बाल अश्लील चित्रण (चाइल्ड पोर्नोग्राफी)

जब कोई व्यक्ति किसी बच्चे का उपयोग किसी भी प्रकार के मीडिया (प्रिंट, वीडियो, इमेज इत्यादि) में करता है और उस सामग्री का उपयोग किसी व्यक्ति के यौन आनन्द के लिए किया जा सकता है; तो उस मीडिया बनाने वाले व्यक्ति को बाल अश्लील चित्रण के लिए उत्तरदायी माना जाएगा। यदि ऐसी मीडिया का उपयोग सार्वजनिक और व्यक्तिगत, दोनों के लिए किया जा सकता है, फिर भी यह एक अपराध है। अश्लील चित्रण में बच्चों के दुरुपयोग के उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • एक बच्चे के अंगों का प्रतिरूपण।
  • असली या नकली यौन कर्म के लिए बच्चे का दुरुपयोग करना। इस कर्म के लिये प्रवेशन क्रिया की तरह का अपराध होना आवश्यक नहीं है।
  • बच्चे का अभद्र या घृणित प्रतिरूपण।

अश्लील चित्रण के लिये यह जरूरी नहीं है कि बच्चों को केवल उपर्युक्त गतिविधियों में लिए उपयोग किया गया हो। यदि कोई व्यक्ति कि्सी अन्य तरीके से अश्लीलता दिखाने में बच्चे का उपयोग करता है तो वह भी बाल अश्लील चित्रण के अंतर्गत आता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति बाल अश्लील मीडिया के संपादन, बिक्री या वितरण या इससे संबंधित कोई अन्य क्रियाकलाप में शामिल है, तो यह भी बाल अश्लील चित्रण ही होगा।

बाल अश्लील चित्रण के लिए दंड, उसमें बच्चे की भागीदारी की सीमा और अपराध की प्रकृति के हिसाब से भिन्न भिन्न होगा। बाल अश्लील चित्रण के तहत विभिन्न अपराधों के लिए सजा, जुर्माने के साथ साथ, 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकता है।

LGBTQ + व्यक्तियों का बलात्कार

जब कोई पुरुष आपकी सहमति के बिना आपके साथ सेक्स करता है, तो इसे कानूनन बलात्कार माना जाता है।

वर्तमान कानून के तहत, केवल महिलाएं या पारमहिलाएं (ट्रांसवुमेन) ही बलात्कार या यौन हिंसा का शिकार हो सकती हैं, और सिर्फ पुरुष के खिलाफ ही इस शिकायत को दर्ज किया जा सकता है।

यदि आप एक ऐसे पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) हैं, जिसे यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया हो तो आप, आप पर हुए इस तरह के बलात्कार या अन्य यौन हिंसा के प्रति, शिकायत दर्ज नहीं करा पाएंगे। इसके बजाए आप एक विकल्प के तौर पर सिर्फ यह शिकायत दर्ज करा सकते हैं कि आपको चोट पहुंचाया गया है, या आपको घायल किया गया है।

बलात्कार और सामूहिक बलात्कार

यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं, जिसने आपका बलात्कार किया है, तो आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 375/376 के अंतर्गत पुलिस को प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

यदि बलात्कार क्रिया, लोगो के एक समूह द्वारा किया गया है, तो उनमें से प्रत्येक को सामूहिक बलात्कार के अपराध करने के लिए दंडित किया जाएगा। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376D के अंतर्गत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

किसी अधिकारी द्वारा बलात्कार करना

अगर किसी पुरुष का, अपनी आधिकारिक शक्ति या पद के कारण किसी महिला पर नियंत्रण है, और वह इस नियंत्रण का दुरूपयोग महिला के साथ यौन संबंध बनाने के लिए करता है, तो इसे कानून के तहत बलात्कार माना जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई पुरुष पुलिस अधिकारी, आपको अपनी हिरासत में रखते हुए आपका बलात्कार करता है, तो आप उस अधिकारी के खिलाफ शिकायत कर सकती हैं और प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकती हैं।

ऐसे व्यक्तियों में लोक सेवक, जेल अधिकारीगण या अस्पताल के प्रबंधक आदि लोग शामिल हैं। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 के अंतर्गत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उस व्यक्ति बारे में कुछ नहीं जानती हैं, जिसने आपका बलात्कार किया है। आपको तब भी शिकायत दर्ज करानी चाहिए ताकि पुलिस जांच कर उस अपराधी को पकड़ सके, और आगे उसके ऐसे कारनामों पर रोक लग सके। आप इस तरह की शिकायत, परिवार के किसी सदस्य, शिक्षक आदि के खिलाफ भी दर्ज करा सकती हैं, जिसने भी आपके साथ बलात्कार किया हो। आप किसी और को भी अपनी ओर से प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अनुरोध कर सकती हैं। यदि पुलिस आपकी प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज नहीं करती है, तो आप जो वैकल्पिक कदम उठा सकती हैं उसे समझने के लिए इसे पढ़ें

पद या अधिकार का गलत इस्तेमाल

चेतावनीः दी गई जानकारी शारीरिक हिंसा और यौन हिंसा के बारे में जानकारी है, जो कुछ पाठकों को परेशान और विचलित कर सकती है।

अगर कोई पुरुष अपनी नौकरी या पद के कारण किसी महिला पर नियंत्रण रखता है और इस नियंत्रण का इस्तेमाल किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाने के लिए करता है, तो यह अपराध है।

कानून ऐसे किसी भी व्यक्ति को सजा देता है,जो किसी महिला को अपने साथ यौन संबंध बनाने के लिए मनाने या फुसलाने के लिए अपने पद या विश्वास के रिश्ते का गलत इस्तेमाल करता है। 

वह महिला उसके क्षेत्र, प्रभार या परिसर में मौजूद हो सकती है। यहां, संभोग का तात्पर्य बलात्कार से नहीं है। इसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 के तहत एक अलग अपराध में माना जाएगा। वह व्यक्ति जो महिला को संभोग के लिए राजी करता है, वह निम्नलिखित में से कोई भी हो सकता है:

  1. आधिकारिक पद या विश्वसनीय सम्बन्ध या
  2. एक जनसेवक या
  3. जेल, रिमांड होम, हिरासत के दूसरी जगहों या किसी महिला या बच्चों के संस्थान का अधीक्षक या प्रबंधक या
  4. अस्पताल के प्रबंधन या कर्मचारी।
  5. कोई रिश्तेदार, अभिभावक या शिक्षक।

इन मामलों में, अधिकारिक व्यक्ति को जुर्माने के साथ 5 से 10 साल की कैद की सजा हो सकती है।

उदाहरण के लिए, अगर कोई पुरुष जेल अधीक्षक किसी महिला कैदी को उसकी रिहाई दिलवाने के बदले में यौन संबंध बनाने के लिए कहता है और इस तरह उसे यौन संबंध बनाने के लिए मना लेता है तो वह पुरुष अपनी स्थिति या पद का गलत इस्तेमाल कर रहा है। इस मामले में, उसने महिला के साथ ना जबरदस्ती की और ना बलात्कार किया, बल्कि अपने पद की शक्ति का इस्तेमाल करके उसे यौन संबंध बनाने के लिए मना लिया है।

आप शिकायत कैसे दर्ज करते हैं?

एसिड अटैक के बाद कानूनी प्रक्रिया इस प्रकार है :

चरण 1: एफआईआर दर्ज करें 

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है।

आरोपी के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। यह एफआईआर या तो सर्वाइवर, उनके परिवार के सदस्यों, अपराध को देखने वाले किसी भी व्यक्ति या अपराध के बारे में जानने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा दर्ज की जा सकती है।

चूंकि एसिड अटैक और एसिड फेंकने का प्रयास आईपीसी की धारा 326ए और 326बी के तहत संज्ञेय अपराध हैं, जब पुलिस को लगता है कि व्यक्ति को खुला घूमने देना खतरनाक है तो पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। एफआईआर दर्ज करने वाले व्यक्ति को एफआईआर की फ्री कॉपी प्राप्त करने का भी अधिकार है।

चरण 2: पुलिस द्वारा जांच शुरू करना 

एफआईआर दर्ज होने के बाद, पुलिस शिकायत की जांच करेगी और जांच और गवाहों के बयानों के आधार पर अंतिम रिपोर्ट पेश करेगी। जब आरोपी हिरासत में हो, तो यह जांच 60 से 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।

चरण 3: चार्जशीट दाखिल करना और मुकदमे का शुरू होना 

जांच करने पर, अगर पुलिस को लगता है कि आरोपी द्वारा किए गए अपराध के पर्याप्त सबूत हैं, तो वे एक आपराधिक अदालत में चार्ज शीट दायर कर सकते हैं, जिसमें मामले का नोटिस लेने का अनुरोध किया जा सके। इसके बाद परीक्षण प्रक्रिया शुरू होती है। यदि सबूत अपर्याप्त हैं, तो मामले को बंद करने के लिए मजिस्ट्रेट के पास क्लोजर रिपोर्ट दायर की जा सकती है। हालांकि, इसे चुनौती दी जा सकती है। कृपया मुकदमे की प्रक्रिया के लिए संबंधित जिला अदालत के वकील की मदद लें।

आप यौन अपराधों के खिलाफ कैसे शिकायत दर्ज करा सकते हैं?

पुलिस में। 

पुलिस स्टेशन जाइए,

एफ.आई.आर. किसी भी पुलिस थाने में दर्ज करायी जा सकती है या जहां अपराध हुआ है, उसके नजदीकी थाने में भी प्राथमिकी दर्ज करायी जा सकती है। एक दोस्त या रिश्तेदार सहित कोई भी व्यक्ति पीड़िता की ओर से प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। हालांकि, रिपोर्टिंग कराते समय, पीड़िता को एक बयान देना होगा, जिस बयान को एक महिला पुलिस अधिकारी उस प्राथमिकी शिकायत में दर्ज करेगी।

100 न. पर कॉल करें,

पीड़िता 100 न. पर कॉल करके पुलिस से तत्काल मदद मांग सकती है। यदि कोई पीड़िता मुसीबत में है, तो उसकी सहायता के लिए पुलिस की एक इकाई को उसके स्थान पर भेजा जाएगा।

साइबर सेल में, 

पुलिस के साइबर सेल में जाकर यौन उत्पीड़न की शिकायत को कोई भी ऑनलाइन दर्ज करा सकता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली साइबर क्राइम यूनिट में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करायी जा सकती है।

राष्ट्रीय महिला आयोग में, 

पीड़िता निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) से संपर्क कर सकती है: 1091 न. पर कॉल करें

• 1091 न. पर कॉल करें

• घटना के बारे विस्तारपूर्वक जानकारी दें

• अपना पता और संपर्क नंबर दें

उसके बाद दिए गए पते पर पुलिस की एक इकाई भेजी जाएगी, जो पीड़िता को आवश्यक कदम उठाने में सहायता करेगी। यौन अपराध और घरेलू हिंसा सहित महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा की सूचना 1091 नंबर पर दी जा सकती है।

ऑनलाइन दर्ज करना 

राष्ट्रीय महिला आयोग के पास एक ऑनलाइन शिकायत प्रणाली है, जिसे शिकायत पंजीकरण और निगरानी प्रणाली के रूप में जाना जाता है, जहां एक पीड़िता विवरण या अपनी जानकारी को भर सकती है, और औपचारिक शिकायत दर्ज करा सकती है। जिसमें निम्नलिखित जानकारी देनी होगी:

• शिकायतकर्ता का विवरण (वह व्यक्ति जो शिकायत दर्ज करा रहा/रही है),

• पीड़िता का विवरण (हिंसा/उत्पीड़न का सामना करने वाली महिला),

• अपराधी का विवरण (अपराधी यानी वह व्यक्ति जिसने यौन हिंसा किया है) और भी जानकारी/

• विवरण जैसे:

  • घटना का विवरण,
  • तारीख और समय,
  • घटना स्थल।

ईमेल के द्वारा शिकायत दर्ज कराना: 

यौन उत्पीड़न के संबंध में किसी भी जानकरी जैसे कि यौन हिंसा करने वाले व्यक्ति की जानकारी या घटना के विवरण के साथ, राष्ट्रीय महिला आयोग के पास एक ईमेल भेजकर शिकायत दर्ज करायी जा सकती है।

पोस्ट/पत्र/मैसेंजर के द्वारा: 

राष्ट्रीय महिला आयोग को इस पते पर एक पत्र लिखा जा सकता है:

राष्ट्रीय महिला आयोग प्लॉट-21,

जसोला इंस्टीट्यूशनल एरिया,

नई दिल्ली- 110025 

एक मित्र/रिश्तेदार भी पीड़िता की ओर से शिकायत दर्ज करा सकता है या पीड़िता अपने किसी मित्र/रिश्तेदार को पत्र सौंप सकती है, जो ऊपर दिए गये पते पर जमा करा सकता है।

ऑनलाइन क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल 

यौन अपराध की रिपोर्ट को ऑनलाइन करने के लिए नीचे दिए गए सभी तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति फेसबुक या इन्स्टाग्राम पर किसी महिला का स्टाकिंग कर रहा है, तो वह इस सम्बन्ध में कार्रवाई करने के लिए नीचे दिए गए किसी भी पोर्टल का उपयोग कर सकती हैं: सोशल मीडिया रिपोर्टिंग के माध्यम से, ऐसे दो तरीके हैं जिनसे एक महिला दुर्व्यवहार करने वाले के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। वह किसी भी तरीके या दोनों का उपयोग कर सकती है:

• सोशल मीडिया पर दुर्व्यवहार करने वालों को ब्लॉक करें,

• एडमिनिस्ट्रेटर को दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करें,

• साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराएं।

ऑनलाइन क्राइम रिपोर्टिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए, ऑनलाइन दुर्व्यवहार की रिपोर्टिंग पर लिखी गयी हमारे इस लेख को पढ़ें।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न 

अगर किसी महिला को काम करने की जगह पर किसी भी तरह के यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है और वह नियोक्ता कार्रवाई (उदाहरण के लिए, अपराधी को बर्खास्त करने के लिए) के माध्यम से यौन उत्पीड़न को रोकना चाहती है, तो वह आंतरिक समिति के पास शिकायत दर्ज करा सकती है, जो कि सभी कार्यालयों में उपलब्ध एक शिकायत प्रणाली है। प्रत्येक पीड़िता या उसकी ओर से किसी भी व्यक्ति के पास भी शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास जाने का विकल्प होता है।

 

प्रसव पूर्व निदान प्रक्रियाएं कहां की जा सकती हैं?

कानून के अनुसार केवल आनुवंशिक परामर्श केंद्र, आनुवंशिक प्रयोगशालाएं और आनुवंशिक क्लीनिक (पंजीकृत केंद्र) जो कानून के तहत पंजीकृत हैं, वे प्रसव पूर्व निदान प्रक्रियाओं का संचालन कर सकते हैं। चिकित्सकीय पेशेवरों सहित कोई भी पंजीकृत केंद्रों के अलावा किसी भी स्थान पर प्रसव पूर्व निदान प्रक्रिया नहीं कर सकता है।

ये पंजीकृत केंद्र केवल उन लोगों को (भुगतान पर या मानद आधार पर) नियुक्त कर सकते हैं जो गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन का निषेध) नियम, 1996 के नियम 3 में निर्धारित इन न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

 

जानवरों की चोरी

किसी और के कब्जे से किसी भी जानवर को चोरी करना चोरी माना जाता है। इसमें कुत्ते, बिल्ली, घोड़े आदि शामिल हैं। उदाहरण के लिए, यदि राम श्याम के कुत्ते को बुलाता है, और कुत्ता राम के पास जाने लगता है, तो इसे चोरी माना जाएगा।

यह 3 साल तक की जेल और/या जुर्माने के साथ दंडनीय है। यदि आपके जानवर चोरी हो गए हैं, तो शिकायत करने के लिए आप जो कदम उठा सकते हैं, उन्हें समझने के लिए यहां पढ़ें।

किसी बच्चे को यौन उत्पीड़ित करने में, किसी व्यक्ति की मदद करना

जब आप किसी बच्चे को यौन उत्पीड़न में, किसी व्यक्ति की मदद करते हैं, उसे छुपाते हैं या जानकर प्रोत्साहित करते हैं, तो आप बाल यौन उत्पीड़न के दुष्प्रेरक बन जाते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर कोई आपको बताता है कि वे अपने पड़ोसी के बच्चे के साथ एक अश्लील वीडियो शूट करना चाहते हैं और आप यह जानकर भी उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। और वे एक कैमरा खरीदते हैं और बच्चे को उस तरह से फिल्माते हैं, तो आप दोनों को इस अपराध के लिये दंडित किया जा सकता है।

किसी बच्चे को यौन उत्पीड़न में मदद करने की सजा और जुर्माना भी वही होगा जो एक बाल यौन उत्पीड़न के वास्तविक अपराधी के लिये होगा।

LGBTQ + व्यक्तियों के प्रति यौन हिंसा

यदि आप किसी यौन हिंसा का सामना करते हैं या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जिसके साथ यौन हिंसा हुई है, तो आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

तत्काल सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन पर कॉल करें।

नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करें।

यौन हिंसा

यदि आपने किसी भी प्रकार की यौन हिंसा का सामना किया है, जिसमें बलात्कार, अनुचित स्पर्श, पीछा करना आदि शामिल हैं, तो आप पुलिस के पास प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकती हैं। आप इस तरह की शिकायत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कर सकती हैं, जिसमें आपके परिवार का कोई सदस्य, शिक्षक आदि भी हो सकता है।

  • यदि आप महिला / पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं

आपको यौन हिंसा के खिलाफ, भारत में कानूनों के तहत शिकायत

दर्ज करने का अधिकार है, लेकिन सिर्फ पुरुष के विरुद्ध। यदि आप एक पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं और पुलिस ने यह कहते हुए प्राथिमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया है कि आप कानून के तहत एक ’महिला’ नहीं हैं, तो आप क्या कदम उठा सकती हैं उसके लिये, यहां देखें।

  • यदि आप एक पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) हैं

आप यौन हिंसा के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा नहीं सकते हैं, क्यों कि भारत में कानून के तहत एक पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) यौन हिंसा का शिकार हो नहीं सकता है। आपके पास एकमात्र विकल्प है उन भारतीय कानूनों की मदद लेना जो आपको चोट पहुंचाने या घायल करने वालों को सजा दे सकते हैं।

कार्यस्थल पर यौन हिंसा

यदि आपके कार्यालय में यौन उत्पीड़न की नीतियां लिंग-तटस्थ हैं, तो आप अपने लिंग की परवाह किए बिना शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि आप नियोक्ता की कार्रवाई (उदाहरण के लिए उत्पीड़क की बर्खास्तगी) के माध्यम से यौन उत्पीड़न को रोकना चाहते हैं, तो आप अपने कार्यालय के आंतरिक शिकायत समिति (इंटरनल कमप्लेन्ट्स कमिटी, आईसीसी) के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जो शिकायत तंत्र सभी कार्यालयों में उपलब्ध होता है। आपके पास पुलिस के पास जाने का भी विकल्प है।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का कानून, केवल उन्हीं महिलाओं को पीड़िता मानता है जो आंतरिक शिकायत समिति (इंटरनल कमप्लेन्ट्स कमिटी, आईसीसी) को शिकायत करती हैं, या पुलिस से संपर्क कर एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराती हैं। यदि आपके संगठन की यह नीति है, तो आपके पास निम्नलिखित विकल्प हैं:

  • एक पुरूष या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के पुरुष के रूप में, आप किसी गैर सरकारी संगठन या किसी वकील की मदद ले सकते हैं, जो एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा कर कानून के तहत उन लोगों को दंडित करा सकते हैं, जिन्होंने आपको चोटिल या घायल किया है।
  • एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) की महिला के रूप में, आपको यौन हिंसा के कानूनों के तहत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अधिकार है।

ऑनलाइन यौन हिंसा

यदि आप किसी यौन उत्पीड़न का सामना ऑनलाइन कर रहे हैं, तो ज्यादा समझने के लिए यहां क्लिक करें

बलात्कार की रिपोर्ट करना

पुलिस

  • अगर बलात्कार हुआ है, तो सबसे पहली और जरूरी बात यह है कि FIR करके पुलिस को इसकी सूचना दें। आप 1091 (महिला हेल्पलाइन नंबर) पर कॉल करके भी बलात्कार की रिपोर्ट कर सकते हैं। 
  • अगर कोई जल्दी इस अपराध की रिपोर्ट नहीं करता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि देर से की गयी FIR इस मामले को नुकसान पहुंचाएगी। बल्कि इससे पुलिस को मामले की जांच करने में और सबूत इकट्ठा करने में कठिनाई हो सकती है। देर से भी एफआइआर दर्ज हो सकती है। देरी के आधार पर FIR लिखने से कोई मना नहीं कर सकता है। 
  • FIR दर्ज करने के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाएं। यह जरूरी नहीं कि पुलिस स्टेशन उसी क्षेत्र में हो, जहां अपराध हुआ हो। अपने नजदीक के पुलिस स्टेशन का पता लगाने के लिए, ‘इंडियन पुलिस एट योर कॉल’ ऐप डाउनलोड करें और पास के पुलिस स्टेशन का पता लगाएं। आप 100 नम्बर पर भी कॉल कर सकते हैं।
  • घटना के एकदम बाद पुलिस के पास जाना सर्वाइवर के लिए मुश्किल होता है। सर्वाइवर शिकायत दर्ज कराने में किसी महिला या मित्र की मदद या वकील से संपर्क कर सकती है। अगर सर्वाइवर पुलिस के पास नहीं जाना चाहती है, तो कोई दूसरा व्यक्ति FIR दर्ज करा सकता है। अगर सर्वाइवर अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाती है, तो जानकारी केवल एक महिला अधिकारी द्वारा दर्ज की जाती है। 
  • अगर सर्वाइवर को शारीरिक या मानसिक विकलांगता है। इस स्थिति में पुलिस खुद आकर उसकी शिकायत उसके घर या किसी दूसरे स्थान से लेगी, जहाँ वह सहज महसूस करती है। सर्वाइवर  का बयान उसके निवास पर या उसकी पसंद के किसी भी जगह पर दर्ज किया जा सकता है। जहां तक ​​हो सके, एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा सर्वाइवर के माता-पिता/अभिभावक/निकट संबंधियों/ मोहल्ले के सामाजिक कार्यकर्ता की मौजूदगी में बयान दर्ज किया जाए।
  • अगर सर्वाइवर को हमले या हमलावर से जुड़ी जानकारी याद नहीं हैं, तो भी इसमें चिंता की बात नहीं है। उसे जितना याद है, पुलिस को बताने के लिए उतना ही काफी है।
  • पुलिस द्वारा शिकायत पढ़ लेने के बाद, अगर सभी जानकारी सही हैं, तो शिकायतकर्ता  FIR पर हस्ताक्षर करती है। अगर कोई पुलिस अधिकारी  FIR दर्ज करने से मना करता है या अपराध की जानकारी दर्ज नहीं करता है। इस स्थिति में, लिखित रूप में और डाक द्वारा जानकारी का सार पुलिस अधीक्षक को दे सकते हैं, जो मामले की आगे की जांच खुद कर सकते हैं या जांच का निर्देश दे सकते हैं। अगर ये भी नहीं होता है, तो शिकायतकर्ता मजिस्ट्रेट के पास आवेदन कर सकता है।
  • शिकायतकर्ता FIR की एक कॉपी मुफ्त में ले सकती है। FIR  नंबर, FIR  की तारीख और पुलिस स्टेशन के नाम की जानकारी से ऑनलाइन  भी FIR  की जानकारी मुफ्त में ले सकते हैं।
  • FIR दर्ज होने के बाद उसकी जानकारी में बदलाव नहीं किया जा सकता है। हालांकि बाद में, किसी भी समय पुलिस को और ज्यादा जानकारी दी जा सकती है।

वन स्टॉप सेंटर 

सर्वाइवर वन स्टॉप सेंटर से भी संपर्क कर सकती है, जो हिंसा से प्रभावित महिलाओं को कई जरूरी सेवाएं देती है। इन सेवाओं में इलाज सहायता, पुलिस सहायता, कानूनी सहायता/ मामले का प्रबंधन, मनोसामाजिक परामर्श और अस्थायी मदद शामिल हैं।