गोद लेने के निम्नलिखित प्रभाव हैं, भले ही आपने किस भी कानून के तहत बच्चे को अपनाया हो:
• दत्तक माता-पिता का बच्चा: वह गोद लेने वाले (सौतेले) माता-पिता का बच्चा बन जाता है, और वे माता-पिता बच्चे के असली माता-पिता की तरह बन जाते हैं जैसे कि बच्चा उनकी ही सभी इच्छाओं से पैदा हुआ था।
• बच्चे का पारिवारिक संबंध: बच्चे का जन्म जिस परिवार में हुआ है, उस परिवार के साथ संबंध टूट जाते हैं और गोद लेने वाले परिवार (दत्तक परिवार) के साथ नये संबंध बनते हैं। हालाँकि, हिंदू कानून के तहत गोद लेने पर, जिस परिवार में बच्चा जन्म लिया था, और उस परिवार ने जिस किसी भी व्यक्ति के साथ बच्चे की शादी के लिए मना किया हो, तो गोद लिया हुआ बच्चा अभी भी उस व्यक्ति से शादी नहीं कर सकता।
• बच्चे के संपत्ति का अधिकार: गोद लेने से पहले भी अगर बच्चे की स्वामित्व वाली कोई भी संपत्ति है, तो वह संपत्ति के साथ लगाए गए अनुबंध-पत्र के साथ (असली परिवार में रिश्तेदारों को बनाए रखने के दायित्व सहित) वह बच्चे की ही संपत्ति बनी रहेगी।
इसके अलावा, हिंदू कानून के तहत गोद लेने पर, बच्चे के गोद लेने के लिए दिए गए आदेश को प्रभावी होने की तारीख से:
• बच्चे के संपत्ति का अधिकार: व्यक्ति (दत्तक माता-पिता) के पास गोद लेने से पहले की जो संपत्ति थी,उस संपत्ति पर गोद लिया हुआ बच्चा स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता और ना ही उस संपत्ति को छीन सकता है। वह बच्चा दत्तक माता/पिता को अपने जीवनकाल के दौरान अपनी संपत्ति को बेचने से भी नहीं रोक सकता है, और ना ही किसी को देने या दान करने से रोक सकता है।
एक वैध दत्तक ग्रहण को रद्द करना: एक वैध दत्तक ग्रहण को दत्तक(गोद लिया हुआ या सौतेला) माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा रद्द नहीं किया जा सकता है। एक बार गोद लेने के बाद, बच्चे को वह अस्वीकार नहीं कर सकता और न उसे वापस कर सकता है जिस परिवार में बच्चा जन्म लिया था।