बलात्कार का मुकदमा

बलात्कार के अपराध की जांच और परीक्षण कैमरे में किया जाता है, यानी जनता के लिए खुला नहीं। हालाँकि,यदि कोई एक पक्ष इसके लिए आवेदन करता है तो न्यायाधीश किसी व्यक्ति को अदालत के मुकदमे तक पहुँचने या उसका निरीक्षण करने की अनुमति दे सकता है। जहाँ तक संभव हो, मुकदमा एक महिला न्यायाधीश द्वारा चलाया जाता है।

बलात्कार के कुछ मामलों में, जहां संभोग साबित हो जाता है और पीड़िता कहती है कि उसने सहमति नहीं दी, अदालत कानूनी रूप से मानती है कि पीड़िता ने सहमति नहीं दी थी। फिर, यह आरोपी व्यक्ति के वकील पर निर्भर करता है कि यदि संभव हो तो, वह साबित करे कि, पीड़िता ने सहमति व्यक्त की थी। चार्जशीट दाखिल करने की तारीख से दो महीने के भीतर जांच या ट्रायल पूरा हो जाता है।

भारत में एसिड की बिक्री को कैसे नियंत्रित किया जाता है?

भारत में एसिड की बिक्री, नियामक तंत्र के दो स्तरों द्वारा नियंत्रित होती है:

संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियमों से 

छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक, त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश सहित एसिड की बिक्री के लिए विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने नियम बनाए हैं। ये नियम मोटे तौर पर समान हैं, और एसिड बेचने वाले दुकानदारों के लिए विभिन्न आवश्यकताओं को निर्धारित करते हैं:

1. दुकानदार केवल एसिड बेच सकते हैं, या बिक्री के लिए तभी रख सकते हैं, जब उनके पास संबंधित लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस हो। इसका मतलब यह प्राधिकारी जिला मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त कोई अन्य अधिकारी हो सकता है।

2. यदि किसी दुकानदार का लाइसेंस अमान्य हो जाता है, तो उन्हें 3 महीने के भीतर दूसरे लाइसेंस धारक को एसिड बेचना होगा। इस अवधि के बाद, लाइसेंसिंग प्राधिकारी को इसे हटाना और नष्ट करना होता है।

3. दुकानदारों को अपने व्यवसाय के स्थान पर उस राज्य के एसिड नियमों की बिक्री की एक कॉपी प्रदर्शित करनी होगी।

4. दुकानदारों को केवल उन्हीं परिसरों से एसिड बेचना चाहिए, जो लाइसेंस में निर्दिष्ट किए गए हैं। उदाहरण के लिए, दुकानदार अपने केवल एक ही दुकान में एसिड की बिक्री कर सकता है, न कि अन्य किसी दुकान में जिसका लाइसेंस में उल्लेख नहीं है।

5. दुकानदारों को केवल उन्ही लोगों को एसिड बेचना चाहिए जिन्हें वह व्यक्तिगत रूप से जानता है, या जो अपने पते के साथ एक फोटो पहचान-पत्र दिखाते हैं और आधार कार्ड जैसे कानूनी रूप से वैध पते के प्रमाण के साथ इसकी पुष्टि करते हैं।

6. दुकानदारों को एसिड खरीदने वाले का नाम, फोन नंबर, पता और एसिड खरीदने का मकसद पता करने के बाद ही एसिड बेचना चाहिए. उन्हें एसिड बिक्री लेनदेन के निर्धारित विवरण के साथ एक रजिस्टर रखना होगा, जिसमें एसिड का नाम, बेची गई मात्रा आदि शामिल हैं।

7. दुकानदारों को 18 साल से कम उम्र के लोगों को एसिड नहीं बेचना चाहिए।

8. दुकानदारों को एसिड को एक बॉक्स/कमरे आदि में सुरक्षित रूप से स्टोर करना चाहिए, जिस पर ‘जहर’ लिखा हो, और यह सुनिश्चित करें कि वहां केवल एसिड ही रखा जाए। उन्हें सुरक्षित रूप से पैकिंग और लेबल लगाने के बाद ही एसिड बेचना चाहिए।

यदि कोई दुकानदार पहली बार इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो 3 महीने तक की जेल की सजा दी जा सकती है, या 500 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों लगाएं जा सकते हैं। अपराध को दोहराने पर 6 महीने तक की अवधि की जेल है, या 1000 रुपये का जुर्माना, या दोनों लगाए जा सकते हैं। इसलिए, उनके खिलाफ एसिड की अवैध बिक्री के लिए आपराधिक शिकायत या एफआईआर दर्ज की जा सकती है। ऐसा एसिड, जो अवैध रूप से जमा किया गया है, उसे भी दुकानदार के पास से जब्त कर लिया जाएगा।

भारत सरकार ने संबंधित नियम बनाते समय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मॉडल नियम(जहर रखने और बिक्री नियम, 2013) भी बनाए हैं, ताकि उसे संदर्भित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अपने नियमों को इन मॉडल नियमों के जैसे ही सख्त बनाने के लिए अनिवार्य किया है। इसके अलावा, कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से बार-बार आग्रह किया है कि वे एसिड और अन्य नाशक पदार्थों की बिक्री को विनियमित करने के लिए नियम बनाएं, और उसका उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करें।

सुप्रीम कोर्ट के नियम 

सुप्रीम कोर्ट ने एसिड की बिक्री के बारे में दिशा-निर्देश दिए हैं ताकि जिन राज्यों में एसिड की बिक्री के लिए राज्य के नियम नहीं थे वहां उनका पालन हो सके। इन दिशानिर्देशों के तहत, दुकानदारों को निम्नलिखित नियमों का पालन करना होगा:

• यदि वे खरीदार के विवरण, उनके पते और बेची गई मात्रा के साथ एक रजिस्टर बनाए रखते हैं वे तभी एसिड की ओवर-द-काउंटर बिक्री कर सकते हैं।

• उन्हें एसिड तभी बेचना चाहिए जब खरीदार व्यक्ति अपने पते के साथ सरकार द्वारा जारी फोटो आईडी दिखाता है, और एसिड खरीदने का कारण बताता है।

• उन्हें जिले के सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को 15 दिनों के भीतर अपने एसिड के स्टॉक की घोषणा करनी होगी।

• उन्हें नाबालिगों को एसिड नहीं बेचना चाहिए।

इन न्यायालय दिशानिर्देशों के तहत, कोई व्यक्ति जिले के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को भी शिकायत कर सकता है क्योंकि दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने की उनकी जिम्मेदारी है और वे ऊपर दिए गए नियमों का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर जुर्माना लगा सकते हैं।

साइबर स्टाकिंग क्या है?

[जारी चेतावनी: इस लेख में शारीरिक हिंसा, यौन हिंसा, दुर्व्यवहार और गाली-गलौज के बारे में जानकारी है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

यदि कोई व्यक्ति ईमेल, सोशल नेटवर्क और व्हाट्सएप आदि जैसे इंस्टेंट मैसेजिंग एप्लिकेशन के माध्यम से इंटरनेट पर किसी महिला की गतिविधि पर लगातार नजर रखता है या उसका पीछा करता है या फॉलो करता है, तो यह साइबर स्टाकिंग का अपराध है।

साइबर स्टाकिंग के कुछ सामान्य रूप हैं, जैसे:

• सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर किसी व्यक्ति के द्वारा लगातार संपर्क करना, उदाहरण के लिए, व्हाट्सएप और फेसबुक।

• किसी की सभी व्यक्तिगत जानकारी और तस्वीरें प्राप्त करने के लिए और उनके खिलाफ इसका इस्तेमाल करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना।

• अश्लील फोटो और वीडियो, धमकियों और गालियों के साथ नग्न या विकृत चित्रों को प्रदर्शित करने वाला ईमेल भेजना।

• इंटरनेट पर या अश्लील वेबसाइट पर किसी की अश्लील/नग्न तस्वीरें पोस्ट करना।

• कंप्यूटर के वेबकैम या कंप्यूटर डिवाइस तक पहुंच कर किसी महिला की गतिविधि की निगरानी करना।

ऑनलाइन स्टाकिंग के लिए जुर्माने के साथ तीन साल तक की जेल की सजा है। बार-बार अपराध करने वालों के लिए, यह सजा और अधिक है, यानी जुर्माने के साथ पांच साल तक की जेल।

दुकानों से सामान चोरी करना (शॉपलिफ्टिंग)

शॉपलिफ्टिंग का तात्पर्य किसी दुकान या स्टोर से वस्तुओं की चोरी करना और उनके लिए भुगतान नहीं करना है। उदाहरण के लिए, राम और श्याम चॉकलेट चोरी करने के लिए एक किराने की दुकान पर जाते हैं और बिना भुगतान किए भाग जाते हैं।

भारत में, शॉपलिफ्टिंग को चोरी पर सामान्य कानून शासित किया जाता है। चोरी क्या है और इसकी क्या सजा है, जानने के लिए यहां और पढ़ें। यदि आपने शॉपलिफ्टिंग का अनुभव किया है, तो शिकायत करने के लिए आप जो कदम उठा सकते हैं, यह समझने के लिए यहां पढ़ें।

बाल यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करना

अगर आपको पता चलता है कि कहीं बाल यौन दुराचार हो रहा है, तो आपको पुलिस को इसकी रिपोर्ट करनी होगी, जो आपके शिकायत को लिखित रूप में दर्ज करेगा। यदि आप जान कर भी रिपोर्ट नहीं करते हैं, तो आपको जुर्माने के साथ 6 महीने के जेल की सजा दी जा सकती है। यदि आप किसी भी घटना से अवगत हैं और आप बहुत हद तक निश्चित हैं कि कोई बच्चा किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न का शिकार है, तो कृपया बच्चे की मदद करने के लिए किसी अधिकारी से संपर्क करने के लिए उल्लेखित तरीकों का प्रयोग करें। इसके लिये अधिकारी तक पहुंचने के कई तरीके हैं, इसलिए आप के लिये जो सबसे ज्यादा उपयुक्त तरीका हो उसका उपयोग करें।

आप किसी भी तरीके से शिकायत कर सकते हैं:

ऑनलाइन:

सरकार की एक ऑनलाइन शिकायत प्रणाली है जहां आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आपकी शिकायत ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स) को दायर की जाएगी।

फोन के जरिए:

आप निम्नलिखित टेलीफोन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं: -‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’-9868235077 -‘चाइल्डलाइन’ (चाइल्डलाइन बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए एक हेल्पलाइन है) -1098

ईमेल के जरियेः

आप pocsoebox-ncpcr@gov.in पर एक ईमेल भेज सकते हैं

पुलिस:

बाल यौन उत्पीड़न की किसी भी घटना के बारे में आपके पास जो भी जानकारी है, उसके बारे में पुलिस से संपर्क करने के लिए 100 नंबर पर कॉल करें।

मोबाइल ऐप्प:

आप POCSO e-box (केवल एंड्रॉयड यूजर्स के लिये) नामक मोबाइल ऐप्प डाउनलोड कर सकते हैं और सीधे इसके माध्यम से उत्पीड़न की रिपोर्ट कर सकते हैं।

पोस्ट / पत्र / ‘मैसेंजर’ के माध्यम से:

आप अपनी शिकायत के साथ ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ को लिख सकते हैं या इस पते पर एक ‘मैसेंजर’ भेज सकते हैं:

'राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग' (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स, एनसीपीसीआर) 
5 वाँ तल, चंद्रलोक बिल्डिंग 36, जनपथ, नई दिल्ली -110001 भारत।

जब आपने शिकायत कर दी तो बच्चे के साथ क्या होगा इसके बारे में आप चिंतित न हों। बच्चे की स्थानीय पुलिस / ‘विशेष किशोर पुलिस’ (स्पेशल जुवेनाइल पुलिस) के द्वारा देखभाल की जाएगी जो ‘बाल कल्याण समिति (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) को सूचित करेगी, जो शिकायत मिलने के बाद, बच्चे और बच्चे के परिवार को कानूनी प्रक्रिया में सहायता करने के लिए एक ‘सहायक व्यक्ति’ (सपोर्ट परसन) की नियुक्ति करेगी।

LGBTQ+ व्यक्तियों द्वारा एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराते वक्त होने वाली कठिनाइयां

यदि कोई पुलिस अधिकारी आपके यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान के कारण आपकी प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से इनकार करता है, या आपको परेशान करता है, तो आप नीचे दिए गए कदम उठा सकते हैं:

  • एक लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक (एसपी) को करें। पुलिस अधीक्षक खुद जांच कर सकते हैं, या वे अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को कार्रवाई करने का आदेश दे सकते हैं।
  • पुलिस स्टेशन जाते समय किसी वकील की मदद लें। यह बेहद उपयोगी है क्योंकि वकील आपकी ओर से वकालत करने में सक्षम होते हैं, और उनके साथ रहने से पुलिस अधिकारियों द्वारा आपके साथ होने वाले उत्पीड़न की संभावना कम रहेगी।
  • एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करने के लिए, पास के किसी अन्य पुलिस स्टेशन पर जाएं। इसे जीरो प्राथिमिकी (एफआईआर) के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी भी पुलिस स्टेशन में प्राथिमिकी दर्ज की जा सकती है, और दी गई जानकारियों को पुलिस अधिकारियों द्वारा अनिवार्य रूप से रिकॉर्ड करना होता है, और फिर इसे उस पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करना होता है, जिसके क्षेत्र / क्षेत्राधिकार में यह अपराध हुआ है।
  • किसी और को अपनी ओर से प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अनुरोध करें। आप उस व्यक्ति को, आपके साथ हुई हिंसा / उत्पीड़न का विवरण दे सकते हैं।
  • ’निजी शिकायत’ दर्ज कराने के लिए सीधे जिला / न्यायिक मजिस्ट्रेट से संपर्क करें, लेकिन पुलिस के पास जाने के बाद ही।
  • राष्ट्रीय / राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय / राज्य महिला आयोग जैसे अन्य शिकायती फोरम की मदद लें, जो न केवल पुलिस से संपर्क करने में आपकी सहायता करेंगे, बल्कि हिंसा / उत्पीड़न की घटनाओं को भी देखेंगे।

चोरी के दौरान हिंसा का सामना

अगर कोई चोरी करते समय हथियारों के साथ या हथियारों के बिना हिंसा करता है, तो सजा ज्यादा होगी। कानून के तहत इसे डकैती कहा जाता है। डकैती के लिए 10 साल तक जेल की सजा और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

जब चोर स्वेच्छा से आपकी मृत्यु का कारण बनता है / आपको मारने का प्रयास करता है, आपको रोकता है, आपको चोट पहुँचाता है, या आपको किसी चोट से डराता है, तो यह डकैती है।

चोरी करते समय, चोरी करने के लिए, चोरी के सामान को ले जाने का प्रयास करने या ले जाने के दौरान यदि हिंसा होती है, तब भी यह डकैती का अपराध है।

अगर आपको चोरी के दौरान हिंसा का सामना करना पड़ा है, तो शिकायत करने के लिए आप जो कदम उठा सकते हैं, उन्हें समझने के लिए यहां पढ़ें।

बच्चे की गवाही का विशेषज्ञों द्वारा रिकॉर्ड करना

सभी साक्षात्कार और जांच के दौरान, उन बच्चों और पक्षों की मदद करने के लिए जो विभिन्न भाषा बोलते हैं, या जिन्हें संचार में कठिनाई होती है, दुभाषिये और विशेषज्ञ मौजूद रहते हैं। ये लोग उन गवाहों की मदद करने के लिए रहते हैं जिनकी भाषा, उस विशिष्ट राज्य के न्यायालय की भाषा से अलग है। प्रत्येक जिले की ‘बाल संरक्षण इकाइयां’ (चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट्स) को, पीड़ितों और उससे संबंधित पक्षों को संचार मुद्दों पर मदद करने के लिए दुभाषियों और अनुवादकों को उपलब्ध करना होगा। यदि दुभाषिया उपलब्ध नहीं है, तो किसी गैर-पेशेवर को दुभाषिये के रूप में उपयोग किया जा सकता है लेकिन पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके हितों का टकराव (कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट) ना हो। उदाहरण के लिए, एक पिता अपने बच्चे के लिए दुभाषिये का रोल अदा नहीं कर सकता।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • दुभाषिये को, परिवार के साथ बहुत अधिक घुलमिल जाने की आवश्यकता नहीं है और न ही उसे उनकी तरफ से बात करनी चाहिए। संप्रेषण की कठिनाइयों में मदद करना ही उसका एकमात्र कार्य होना चाहिए।
  • दुभाषिये का परिवार या उस बच्चे के साथ कोई पुराना संबंध नहीं होना चाहिए।
  • पीड़ित और अन्य पक्षों द्वारा दी गई सभी जानकारी बेहद गोपनीय है और किसी भी तरीके से इसका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।

घरेलू हिंसा के लिए परामर्श

परामर्श किसी सलाहकार से पेशेवर मार्गदर्शन के प्रावधान की ओर इशारा करता है, जो आपके द्वारा झेली गई घरेलू हिंसा के मामले को निपटाने में, इस बात की गारंटी दिलाने में कि हिंसा दोहराई नहीं जाएगी, आपकी और आपके उत्पीड़क की मदद करेगा, और घरेलू हिंसा की समस्या का सर्वोत्तम संभव समाधान लेकर आएगा। अदालत या तो उत्पीड़क को या आपको, या तो अकेले या एक साथ, किसी सेवा प्रदाता या कोर्ट द्वारा नियुक्त काउंसलर(परामर्शदाता) से परामर्श करने का आदेश पारित कर सकती है।

 

काउंसलर(परामर्शदाता) नहीं हो सकता हैः

  • कोई ऐसा व्यक्ति जो इस केस से जुड़ा हो, या कोई ऐसा व्यक्ति जो आपका या आपके उत्पीड़क का संबंधी हो जब तक कि आप और उत्पीड़क दोनों ही इसके लिए अपनी सहमति न दे दें1)
  • कोई ऐसा वकील जो इस मामले में उत्पीड़क की ओर से पेश हो चुका है।

 

यदि आप काउंसलर(परामर्शदाता) से किसी कारणवश संतुष्ट नहीं हैं, तो आप अपने वकील से इस बारे में कोर्ट को बताने के लिए कह सकते हैं जो इस मामले को देखेगा।

 

काउंसलर(परामर्शदाता) की भूमिका

काउंसलर(परामर्शदाता) की भूमिका है कि वहः

  • किसी ऐसी जगह पर आपके साथ अकेले या उत्पीड़क के साथ एक मीटिंग तय करे जो आपके और आपके उत्पीड़क के लिए सुविधाजनक हो2)
  • काउंसलर(परामर्शदाता) को परामर्श देने की कार्यवाहियां इस बात को सुनिश्चित बनाने के उद्देश्य से पूरी करनी पड़ेंगी कि घरेलू हिंसा दोहराई न जाए। काउंसलर(परामर्शदाता) उत्पीड़क से यह कहते हुए एक वचन3) ले सकता है कि वहः
  • आगे कोई घरेलू हिंसा नहीं करेगा।
  • पत्र, टेलीफोन, इलेक्ट्रॉनिक मेल के माध्यम से या जज द्वारा अनुमत तरीके से काउंसलर(परामर्शदाता) की मौजूदगी के अलावा किसी और माध्यम से मिलने या बातचीत करने की कोशिश नहीं करेगा।
  • यदि आप फैसला करते हैं कि आप मामले को निपटाना और केस को खत्म करना चाहते हैं, तो आप काउंसलर(परामर्शदाता) से कह सकते हैं, जो इसमें सम्मिलित हर एक के लिए सर्वोत्तम संभव समाधान पेश करने की कोशिश करेगा।

 

परामर्श देने की प्रक्रिया में, उत्पीड़क को इस बात की अनुमति नहीं है कि वह आपको घरेलू हिंसा का शिकार बनाने के लिए किसी कारण का औचित्य पेश करे। परामर्श की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, काउंसलर(परामर्शदाता) को जितना जल्दी हो सके कोर्ट में परामर्श की बैठक (बैठकों) से संबंधित रिपोर्ट जमा करनी होती है ताकि कोर्ट आगे की कार्रवाई कर सके और, 2 महीने के भीतर, केस की सुनवाई के लिए तारीख तय कर सके। यदि निपटारा नहीं हो पाया है, तो काउंसलर(परामर्शदाता) को अदालत के समक्ष इसके कारण बताने होंगे।

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए LGBTQ+ व्यक्ति

जब पुलिस अधिकारी आपको किसी अपराध या किसी अपराध के संदेह के आधार पर गिरफ्तार करना चाहते हैं, तो वे आपके स्थान पर आ सकते हैं, और आपको गिरफ्तार कर सकते हैं। आपको गिरफ्तार करते समय गिरफ्तारी का विवरण, गिरफ्तारी का स्थान, गिरफ्तारी का समय, आदि को एक गिरफ्तारी मेमो में लिखा जाता है। वे निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

  • आपको वारंट के साथ गिरफ्तार कर सकते हैं
  • आपको बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं
  • थाने में उपस्थित होने के लिए आपको एक नोटिस जारी कर सकते हैं।
  • गिरफ्तार होने के समय सभी को कुछ अधिकार कानून के तहत हैं, जिसका आपके लिंग या आपके यौन अभिविन्यास से कोई संबंध नहीं है।

यदि आप एक महिला या एक पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं, तो कानून के तहत आपकी गिरफ्तारी के समय आपके कुछ विशिष्ट अधिकार हैं। उदाहरण के लिए, जब किसी महिला को गिरफ्तार किया जा रहा हो तो वहां एक महिला सिपाही की उपस्थिति ज़रूरी है।