंक या डीमैट खाते के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर में प्राप्त ईवीसी (इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड) दर्ज करें। ऐसे ईवीसी की वैधता, कोड जेनेरेट के समय से 72 घंटे तक होती है।

अगर आप अपनी टैक्स-रिटर्न को इलेक्ट्रॉनिक रूप से सत्यापित करना चाहते हैं, तो आपको आयकर विभाग को कोई दस्तावेज भेजने की आवश्यकता नहीं होगी। अगर आप इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अपना आईटीआर सत्यापित करते हैं, तो आपको सत्यापन के संबंध में आयकर विभाग से तुरंत पुष्टि प्राप्त होगी। अपने रिटर्न को ई-वेरीफाई करने से संबंधित अधिक जानकरी के लिए यहां पढ़ें।

बाद के समय में ई-वेरीफाई करना

आप बाद में भी आईटीआर को ई-वेरीफाई कर सकते हैं। अगर आप आईटीआर को ई-वेरीफाई नहीं करना चाहते हैं, तो आप इसके बजाय हस्ताक्षर किए हुए आईटीआर-वेरिफिकेशन को सामान्य पोस्ट या स्पीड पोस्ट के माध्यम से “केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र, आयकर विभाग, बेंगलुरु-560500” पर भेज सकते हैं। अगर आपने आयकर विभाग को डाक के माध्यम से आईटीआर-वेरिफिकेशन भेजा है, तो वे आपको एक ईमेल भेजकर पुष्टि करेंगे कि यह प्राप्त हो गया है, यानी आपका रिटर्न सत्यापित हो चुका है। यह ईमेल आपके उस ईमेल पते पर भेजा जाएगा जिसे आपने आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर अपने ई-फाइलिंग खाते में पंजीकृत किया है।

आयकर विभाग प्रोसेसिंग टैक्स रिटर्न

रिटर्न सत्यापित होने के बाद, या तो ई-वेरिफिकेशन के माध्यम से या फिजिकल रूप से, आयकर विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए आपके टैक्स रिटर्न को संसाधित करना शुरू कर देगा कि आपके द्वारा भरे गए सभी विवरण आयकर अधिनियम के अनुसार सही हैं, और उपलब्ध अन्य डेटा के साथ आपके द्वारा भरे गए विवरणों को भी क्रॉस-चेक किया जाएगा।

आयकर का आकलन करने के लिए, निर्धारण अधिकारी किसी ऐसे व्यक्ति को नोटिस जारी कर सकता है, जिसने समय पर इनकम टैक्स रिटर्न जमा नहीं किया है, ताकि व्यक्ति को इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने के लिए कहा जा सके। वह अधिकारी आपसे कोई भी कारण बताने या कोई दस्तावेज दिखाने के लिए भी कह सकता है। इसके अलावा, आपको कुछ बिंदुओं या मामलों (आपकी सभी संपत्तियों और देनदारियों के विवरण सहित) में जानकारी को जमा करने या उसे सत्यापित करने के लिए भी कहा जा सकता है। एक बार रिटर्न प्रोसेस हो जाने के बाद, आईटी विभाग आपके पंजीकृत ईमेल आईडी पर ईमेल के माध्यम से आपको इसकी सूचना देता है। अगर उसमें कोई अंतर पाया जाता है, तो वे आपसे बाद में स्पष्ट करने के लिए या मूल आईटीआर भरते समय की गई गलतियों को सुधारने के लिए कह सकते हैं।

बेयरर चेक

यदि आपके पास वाहक (बेयरर) चेक है तो आप उसे बैंक में जमा कर उस पर नकद राशि लिखवा सकते हैं। कोई भी व्यक्ति चेक दे सकता है और उस पर लिखी राशि को प्राप्त कर सकता है।

उदाहरण के लिए: यदि संजना बैंक काउंटर पर वाहक (बेयरर) चेक को भुनाने के लिए इसे प्रस्तुत करती है, तो राशि का भुगतान नकद में किया जाएगा।

 

Bearer Cheque

केवल उदाहरण के लिए

आमतौर पर चेक के पन्ने पर “या बियरर” शब्द छपा होता है। इसे तीसरे पक्ष के नाम पर या फर्म के नाम पर किसी तीसरे पक्ष को जारी किया जा सकता है। कोई बैंक काउंटर पर इस प्रकार के चेक के भुगतान से इंकार नहीं कर सकता है।

चूंकि कोई भी इसे बैंक में जमा कर सकता है और उस पर लिखी नकद राशि प्राप्त कर सकता है, ये जोखिम भरा होता है। तो ऐसी स्थिति में जहां आप इसे खो देते हैं, हो सकता है कि कोई और इसे बैंक के सामने पेश करे और पैसा प्राप्त कर ले।

यदि कोई चेक क्रॉस हो जाता है तो वह स्वतः ही बियरर चेक नहीं होता है।

किराया के समझौते को कैसे पंजीकृत करायें

अपना किराया/करार पंजीकृत कराने के लिए, कृपया नीचे दिए गए कदमों का पालन करें। ज्यादातर मामलों में, आपका दलाल (ब्रोकर) इसमें आपकी मदद करेगा।

कदम 1

जब समझौता तैयार हो गया हो तो उसके बाद, संबंधित स्टॉम्प शुल्क राशि का भुगतान करें।

कदम 2

अपने उप-जिले के सब-रजिस्ट्रार के साथ नियुक्ति का एक समय निर्धारित करें। अधिकांश राज्यों ने एक ऑनलाइन नियुक्ति प्रणाली स्थापित की गई है।

अपने उप-जिले के सब-रजिस्ट्रार के साथ नियुक्ति का एक समय निर्धारित करें। अधिकांश राज्यों ने एक ऑनलाइन नियुक्ति प्रणाली स्थापित की गई है।

कदम 3

मकान मालिक /लाइसेंसकर्ता, किरायेदार /लाइसेंसधारी और दो गवाहों को निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ, सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में नियुक्ति के निश्चित समय पर जाना चाहिए:

  • विधिवत दिये गये स्टॉम्प ड्यूटी के साथ समझौता
  • किरायेदारों, मकान मालिक और गवाहों के दो नवीनतम पासपोर्ट आकार के फोटो
  • किरायेदारों, मकान मालिकों और गवाहों के पहचान प्रमाण पत्र (आधार कार्ड, चुनाव आईडी कार्ड, पासपोर्ट, सरकार द्वारा जारी किया गया पहचान पत्र, राजपत्रित अधिकारियों द्वारा सत्यापित पहचान)।

कदम 4

अंत में, पंजीकरण पूरा करने के लिए, ऊपर वर्णित दस्तावेजों को जमा करते समय संबंधित पंजीकरण शुल्क का भुगतान करें।

सेवाएं क्या हैं?

सेवा का अर्थ है लोगों को उपलब्ध कराई गई कोई भी गतिविधि, और इसमें बैंकिंग, वित्तपोषण, बीमा, परिवहन, प्रसंस्करण, विद्युत या अन्य ऊर्जा के सामान, दूरसंचार, ठहरने या खाने की व्‍यवस्‍था, आवास निर्माण, मनोरंजन, आमोद-प्रमोद, समाचार या सूचना के प्रसारण संबंधी सुविधाएं शामिल हो सकती हैं। ‘सेवाओं’ में कुछ भुगतान या अन्य लाभों के बदले में एक व्यक्ति द्वारा दूसरे के लिए की गईं कोई भी गतिविधियां शामिल होती हैं, जैसे कि एक ऑफर के हिस्से के रूप में गिफ्ट वाउचर, आदि। उदाहरण के लिए, बाल कटाई, मेडिकल जांच, पैकिंग-ऍण्‍ड-मूविंग सेवाओं जैसी गतिविधियां, भुगतान के बदले आटा चक्‍की, मालिश, घड़ी-मरम्मत आदि को सेवाओं के रूप में माना जाएगा। मोटे तौर पर, सेवाओं में निम्‍नलिखित शामिल हो सकती हैं-

व्यावसायिक सेवाएं-व्यावसायिक सेवाएं ऐसी सेवाएं हैं जो किसी भी व्यवसाय के दैनिक कामकाज और गतिविधि में अपना सहयोग देती हैं, जैसे तकनीकी तंत्र, वेबसाइट होस्टिंग, कॉल सेंटर, बैंकिंग, परिवहन सेवा, दूरसंचार आदि।

व्यक्तिगत सेवाएं-आम तौर पर व्यक्तिगत सेवाओं की प्रकृति अधिक व्यक्तिवादी होती है, जैसे खानपान, होटल आवास, दवा, पेंटिंग, मूर्तिकला आदि।

सामाजिक सेवाएं-सामाजिक सेवाओं को आम तौर पर सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है, और इसमें आवास, वंचितों के लिए चिकित्सा देखभाल, प्राथमिक शिक्षा आदि जैसी सेवाएं शामिल होती हैं।

निःशुल्क सेवाएं

इसके अलावा, नि:शुल्क सेवाएं, आम तौर पर उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के दायरे में नहीं आती हैं। दूसरे शब्दों में, अनौपचारिक रूप से दी गयीं अदत्त सेवाएं, उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत नहीं आती हैं।

उदाहरण के लिए, यदि कोई व्‍यक्ति डॉक्टर के पास मेडिकल चेक-अप के लिए जाता है, लेकिन परिचित होने के नाते, डॉक्टर कोई शुल्क नहीं लेता है, तो रोगी बाद में किसी भी सेवा की कमी के लिए डॉक्टर पर मुकदमा नहीं कर सकता, क्योंकि वह सेवा निःशुल्क प्रदान की गयी थी। हालांकि, ट्रेन के लिए टिकट खरीदने वाला यात्री एक उपभोक्ता होता है, और खराब भोजन सेवा, खराब स्वच्छता मानकों आदि सहित सेवा की किसी भी कमी के लिए रेलवे पर मुकदमा कर सकता है।

कर में कटौती

कटौती एक व्यय है जिसे किसी व्यक्ति की सकल कुल आय से घटाया जाता है ताकि उस धनराशि को कम किया जा सके जिस पर कर लगाया जा रहा है। यह कटौती आय की राशि से कम, अधिक या उसके बराबर हो सकती है। यदि कटौती योग्य राशि आय की राशि से अधिक है तो परिणामी राशि को कर की गणना करते समय हानि/घाटा के रूप में लिया जाएगा। व्यक्तियों/व्यक्तिगत आय में होने वाली कुछ कटौतियाँ इस प्रकार हैं:

एल.आई.सी और अन्य पेंशन फंड में योगदान

व्यक्ति अपनी पेंशन प्राप्त करने के लिए भारत के एलआईसी या किसी अन्य बीमाकर्ता/बीमा कंपनी की वार्षिकी योजना के तहत भुगतान या जमा की गई राशि का 1,50,000 रुपये तक के सभी योगदान का दावा कर सकते हैं। इसमें कोई ब्याज या बोनस शामिल नहीं है जो राशि व्यक्तियों के खाते में है। यदि इसके लिए कटौती का दावा किया जाता है, और बाद में जब पेंशन व्यक्ति या उसके द्वारा नियुक्त (नामित व्यक्ति) द्वारा प्राप्त की जाती है, तो पेंशन पर कर लगेगा।

एक पेंशन योजना के तहत प्राप्त आय जो टैक्स योग्य है:

  • जिसमें पेंशन प्राप्त करने के लिए किए गए योगदान और
  • बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण के तहत सभी अनुमोदित बीमाकर्ताओं के योगदान दोनों शामिल हैं। आप यहां अनुमोदित/स्वीकृत बीमाकर्ताओं की सूची पा सकते हैं।

इसमें इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ई.एल.एस.एस) में योगदान भी शामिल है, जो एक म्यूचुअल फंड इक्विटी योजना है जो कर लाभ के साथ लंबी अवधि के धन सृजन की ऑफर देती है। ई.एल.एस.एस में तीन साल की अनिवार्य लॉक-इन अवधि भी होती है। ई.एल.एस.एस में पूंजीनिवेश करने पर अधिकतम 1.5 लाख रू. प्रति वर्ष कटौती के लिए योग्य है। इसका मतलब है कि, आप अपने कर को कम करने के लिए अपनी कुल आय में से ई.एल.एस.एस में निवेश की गई राशि को घटा सकते हैं या उसमें से कटौती कर सकते हैं।

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली(एन.पी.एस) में योगदान

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली एक सेवानिवृत्ति लाभ योजना है जो 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद केंद्र सरकार द्वारा नियोजित सभी व्यक्तियों/कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है। स्व-नियोजित व्यक्तियों के साथ-साथ अन्य कर्मचारियों के पास भी एन.पी.एस. का सदस्य होने का विकल्प है।

नियोक्ता के लिए कटौती: वेतन आय की तरह सभी नियोक्ता द्वारा एन.पी.एस में किया गया योगदान कर योग्य है। जिस वर्ष में नियोक्ता द्वारा एन.पी.एस में योगदान किया गया है, उसी वर्ष में वह राशि कर्मचारी द्वारा कटौती योग्य है। अधिकतम कटौती कर्मचारी की वेतन राशि का 10% है।

कर्मचारी के लिए कटौती: एक कर्मचारी द्वारा किया गया एन.पी.एस में योगदान उस वर्ष में कटौती योग्य होता है जिस वर्ष में योगदान किया जाता है। हालांकि, कटौती की राशि कर्मचारी के वेतन का 10% है। यदि योगदान किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो कर्मचारी नहीं है, तो कटौती की सीमा कुल सकल आय का 20% है।

एन.पी.एस खाते से पेंशन या अन्य भुगतान से प्राप्त करने वाले व्यक्ति के लिए वह राशि कर योग्य होगी। हालांकि, अगर एन.पी.एस द्वारा प्राप्त पेंशन की राशि का उपयोग पिछले वर्ष में एल.आई.सी (ऊपर वर्णित बिंदु) द्वारा एक वार्षिकी योजना खरीदने के लिए किया जाता है, तो यह राशि कर से मुक्त होगी।

दिव्यांग व्यक्तियों के लिए चिकित्सक उपचार सहित देख-भाल

कोई व्यक्ति और एक अविभाजित हिन्दू परिवार का कोई सदस्य नीचे दिए गए संबंधित व्यय के लिए कटौती का दावा कर सकता है:

• दिव्यांग व्यक्ति का चिकित्सक उपचार सहित नर्सिंग, ट्रेनिंग और स्वास्थ्यलाभ के लिए।

• स्वीकृत एल.आई.सी योजना या अन्य बीमा कंपनियों के तहत जमा की गई राशि के लिए।

दिव्यांग व्यक्ति या आश्रित रिश्तेदार जैसे पति या पत्नी, बच्चें, भाई-बहन, माता-पिता आदि सहित परिवार के सदस्य द्वारा सामना की जाने वाली विकलांगता के आधार पर कटौती का दावा किया जा सकता है।

• विकलांग व्यक्तियों के लिए कटौती, जो 40% या उससे अधिक अंधापन/दृष्टिहीनता, कम दृष्टि, श्रवण दोष, चलने-फिरने में अक्षमता, मानसिक मंदता, मानसिक बीमारियों और कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति हैं- वे 75000 रुपये की एक निश्चित कटौती प्राप्त कर सकते हैं।

• गंभीर रूप से विकलांग व्यक्तियों (80% और अधिक) के लिए 1,25,000 रू. की उच्च कटौती उपलब्ध है। ऐसी कटौतियों का दावा करने के लिए उस व्यक्ति के पास चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा प्राप्त प्रमाण-पत्र होना चाहिए। मूल्यांकन अधिकारी आपसे एक नया चिकित्सा प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए नए सिरे से पुनर्मूल्यांकन कराने के लिए भी कह सकता है।

चिकित्सा उपचार (मेडिकल ट्रीटमेंट)

एक निवासी व्यक्ति या एक निवासी अविभाजित हिन्दू परिवार के पास निम्नलिखित चीजें हैं, तो वे चिकित्सा उपचार के लिए कटौती का दावा कर सकता है :

  • बोर्ड द्वारा निर्धारित किसी विशिष्ट बीमारी या बीमारी के चिकित्सा उपचार के लिए किया गया खर्च।
  • अपने लिए या अपने आश्रितों जैसे पति, पत्नी, बच्चों, माता-पिता, भाई-बहनों आदि के लिए चिकित्सा उपचार में किया गया खर्च।
  • इस तरह के चिकित्सा उपचार के लिए किसी न्यूरोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट, हेमेटोलॉजिस्ट, इम्यूनोलॉजिस्ट या ऐसे अन्य विशेषज्ञ का चिकित्सा निर्देश, आदि।

या तो वरिष्ठ नागरिकों के लिए 60000 रु. या किसी अन्य व्यक्ति के लिए 40,000 रू को कटौती के लिए माना जाएगा (जिसमें भी चिकित्सा उपचार पर कम खर्च हो)। कटौती की गई राशि भी कम हो जाएगी यदि किसी व्यक्ति को बीमा राशि मिलती है या चिकित्सा उपचार के लिए उसके नियोक्ता द्वारा क्षतिपूर्ति की जाती है।

उच्च शिक्षा हेतु लिए गए ऋण पर ब्याज का भुगतान

कोई व्यक्ति अपने या अपने रिश्तेदारों जैसे पति या पत्नी, बच्चों आदि के खातिर लिए गए ऋण या उच्च शिक्षा हेतु लिए गए लोन के ब्याज का भुगतान होने पर कटौती का दावा कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति द्वारा बैंक, वित्तीय संस्थान या किसी स्वीकृत चैरिटी संस्था से उच्च शिक्षा के लिए ऋण लिया जाता है, तो जिस वर्ष में ब्याज का भुगतान किया गया है, उसी वर्ष में ब्याज कटौती योग्य है। संपूर्ण ब्याज उस वर्ष में कटौती योग्य है जिस वर्ष में व्यक्ति ऋण पर ब्याज का भुगतान करता है और साथ ही ब्याज का भुगतान करने के सात वर्ष बाद भी कटौती योग्य है।

गृह संपत्ति खरीदने के लिए ऋण पर ब्याज का भुगतान करना

आवासीय गृह संपत्तियों के करण लिए गए लोन पर ब्याज के लिए कटौती का दावा करने के लिए, करदाता भारत का निवासी या अनिवासी भी हो सकता है। इसके अलावा, निम्नलिखित शर्तों को भी पूरा किया जाना है कि:

• उन्हें लोन लेना है।

• ऋण/लोन आवासीय गृह संपत्ति के लिए होना चाहिए।

• किसी बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से लोन लिया गया हो, हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से मतलब है कि भारत में गठित या पंजीकृत एक सार्वजनिक कंपनी है जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में दीर्घकालिक निर्माण या खरीद या आवासीय घर प्रदान करने के लिए व्यवसाय करना है।

• 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के दौरान बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी द्वारा ऋण स्वीकृत किया गया हो।

• स्वीकृत ऋण/लोन की राशि 35 लाख रुपये से अधिक नहीं हो।

• घर की संपत्ति का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक नहीं हो।

• लोन स्वीकृत होने के दिन कटौती का दावा करने वाले व्यक्ति के पास कोई आवासीय गृह संपत्ति नहीं होनी चाहिए।

यदि उपरोक्त सभी शर्तें पूरी होती हैं, तो करदाता धारा 80EE के तहत कटौती का दावा कर सकता है।

कुछ फंड, ट्रस्ट और चैरिटी संस्थाओं को दान करना

करदाता के लिए कटौती उपलब्ध है यदि वह नवीकरण करने या मरम्मत कार्य या मंदिरों के निर्माण के लिए स्वीकृत फंड और चैरिटी संस्थानों में योगदान देता है या उसमें दान करता है। इस तरह की कटौती का दावा किसी भी करदाता, कंपनी, फर्म आदि द्वारा किया जा सकता है। राष्ट्रीय रक्षा कोष, प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति में राहत कोष (पीएम केयर्स फंड), प्रधान मंत्री आर्मेनिया भूकंप राहत कोष, अफ्रीका (सार्वजनिक योगदान-भारत) कोष, राष्ट्रीय बाल कोष आदि में दान के लिए 100% कटौती उपलब्ध है।

किराये का भुगतान करना

कोई व्यक्ति अपने या अपने परिवार के आवासीय घर के लिए भुगतान किए गए किराए के लिए कटौती का दावा कर सकता है। यह व्यक्ति कोई भी हो सकता है जिसमें स्व-रोजगार व्यक्ति या ऐसा व्यक्ति भी शामिल हैं जिसे अपने नियोक्ता से मकान किराया भत्ता नहीं मिलता है। हालांकि यह भत्ता 5000 रू. प्रति माह से अधिक नहीं होना चाहिए या फिर व्यक्ति की आय का 25% से अधिक नहीं होना चाहिए। केवल एक व्यक्ति जो अपने या अपने परिवार के लिए आवासीय घर के लिए किराए का भुगतान करता है, वह फॉर्म संख्या 10BA के माध्यम से इस कटौती का लाभ उठा सकता है।

वैज्ञानिक अनुसंधान और ग्रामीण विकास के लिए दान करना

किसी पेशे या व्यवसाय से लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्ति को छोड़कर कोई भी व्यक्ति वैज्ञानिक अनुसंधान या ग्रामीण विकास के लिए किए गए दान के लिए कटौती का दावा कर सकता है। इस तरह के दान अनुसंधान संघों, विश्वविद्यालयों या इस क्षेत्र में काम करने वाले अन्य संस्थानों को दिए जाने चाहिए। इस तरह के योगदान किसी परियोजनाओं (आयकर विभाग द्वारा स्वीकृत) या राष्ट्रीय ग्रामीण विकास कोष या राष्ट्रीय शहरी गरीबी उन्मूलन कोष के लिए भी दिया जा सकता है। दान की गई पूरी राशि या 100% कटौती की जा सकती है। यह दान नकद, चेक या ड्राफ्ट में दिया जा सकता है लेकिन 10,000 रुपये से अधिक के नकद योगदान के लिए कोई कटौती की अनुमति नहीं है।

ऊपर दिए गए बिंदु जो व्यक्तियों पर लागू प्रमुख कटौतियों के कुछ उदाहरण हैं।

 

ऑर्डर चेक

ऑर्डर चेक एक ऐसा चेक होता है जिसमें केवल वह व्यक्ति या पार्टी जिसके नाम से चेक निकाला गया है, नकद निकाल सकता है। चेक जमा करने वाले व्यक्ति को चेक को भुनाने के लिए एक पहचान प्रमाण देना होगा। ऐसे चेक में, आपको “या बियरर” शब्दों को काट देना होगा और उस व्यक्ति को निर्दिष्ट करना होगा जिसके लिए चेक लिखा गया है। तभी यह ऑर्डर चेक बनेगा।

 

Order Cheque

केवल उदाहरण के लिए

उदाहरण के लिए: यदि चेक पर मालविका का नाम लिखा है, तो केवल वह भुगतान के लिए चेक प्रस्तुत कर सकती है और उसे भुना सकती है। अन्य किसी को भी राशि निकालने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

चेक धारक ऑर्डर चेक के पीछे अपना हस्ताक्षर करके किसी और को ट्रांसफर कर सकता है। इसे चेक पृष्ठांकित करने के रूप में जाना जाता है।

किराया देना

किराया देते समय, कुछ ऐसी बातें हैं, जिन्हें आपको ध्यान में रखनी चाहिए:

किराया जमा करना

  • लीज डीड के समझौते में, कानूनन आपको महीने के 15 तारीख तक किराए का भुगतान करना होगा। हालांकि, लीव एंड लाइसेंस समझौते के लिए यह आवश्यक नहीं है।
  • आमतौर पर आप आने वाले महीने के लिए किराया देते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप 15 जून को किराया दे रहे हैं, तो आप 15 जून से 14 जुलाई की अवधि के लिए भुगतान कर रहे हैं।
  • किराया भुगतान की तारीख, किराये/लीज और लीव एंड लाइसेंस समझोते, दोनों के लिखित होनी चाहिये।
  • किराए का भुगतान, चेक या ऑनलाइन हस्तांतरण के माध्यम से मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता को किया जा सकता है ताकि भुगतान का रिकॉर्ड रहे।
  • मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता से किराए की रसीद हमेशा मांगें, खासकर अगर आपने अपने किराए का भुगतान नकद में किया हो। ऑनलाइन या चेक हस्तांतरण के मामलों में बैंक से आपके लेन-देन का प्रमाण, किराए की रसीदों के समान नहीं है। बैंकों की रसीद या ऑनलाइन खाते के विवरण आपके मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता से प्राप्त होने वाली रसीद के समान नहीं होती हैं, क्यों कि मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता द्वारा दी गई रसीद ही किराये के पैसे दिये जाने की स्वीकृति है। मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता द्वारा दिया गया रसीद भुगतान का प्रमाण है, जिसका उपयोग आप अपने टैक्स के उद्देश्यों, न्यायालय में साक्ष्य आदि के लिए कर सकते हैं।

किराया बढ़ाना

  • आपके लिखित समझौते में, समझौते की लिखित अवधि समाप्त होने के बाद किराए में वृद्धि के प्रतिशत का उल्लेख होगा। अपने शहर में क्या चलन है यह पता लगाने की कोशिश करें ताकि वृद्धि का प्रतिशत अनुचित न हो।
  • यदि आपका मकान मालिक किराया बढ़ाने का फैसला करता है, तो वह आपके लिखित समझौते की अवधि समाप्त होने के बाद ही वह ऐसा कर सकता है।