बाल विवाह की सूचना देना

सहित बाल विवाह की शिकायत कोई भी कर सकता है। बालक/बालिका खुद अपने बाल विवाह की शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाल विवाह सम्पन्न हुआ है या नहीं। विवाह के पहले या बाद कभी भी शिकायत दर्ज करी जा सकती है। शिकायत निम्नलिखित में से किसी भी प्राधिकारी को करी जा सकती हैः

1098 पर कॉल करें

1098 एक टोल-फ्री नंबर है और यह पूरे भारत में काम करता है। इसका संचालन चाइल्ड इंडिया फाउंडेशन द्वारा किया जाता है। यह संस्था बाल अधिकारों और बच्चों के संरक्षण के लिए काम करता करती है। स्वयं बच्चे इस नंबर पर शिकायत कर सकते हैं और इस नंबर पर अपनी सूचना दे सकते हैं। आपको स्कूल में पढ़ने वाले और काम करने वाले बच्चों को इस हेल्पलाइन के बारे में जागरूक करना चाहिए ताकि बाल श्रम को रोका जा सके।

पुलिस 

आप इन मामलों की सूचना 100 न. पर भी कर सकते हैंः

• अगर कोई बाल विवाह संपन्न हो रा हो या

• अगर कोई बाल विवाह संपन्न हो होने जा रहा हो ।

वैकल्पिक रूप से, आप किसी पुलिस स्टेशन में भी जा सकते हैं जहां आप प्रथम इत्तिला रिपोर्ट दर्ज कर सकते हैं और बाल विवाह मामले की शिकायत कर सकते हैं।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी 

आप स्थानीय बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें बाल विवाह की सूचना दे सकते हैं। वह तुरंत ही बाल विवाह के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के विरुद्ध आवश्यक कदम उठाएंगे ।

बाल कल्याण समिति

बाल विवाह के मामले की सुनवाई के लिए आप किशोर न्याय अधिनियम के तहत बनाई गई स्थानीय बाल कल्याण समिति के पास भी जा सकते हैं। उदाहरण के लिए आप दिल्ली में जिला-आधारित समितियों के पास जा सकते हैं।

न्यायालय में शिकायत दर्ज करें 

आप सीधे प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट के पास भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। न्यायालय पुलिस या बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश देगा।

बाल विवाह को रोकने की न्यायालय की शक्ति

जब न्यायालय को विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है कि कोई बाल विवाह तय किया गया है या उसका अनुष्ठान किया जाने वाला है, तो वह उन व्यक्तियों को जो ऐसे विवाह का संचालन और आयोजन कर रहे हैं, को रुकने का आदेश दे सकता है।

आरोपी व्यक्ति इस आदेश को रद्द करने या इसे बदलने के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकता है। न्यायालय ऐसी सुनवाई स्वप्रेरणा भी कर सकता है।

आदेश जारी होने के बाद होने वाला कोई भी बाल विवाह वैध विवाह नहीं माना जाएगा।

न्यायालय निम्नलिखित में हस्तक्षेप कर सकता है 

न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है:

• स्वप्रेरित होकर, या

• बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी या किसी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा दायर की गई शिकायत के आधार पर, या

• कुछ मामलों में, जैसे अक्षय तृतीया के दिनों में, जो विवाह के लिए एक शुभ समय होता है, न्यायालय बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के रूप में भी कार्य कर सकता है और बाल विवाह को रोकने के लिए प्रतिषेध अधिकारी की सभी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है, या

• कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे बाल विवाह के आयोजित या संपन्न होने की व्यक्तिगत जानकारी है।

न्यायालय द्वारा जारी नोटिस 

इस आदेश को पारित करने से पहले न्यायालय को इस कानून के तहत आरोपी व्यक्ति को अपना बचाव करने का अवसर देने के लिए नोटिस/ पूर्व सूचना जारी करना चाहिए।

परन्तु, अत्यावश्यक मामलों में, न्यायालय के पास आरोपी व्यक्ति (व्यक्तियों) को नोटिस/ पूर्व सूचना दिए बिना, विवाह को रोकने के लिए एक अंतरिम व्यादेश (अंतिम आदेश से पहले) जारी करने की शक्ति है।

सज़ा 

यदि आपके खिलाफ कोई अस्थायी आदेश जारी किया गया है और आप उसका पालन नहीं करते हैं, तो आपको दो साल तक का कारावास और/या आप पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी

प्रत्येक राज्य में बाल विवाह के मुद्दों को रोकने के लिए राज्य सरकारों द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (सीपीएमओ) नियुक्त किए जाते हैं। ये अधिकारी बाल विवाह की रिपोर्ट करने और उन्हें रोकने के लिए जिम्मेदार हैं।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के कर्तव्य राज्य सरकार द्वारा तय किये और सौंपे जाते हैं। उनमें मोटे तौर पर निम्नलिखित बातें शामिल है:

• बाल विवाह को रोकने के लिए ऐसे कदम उठाना जो उपयुक्त हों।

• इस कानून के तहत आरोपित व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए सबूतों को इकठा करना।

• इलाके के लोगों को बाल विवाह में किसी भी तरह से शामिल न होने होने की सलाह और परामर्श देना।

• बाल विवाह से उत्पन्न होने वाली समस्याओं जैसे मातृत्व मृत्यु दर, कुपोषण, घरेलू हिंसा आदि के बारे में जागरूकता फैलाना।

• बाल विवाह के मुद्दे पर समुदाय को संवेदनशील बनाना।

• बाल विवाह की बारंबारता और घटना पर राज्य सरकार को आवधिक विवरणियों और आंकड़ों की ।

अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से पालन करने के लिए, राज्य सरकार एक बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को एक पुलिस अधिकारी की कुछ शक्तियां भी प्रदान कर सकती है। यह शक्तियां कुछ शर्तों और सीमाओं के द्वारा शासित होंगी। यह शक्तियां सरकारी राजपत्र में एक अधिसूचना के माध्यम से प्रदान करी जाती हैं ।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के कामकाज के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए, कृपया इस सरकारी हैंडबुक को देखें जिसमें उनके कर्तव्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है। (पेज 19-22)