कौन (LGBTQ+) व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सकता है

यदि आप उत्पीड़न और हिंसा का सामना करते हैं, तो आप अपनी लिंग पहचान के आधार पर कुछ कानूनों का इस्तेमाल कर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। चूंकि कानून के तहत लिंग की केवल तीन

मान्यता प्राप्त श्रेणियां हैं, ‘पुरुष’, ‘महिला’ और ‘तीसरा लिंग’ (ट्रांसजेंडर व्यक्ति)। और आप पर कौन सा कानून लागू होगा वह भी इस तथ्य पर निर्भर करता है कि आप लिंग की किस श्रेणी में आते हैं।

यदि आप पहले से ही जानते हो कि कौन सा कानून आपकी मदद कर सकता है तो यह प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराते समय काफी मददगार साबित होगा। आप वकीलों और गैर सरकारी संगठनों की मदद भी ले सकते हैं ताकि आपको पुलिस अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।

इस प्रश्न का उत्तर, कि आप किस कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं, इस बात पर निर्भर करेगा कि आपको किस प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ा है:

यौन हिंसा

यौन हिंसा कई प्रकार की हो सकते हैं, जैसे बलात्कार या अन्य यौन अपराध जैसे अनुचित स्पर्श, पीछा करना आदि। कानून के तहत पुलिस में शिकायत आप दर्ज तब ही करा सकती हैं यदि आप एक महिला हैं। यद्यपि एक पारमहिला (ट्रांसवुमेन) को, उसकी लिंग सकरात्मक शल्य चिकित्स हुई हो या नहीं, एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अधिकार है, लेकिन यदि आपको प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करते समय किसी भी परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो आपको पुलिस द्वारा उत्पीड़न या हिंसा को रोकने के लिए किसी वकील से मदद लेना बेहतर होगा। कानून के तहत, पुरुष या पारपुरुष (ट्रांसमैन) यौन हिंसा के शिकार नहीं हो

सकते हैं, इसलिए आपके लिए विकल्प यह है कि आप नीचे बताए गए शारीरिक हिंसाओं के कानूनों के तहत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराएं।

शारीरिक हिंसा

यदि आपको किसी ने घायल कर दिया है, आपको चोट पहुंचायी है या किसी ने आपको बंदी बना लिया है, या कोई आपको अपनी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को करने में शारीरिक रूप से रोकता है, तो आप अपने उत्पीड़क के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं, भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों।

मनोवैज्ञानिक हिंसा

यदि कोई आपको चोट पहुंचाने की धमकी देता है, या आपसे फायदा उठाने या पैसे के लिए ब्लैकमेल करता है, तो आप अपने उत्पीड़क के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं, भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों।

ऑनलाइन पर हिंसा

भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों, आप ऑनलाइन से की गई किसी भी प्रकार के उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जो यौन, मनोवैज्ञानिक, या कंप्यूटर संबंधित अपराध, जैसे हैकिंग, प्रतिरूपण आदि हो सकते हैं।

 

LGBTQ + व्यक्तियों द्वारा शिकायत / रिपोर्ट दर्ज कराना

आप इनमें से किसी भी प्राधिकारी के पास, या फोरम में शिकायत दर्ज करा सकते हैं:

पुलिस

  • आप पुलिस स्टेशन जाएं
  • आप किसी भी पुलिस स्टेशन, या अपने निकटतम पुलिस स्टेशन पर जाकर प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं। आपका कोई मित्र या रिश्तेदार भी आपकी ओर से प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। यदि आप एक महिला या पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं, तो आपका बयान एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही दर्ज किया जाएगा।
  • 100 पर कॉल करें
  • आप पुलिस से तत्काल मदद मांगने के लिए 100 नम्बर. पर कॉल कर सकते हैं। अपने रहने के ठिकाने बताने के बाद, एक पुलिस इकाई आपकी की सहायता के लिए आपके यहां भेजी जाएगी।

भारत का राष्ट्रीय और राज्य आयोग

ये वो फोरम है जहां आप संपर्क कर सकते हैं जब कोई अधिकारी आपकी प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से इंकार करता है, या आपको पुलिस से किसी प्रकार की कठिनाई या प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है:

राष्ट्रीय / राज्य मानवाधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन – NHRC) एक राष्ट्रीय स्तर की सरकारी निकाय है, जो विशेष रूप से मानवाधिकारों के उल्लंघन, जैसे अवैध हिरासत, जेल में उत्पीड़न, आदि मामलों को देखता है। एक LGBTQ+ व्यक्ति के रूप में अगर पुलिस आपके साथ सहयोग नहीं करती है, और आपको मदद की आवश्यकता है, तो आप इनसे भी संपर्क कर सकते हैं।

चूंकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में स्थित है, आप तत्काल सहायता प्राप्त करने के लिए अपने राज्य के राज्य मानवाधिकार आयोग (स्टेट ह्यूमन राइट कमीशन – SHRC) से भी संपर्क कर सकते हैं। आप अपने लिंग या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या राज्य मानवाधिकार आयोग से शिकायत कर सकते हैं।

आप राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क कर सकते हैं और शिकायत दर्ज करा सकते हैं, यदि आपने किसी उत्पीड़न या भेदभाव का सामना किया है।

राष्ट्रीय / राज्य महिला आयोग

राष्ट्रीय महिला आयोग (नेशनल कमीशन ऑफ वीमेन – NCW) एक राष्ट्रीय स्तर की सरकारी संस्था है, जो महिलाओं पर होने वाले हिंसा, जैसे यौन अपराध, घरेलू हिंसा, आदि से सुरक्षा देने के लिए काम करती है। राष्ट्रीय महिला आयोग आपकी मदद निम्नलिखित तरीकों से कर सकती है:

  • यह आपको और आपके उत्पीड़क को परामर्श या सुनवाई का अवसर देती है ताकि विवाद का समाधान हो, और ऐसी घटना फिर से न घटे।
  • गंभीर मामलों में यह एक जांच समिति का गठन करेगी, जो मौके पर पूछताछ करेगी, गवाहों की जांच करेगी, सबूत इकट्ठा करेगी और आपको तत्काल राहत और सुरक्षा देने के लिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

पर आप उनके साथ तब ही संपर्क कर सकती हैं जब आप एक महिला या एक पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं। आप उनको हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कॉल कर के, या ncw@nic.in पर एक ईमेल भेज कर के, या ऑनलाइन शिकायत लिख कर के दर्ज कराएं।

आप तत्काल सहायता प्राप्त करने के लिए अपने राज्य के महिला आयोग से भी संपर्क कर सकते हैं।

ऑनलाइन पर की गई अपराधों की रिपोर्टिंग

ऑनलाइन अपराधों के खिलाफ आप अपने राज्य के साइबर सेल, या पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। ऑनलाइन उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ रिपोर्ट करने और शिकायत करने के लिए उपलब्ध विकल्पों को विस्तार से समझने के लिए यहां पढ़ें।

LGBTQ+ व्यक्तियों द्वारा एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराना

जब आप शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाते हैं, तो शिकायत का विवरण एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट-प्राथिमिकी) के रूप में लिखा जाता है।

प्राथिमिकी (एफआईआर) को दर्ज करना पुलिस अधिकारी का काम है, और यदि आप एक महिला या पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं, तो कुछ अपराधों के लिए, एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करना होगा।

एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से पहले, किसी वकील से सलाह लें और देखें कि किस तरह के अपराधों के लिए आप एक प्राथिमिकी दर्ज करा सकते हैं क्योंकि कुछ अपराधों के लिए प्राथिमिकी सिर्फ महिलाओं या पारमहिला (ट्रांसवुमन) द्वारा ही दर्ज कराई जा सकती हैं, पुरुष द्वारा नहीं। यदि आप प्राथिमिकी दर्ज कराते समय किसी भी कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो यहां देखें कि आप कौन कौन से कदम उठा सकते हैं।

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए LGBTQ+ व्यक्ति

जब पुलिस अधिकारी आपको किसी अपराध या किसी अपराध के संदेह के आधार पर गिरफ्तार करना चाहते हैं, तो वे आपके स्थान पर आ सकते हैं, और आपको गिरफ्तार कर सकते हैं। आपको गिरफ्तार करते समय गिरफ्तारी का विवरण, गिरफ्तारी का स्थान, गिरफ्तारी का समय, आदि को एक गिरफ्तारी मेमो में लिखा जाता है। वे निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

  • आपको वारंट के साथ गिरफ्तार कर सकते हैं
  • आपको बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं
  • थाने में उपस्थित होने के लिए आपको एक नोटिस जारी कर सकते हैं।
  • गिरफ्तार होने के समय सभी को कुछ अधिकार कानून के तहत हैं, जिसका आपके लिंग या आपके यौन अभिविन्यास से कोई संबंध नहीं है।

यदि आप एक महिला या एक पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं, तो कानून के तहत आपकी गिरफ्तारी के समय आपके कुछ विशिष्ट अधिकार हैं। उदाहरण के लिए, जब किसी महिला को गिरफ्तार किया जा रहा हो तो वहां एक महिला सिपाही की उपस्थिति ज़रूरी है।

गिरफ्तारी के समय LGBTQ+ व्यक्तियों के कुछ खास अधिकार

आपके यौन अभिविन्यास या आपकी लिंग पहचान के आधार पर गिरफ्तारी के दौरान पुलिस अधिकारी आपके साथ गलत व्यवहार नहीं कर सकते हैं। आपके लिए यह उपयोगी होगा कि कानून के तहत जो 5 अधिकारें आपके पास हैं, उन्हें जानें:

पुलिस को उनके स्वयं की पहचान साबित करने के लिये कहें

आप पुलिस को उनके स्वयं की पहचान साबित करने के लिए पहचान पत्र (आईडी प्रूफ) दिखाने को कहें, जो उनके नाम, पदनाम, आदि जानकारी को सही और स्पष्ट तौर पर दर्शाता हो।

उनसे गिरफ्तारी का कारण पूछें

अगर पुलिस को आपकी गिरफ्तारी के लिए वारंट की जरूरत नहीं है, फिर भी यह जानना आपका अधिकार है कि आपको क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है, और यह बताना पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य है।

पुलिस से अपने परिवार और दोस्तों को सूचित करने के लिए कहें

जब आपको गिरफ्तार किया जा रहा है, तो आपको पुलिस स्टेशन में ले जाने से पहले, आप अपने परिवार के एक सदस्य या एक मित्र को चुन सकते हैं, जिसे पुलिस आपकी गिरफ्तारी के बारे में, और हिरासत में आपको कहां रखा गया है, इसके बारे में सूचित करेंगे। पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह आपके परिवार या दोस्तों को आपकी गिरफ्तारी के बारे में बताए। उन्हें इस व्यक्ति का विवरण एक प्रविष्टि के रूप में पुलिस डायरी और गिरफ्तारी ज्ञापन (अरेस्ट मेमो) में दर्ज करना होगा।

एक वकील की मांग करें

आप पुलिस से अपने वकील को बुलाने के लिए कह सकते हैं। यदि आपके पास अपना कोई वकील नहीं है, या आप वकील नहीं कर सकते हैं, तो आप अदालत से अपने लिए एक वकील नियुक्त करने के लिए कह सकते हैं।

अपनी मेडिकल जांच के लिए माग करे

  • पुलिस अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि हिरासत में वे हर 48 घंटे में आपकी चिकित्सीय जांच कराएं।
  • आप एक प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा अपने शरीर पर बड़ी और छोटी चोटों की जांच कराने के लिए मांग कर सकते हैं।
  • शारीरिक परीक्षण को निरीक्षण मेमो में दर्ज किया जाना चाहिए और वह एक पुलिस अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए। जब आप उनकी हिरासत में हैं तो यह सभी पुलिस द्वारा की जाने वाली हिंसा को रोकने के लिए किया जाता है।

हिरासत के दौरान LGBTQ+ व्यक्तियों का पुलिस द्वारा उत्पीड़न

यदि आपको गिरफ्तार किया गया है, तो आप ज्यादा से ज्यादा 24 घंटे के लिए पुलिस स्टेशन की हिरासत में रहेंगे, जब तक वे आपको निकटतम मजिस्ट्रेट (कोर्ट) के पास नहीं ले जाते हैं। मजिस्ट्रेट की अनुमति मिलने पर ही वे आपको और 15 दिन तक रख सकते हैं। आपको कई तरह के उत्पीड़न / हिंसा का सामना करना पड़ सकता है जैसे:

  • पुलिस आपको परेशान कर सकती है, या पुलिस हिरासत में रहते हुए आपको ऐसे अपराध स्वीकार करने के लिए धमका सकती हैं, जो आपने किया ही न हो। यह कानूनन अपराध है, जिसके लिए पुलिस अधिकारियों को जेल की सजा दी सकती है, और जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • जब आप हिरासत में हैं तो पुलिस अधिकारी आपको शारीरिक रूप से चोट पहुंचा सकते हैं। आपको इस तरह की घटना की शिकायत अपने वकील से करनी चाहिए, जो आपकी मदद कर सकेंगे।
  • यदि पुलिस आपके साथ यौन उत्पीड़न या बलात्कार करती है, तो आपको पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए क्योंकि यह कानूनन दंडनीय अपराध है, जिसके लिए अधिकारियों को जेल की सजा और जुर्माना लगाया जाएगा। ऐसे मामलों में आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 (2), 376 बी के अंतर्गत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

जब आप पुलिस की हिरासत में हैं, उस समय किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को रोकने के लिए, या यदि आप पुलिस द्वारा किसी उत्पीड़न का सामना करते हैं, तो आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

एक वकील की मांग करें

आपके पास गिरफ्तारी के समय से एक वकील के लिए अनुरोध करने का अधिकार है, और जब आप हिरासत में होते हैं तो किसी भी हिंसा को रोकने के लिए, आपके साथ एक वकील मौजूद होना सहायक होगा।

इसकी शिकायत थाने के अधीक्षक से करें

पुलिस अधीक्षक (एसपी) को एक लिखित शिकायत करें, जो मामले को देखेगा। एक अधीक्षक इस मामले को खुद देख सकते हैं।

मजिस्ट्रेट से शिकायत करें

चूंकि पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर एक मजिस्ट्रेट के पास आपको अनिवार्य रूप से ले जाना होता है, आप अपने वकील की मदद से मजिस्ट्रेट को सीधे अपनी ‘निजी शिकायत’ दर्ज करा सकते हैं। हिरासत में आपके साथ हुए उत्पीड़न और हिंसा के बारे में आप बता सकते हैं।

पुलिस सत्यापन (वेरिफिकेशन)

अपनी संपत्ति किराए पर देते समय, मकान मालिकों/लाइसेंसकर्ताओं को कानूनन अपने किरायेदारों/लाइसेंसधारियों का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना जरूरी है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह ऐच्छिक नहीं है।

यह प्रक्रिया मुख्य रूप से सुरक्षा कारणों से की जाती है, इसलिए आपके पृष्ठभूमि का प्रमाण और पिछले निवास/परिवार/आपराधिक रिकॉर्ड (यदि कोई हो), आदि के विवरण की जांच की जाती है।

यदि वे किराया/लीज करार करते समय इस प्रक्रिया का अनुपालन नहीं करते हैं, तो मालिक को जेल और/या जुर्माना हो सकता है। हालांकि, इसके लिये किराएदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

LGBTQ+ व्यक्तियों की जमानत

जब आपको गिरफ्तार किया जाता है, तो आपको अपनी लिंग पहचान या अपने यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए। आपका यह अधिकार उस अपराध पर निर्भर करता है, जिसके लिए आपको गिरफ्तार किया गया है:

जमानती अपराधों के मामलों में

आपको जिस अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया है यदि वह एक जमानती अपराध है, तो आपको न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए और आपको जमानत मिल जाएगी।

गैर-जमानती अपराधों के मामलों में

गैर-जमानती अपराधों के मामलों में, न्यायालय के विवेक पर आपको जमानत दी जा सकती है, और आपको यह केवल विशिष्ट परिस्थितियों में ही दी जाएगी। इस तरह के मामलों में, न्यायालय आपसे उच्चतर जमानत राशि की मांग एक बांड के रूप में कर सकता है।

निष्कासन (बेदखली)

लीज एग्रीमेंट / रेंट एग्रीमेंट

यदि आपके पास एक लीज एग्रीमेंट है, तो केवल आप या किसी को भी जिसे आप रहने का अधिकार देते हैं, को उस किराए की संपत्ति में रहने का अधिकार है। हालांकि, कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जहां मकान मालिक आपको घर से निकाल सकता है। ऐसा करने के लिए मकान मालिक को आपको निकालने के लिए इस कानून के तहत, किराया नियंत्रक (रेंट कंट्रोलर) नामक प्राधिकरण के पास आवेदन करना होगा।

यदि आपके पास किराया/लीज़ समझौता है तो जिन कारणों से मकान मालिक आपको बेदखल करने के लिए आवेदन कर सकता है, उसे नीचे दिया गया हैः

  • मकान मालिक से डिमांड नोटिस प्राप्त करने के बावजूद आपने दो महीने का किराए का भुगतान नहीं किया है।
  • आपने मकान मालिक की सहमति के बिना घर के कुछ हिस्से को, या पूरे घर को किसी और को उप-किराए पर दे दिया है।
  • आपने उस उद्देश्य के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए घर का उपयोग किया है, जिसके लिए आपने इसे किराए पर लिया था। इस प्रक्रिया से सार्वजनिक हानि, परिसर को क्षति, या मकान मालिक के हित को नुकसान हुआ है।
  • न तो आप और न ही आपके परिवार के सदस्य उस घर में 6 महीने या उससे अधिक समय से रह रहे हैं। यदि आपने आवासीय उद्देश्य के लिए एक घर किराए पर लिया है पर उसका उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं, तो इसे घर में नहीं रहने के रूप में माना जाएगा।
  • आपने घर को काफी क्षति पहुंचाया है।
  • मकान मालिक अपनी संपत्ति की मरम्मत, या पुनर्निर्माण करना चाहता है, लेकिन किरायेदारों के रहते ऐसा नहीं कर सकता है।
  • मानवीय आवास के लिए घर असुरक्षित हो गया है और मकान मालिक को मरम्मत करवाना जरूरी है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बेदखली के कारण विभिन्न राज्यों में अलग हो सकते हैं। लेकिन मोटे तौर पर, बेदखली के सिद्धांत एक जैसे ही होते हैं। मकान मालिक के पास आपको बेदखल करने के लिए कानूनन एक उचित कारण होने चाहिए। यदि आपको लगता है कि आप अपने मकान मालिक द्वारा अन्यायपूर्ण तरीके से निकाले गए हैं तो, मदद के लिए वकील की राय लेनी चाहिए।

लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट

एक लीव और लाइसेंस समझौते में लाइसेंसकर्ता (संपत्ति देने वाले व्यक्ति) को अपनी संपत्ति छोड़ने के लिए, लाइसेंस लेने वाले (संपत्ति में रहने वाले व्यक्ति) को एक महीने की नोटिस देने का प्रावधान रहता। इस प्रकार के समझौते के लिए कानून के तहत कोई अन्य संरक्षण उपलब्ध नहीं है जब तक कि अनुबंध में स्पष्ट रूप से कुछ उल्लेखित नहीं है।

पुलिस से शिकायत

यदि आप अपने मकान मालिक / लाइसेंसकर्ता/ किरायेदार/ लाइसेंसधारी के खिलाफ शिकायत दर्ज करना चाहते हैं, तो आपको पुलिस स्टेशन जाना होगा और प्राथमिकी दर्ज करनी होगी। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप घर /फ्लैट किराए पर देने/लेने के दौरान अपने मकान मालिक/ लाइसेंसकर्ता / किरायेदार /लाइसेंसधारी या किसी दलाल या किसी बिचैलिये के द्वारा आपको परेशान किए जाने की घटना की पूरी जानकारी दे रहे हैं।