अगर आपको पता चलता है कि कहीं बाल यौन दुराचार हो रहा है, तो आपको पुलिस को इसकी रिपोर्ट करनी होगी, जो आपके शिकायत को लिखित रूप में दर्ज करेगा। यदि आप जान कर भी रिपोर्ट नहीं करते हैं, तो आपको जुर्माने के साथ 6 महीने के जेल की सजा दी जा सकती है। यदि आप किसी भी घटना से अवगत हैं और आप बहुत हद तक निश्चित हैं कि कोई बच्चा किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न का शिकार है, तो कृपया बच्चे की मदद करने के लिए किसी अधिकारी से संपर्क करने के लिए उल्लेखित तरीकों का प्रयोग करें। इसके लिये अधिकारी तक पहुंचने के कई तरीके हैं, इसलिए आप के लिये जो सबसे ज्यादा उपयुक्त तरीका हो उसका उपयोग करें।
आप किसी भी तरीके से शिकायत कर सकते हैं:
ऑनलाइन:
सरकार की एक ऑनलाइन शिकायत प्रणाली है जहां आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आपकी शिकायत ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स) को दायर की जाएगी।
फोन के जरिए:
आप निम्नलिखित टेलीफोन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं: -‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’-9868235077 -‘चाइल्डलाइन’ (चाइल्डलाइन बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए एक हेल्पलाइन है) -1098
ईमेल के जरियेः
आप pocsoebox-ncpcr@gov.in पर एक ईमेल भेज सकते हैं
पुलिस:
बाल यौन उत्पीड़न की किसी भी घटना के बारे में आपके पास जो भी जानकारी है, उसके बारे में पुलिस से संपर्क करने के लिए 100 नंबर पर कॉल करें।
मोबाइल ऐप्प:
आप POCSO e-box (केवल एंड्रॉयड यूजर्स के लिये) नामक मोबाइल ऐप्प डाउनलोड कर सकते हैं और सीधे इसके माध्यम से उत्पीड़न की रिपोर्ट कर सकते हैं।
पोस्ट / पत्र / ‘मैसेंजर’ के माध्यम से:
आप अपनी शिकायत के साथ ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ को लिख सकते हैं या इस पते पर एक ‘मैसेंजर’ भेज सकते हैं:
'राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग' (नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स, एनसीपीसीआर)
5 वाँ तल, चंद्रलोक बिल्डिंग 36, जनपथ, नई दिल्ली -110001 भारत।
जब आपने शिकायत कर दी तो बच्चे के साथ क्या होगा इसके बारे में आप चिंतित न हों। बच्चे की स्थानीय पुलिस / ‘विशेष किशोर पुलिस’ (स्पेशल जुवेनाइल पुलिस) के द्वारा देखभाल की जाएगी जो ‘बाल कल्याण समिति (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) को सूचित करेगी, जो शिकायत मिलने के बाद, बच्चे और बच्चे के परिवार को कानूनी प्रक्रिया में सहायता करने के लिए एक ‘सहायक व्यक्ति’ (सपोर्ट परसन) की नियुक्ति करेगी।
सभी साक्षात्कार और जांच के दौरान, उन बच्चों और पक्षों की मदद करने के लिए जो विभिन्न भाषा बोलते हैं, या जिन्हें संचार में कठिनाई होती है, दुभाषिये और विशेषज्ञ मौजूद रहते हैं। ये लोग उन गवाहों की मदद करने के लिए रहते हैं जिनकी भाषा, उस विशिष्ट राज्य के न्यायालय की भाषा से अलग है। प्रत्येक जिले की ‘बाल संरक्षण इकाइयां’ (चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट्स) को, पीड़ितों और उससे संबंधित पक्षों को संचार मुद्दों पर मदद करने के लिए दुभाषियों और अनुवादकों को उपलब्ध करना होगा। यदि दुभाषिया उपलब्ध नहीं है, तो किसी गैर-पेशेवर को दुभाषिये के रूप में उपयोग किया जा सकता है लेकिन पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके हितों का टकराव (कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट) ना हो। उदाहरण के लिए, एक पिता अपने बच्चे के लिए दुभाषिये का रोल अदा नहीं कर सकता।
ध्यान रखने योग्य बातें:
- दुभाषिये को, परिवार के साथ बहुत अधिक घुलमिल जाने की आवश्यकता नहीं है और न ही उसे उनकी तरफ से बात करनी चाहिए। संप्रेषण की कठिनाइयों में मदद करना ही उसका एकमात्र कार्य होना चाहिए।
- दुभाषिये का परिवार या उस बच्चे के साथ कोई पुराना संबंध नहीं होना चाहिए।
- पीड़ित और अन्य पक्षों द्वारा दी गई सभी जानकारी बेहद गोपनीय है और किसी भी तरीके से इसका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।
जब आप 100 नंबर पर फोन करके या पुलिस स्टेशन पर जाकर पुलिस से संपर्क करते हैं तो निम्नलिखित प्रक्रिया का अनुकरण होगा:
- वे आपकी शिकायत का एक लिखित रिकॉर्ड बनायेंगे।
- आपकी रिपोर्ट के आधार पर अगर पुलिस को लगेगा कि बच्चे को तत्काल देखभाल करने और ध्यान देने की जरूरत है, तो वे बच्चे को तुरंत अस्पताल में, या आश्रय गृह (शेल्टर होम) में स्थानांतरित कर देंगेे।
जब आपने नेक नीयत से अपराध की रिपोर्ट की है तो आपको यह चिंता करने की जरूरत नहीं है कि आपको अदालत के चक्कर लगाने पड़ेंगे जब तक कि अपराधी को दोषी नहीं ठहराया जाता।
घरेलू हिंसा के लिए केस दर्ज करने के अलावा, जब आप, अन्य चीजों के साथ, सुरक्षा या मौद्रिक राहत की मांग कर सकते हैं, आप तब भी1) उत्पीड़क के खिलाफ कोर्ट में आपराधिक मामला दर्ज करा सकते हैं यदि आपने जिस हिंसा का सामना किया है वह कष्टदायक हो। आपराधिक मामला दर्ज कराने से, उत्पीड़क को हिंसक कार्य के लिए कारावास और जुर्माने के रूप में सजा दी जाएगी। आपके वकील को चाहिए कि वह अदालत को सूचित करे कि दोनों मामले दायर किए जा चुके हैं2)।
आपराधिक मामला दायर करने से पहले, आपको पुलिस स्टेशन जाकर एफ.आई.आर दर्ज करानी होगी। आप भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498ए का उपयोग करते हुए पुलिस में एफ.आई.आर दर्ज करा सकती हैं।
एक आपराधिक मामला निम्नलिखित कारणों के लिए दायर किया जा सकता है3):
- यदि उत्पीड़क किसी महिला को आत्महत्या करने के लिए उकसाता है4)।
- यदि उत्पीड़क महिला को गंभीर चोट पहुंचाता है या पहुंचाने की कोशिश करता है या महिला के जीवन या स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता है।
- यदि उत्पीड़क महिला के मानसिक स्वास्थ्य को इस हद तक प्रभावित करता है कि यह उसके जीवन के लिए खतरा बन चुका है।
- यदि उत्पीड़क महिला के लिए शब्दों से या शारीरिक क्रियाओं द्वारा कोई मानसिक तनाव या मनोवैज्ञानिक संकट पैदा करता है5)।
- यदि उत्पीड़क महिला को दहेज के लिए मजबूर करता है या किसी संपत्ति या कीमती चीज़ की गैरकानूनी मांग करता है।
ऊपर दिए गए किसी भी अपराध के लिए कोर्ट के द्वारा दोषी पाए जाने पर, उत्पीड़क को अदालत में जुर्माना भरना पड़ेगा और 3 वर्ष तक के लिए जेल जाना होगा।
इस तरह की मुद्दे की संवेदनशीलता के कारण बाल यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए ‘विशिष्ट न्यायालय’ (स्पेशल कोर्ट्स) स्थापित किए गए हैं। सामान्य न्यायालयों के विपरीत, इन न्यायालयों को ऐसी प्रक्रिया का पालन करना होता है जो यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है ताकि बच्चा सुरक्षित और सहज महसूस कर सके।
यदि कोई बच्चा यौन हमले का शिकार है, तो विशिष्ट न्यायालय को, उसके लिए कुछ बाल-अनुकूल प्रक्रिया सुनिश्चित करना होगा।
यह विशिष्ट न्यायालय:
कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से, परिचित लोगों की उपस्थिति सुनिश्चित करेगा
- मुकदमें के दौरान बच्चे के परिवार के सदस्य / रिश्तेदार / मित्र या अभिभावक को उसके साथ उपस्थित रहने देगा।
सुनिश्चित करेगा कि कानूनी प्रक्रिया बच्चे के लिए ज्यादा परेशानी वाला नहीं हो।
- मुकदमे के दौरान बच्चे काे बार-बार विराम देने की अनुमति देगा।
- गवाही देने के लिए बच्चे को बार-बार अदालत नहीं बुलाया जायेगा।
- विशेष परिस्थितियों में, बयान देने के लिये बच्चे को न्यायालय में आने की जरूरत नहीं होगी। न्यायालय, बच्चे की जांच करने के लिए उसके घर पर, एक अधिकारी को भेजेगा। बच्चे की गवाही को दर्ज करते समय, न्यायालय एक योग्य अनुवादक, दुभाषिये या विशेष शिक्षक की मदद ले सकता है।
- कोशिश और सुनिश्चित करेगा कि गवाही 30 दिनों के भीतर दर्ज कर लिया गया है, और मुकदमा एक वर्ष के भीतर पूरा हो जाय।
बच्चे को आरोपित व्यक्ति और जनता से सुरक्षित रक्खे
- सुनिश्चित करें कि मुकदमे के दौरान बच्चा किसी भी तरह से आरोपी के संपर्क में नहीं आ रहा है। हालांकि, अदालत को यह भी सुनिश्चित करना है कि आरोपी बच्चे के बयान सुन सके। ऐसा एकतरफा दर्पण, पर्दा या वीडियो कॉल की मदद से किया जा सकता है।
- निजी अदालत में कार्यवाही करें जिससे मीडिया, अदालत में होने वाली घटनाओं के बारे में रिपोर्ट नहीं कर सके।
बच्चे से पूछताछ की प्रक्रिया
कानून ने, आरोपी के वकील के लिये कुछ कर्तव्यों को निर्धारित किया है। इस मुद्दे की संवेदनशीलता और बच्चे की सुरक्षा को हित में रखते हुए, वकील से अदालत की प्रक्रिया को एक खास तरीके से करने की अपेक्षा की जाती है।
- वकील सीधे बच्चे से सवाल नहीं कर सकता है। वकील, बच्चे को पूछे जाने वाले प्रश्नों को ‘विशेष अदालत’ में पेश करेगा, और तब वे उन प्रश्नों को बच्चे से पूछेंगे।
- वकील, बच्चे के चरित्र पर यह कहकर लांक्षण नहीं लगा सकता कि बच्चे का अपने माता-पिता के साथ झूठ बोलने का इतिहास है।
किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी बच्चे को यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत करना गैरकानूनी है अगर वास्तव में उसने ऐसा नहीं किया है। इस झूठी शिकायत करने की सजा, एक साल का जेल, या जुर्माना या दोनों है। अगर किसी को अपमानित करने के इरादे से झूठी शिकायत या रिपोर्ट की गई है, तो वैसे अपराध के लिये, 6 महीने के जेल, या जुर्माना, या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।
हालांकि, अगर कोई बच्चा एक झूठी शिकायत करता है, तो उसे दंडित नहीं किया जा सकता है।
आप घरेलू हिंसा के लिए पुरुष और महिला दोनों के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। आप निम्नलिखित के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं:
- आपका परिवार: आप अपने परिवार के बारे में शिकायत कर सकते हैं, यदि वे आपको निम्न परिस्थितियों में घरेलू हिंसा के अधीन कर रहे हैं:
- यदि आपका उत्पीड़क के साथ खून का रिश्ता है तो आप उनके खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं। उदाहरण के लिए आपके पिता, भाई आदि।
- यदि आपका अपने उत्पीड़क के साथ शादी का रिश्ता है तो आप उनके खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं जैसे कि आपके ससुराल वाले, पति, आदि।
- यदि आप अपने उत्पीड़क के साथ एक संयुक्त परिवार में रहते हैं तो आप उनके खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपकी दादी, चाचा, दत्तक भाई, आदि। हालांकि, आप केवल उन लोगों के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं जो हिंसा में शामिल थे। 1) उदाहरण के लिए, यदि आप दस लोगों के साथ एक संयुक्त परिवार में रहते हैं और केवल आपकी सास और पति ने आपके साथ हिंसा की है तो आप केवल उन्हीं के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।
- आपका लिव-इन पार्टनर: यदि आपका लिव-इन पार्टनर आपको चोट पहुंचाता है या आपके साथ दुर्व्यवहार करता है तो आप उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- नाबालिग: आप एक नाबालिग के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं जो आपके साथ घरेलू हिंसा करता है।2) उदाहरण के लिए, यदि आपके परिवार में एक 16 वर्ष का लड़का आपको शारीरिक रूप से परेशान कर रहा है तो आप उसके खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
कोर्ट में जाते समय, ध्यान रखें कि आप जिसके द्वारा घरेलू हिंसा के शिकार हुए, उसके साथ आपने न केवल घरेलू संबंध साझा किया हो बल्कि एक ही घर में साथ भी रहे हों।
अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें
यदि आप घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं, तो प्रोटेक्शन ऑफिसर (पी.ओ( सामान्य रूप से आपके लिए संपर्क करने का पहला बिंदु होता है। कोई भी, जिसमें आपका कोई परिचित भी शामिल है, हिंसा के खिलाफ शिकायत करने और सुरक्षा हासिल करने के लिए आपके जिले या किसी निकटवर्ती क्षेत्र के प्रोटेक्शन ऑफिसर से मिल सकता है, कॉल कर सकता है, या लिख सकता है। पी.ओ का पता लगाने के लिए, आपः
- निकटवर्ती पुलिस स्टेशन जा सकते हैं और उनसे आपको पी.ओ से मिलवाने के लिए कह सकते हैं।
- अपने जिले के महिला और बाल विकास विभाग को कॉल कर सकते हैं या वहां जा सकते हैं।
- राष्ट्रीय/राज्य महिला आयोग से संपर्क कर सकते हैं। प्रोटेक्शन ऑफिसर्स की एक राज्यवार सूची यहां दी गई है।
- किसी एन.जी.ओ या सेवा प्रदाता से संपर्क कर सकते हैं।
आपकी शिकायत पी.ओ द्वारा लिखी जाएगी और आप अपने पास रखने के लिए इस शिकायत की एक मुफ्त कॉपी मांग सकते हैं। प्रोटेक्शन ऑफिसर आपकी मदद करेंगे1):
शिकायत दर्ज करने में
पी.ओ घरेलू घटना की रिपोर्ट 2)(डी.आई.आर) दर्ज करने में आपकी मदद करेगा जो घरेलू हिंसा की मामलों की स्पेशल रिपोर्ट होती है जिसमें उत्पीड़क(ओं) के सभी विवरण, पीड़ित के विवरण इत्यादि होंगे। वे सीधे कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने में भी मदद करेंगे और कानूनी समर्थन पाने में आपकी सहायता करेंगे।
पुलिस को जानकारी दें
पी.ओ मेडिकल रिपोर्ट, यदि आपकी चिकित्सा जांच हो चुकी है, की एक कॉपी के साथ ही डी.आई.आर की एक कॉपी, आपने जिस क्षेत्र में हिंसा का सामना किया है, उसके भीतर स्थित पुलिस स्टेशन को भेजेगा। इसके बाद, पुलिस मामले को देखेगी और उत्पीड़क(ओं) की ओर से आपके विरुद्ध हिंसा की किसी क्रिया को होने से रोकेगी 3)।
त्वरित संरक्षण और सहायता प्रदान करें
पी.ओ मदद करेगाः
- आपके लिए एक सुरक्षा योजना तैयार करने में जिसमें आपकी सुरक्षा के लिए आवश्यक उपायों, और अदालत से आपके द्वारा मांगे गए आदेशों का विस्तृत विवरण होगा।
- यदि आप घायल हैं, तो किसी चिकित्सालय से आपको और/या आपके बच्चे को चिकित्सा सहायता दिलाने में।
- आपको सेवा प्रदाता से मिलवाएगा जो कानूनी मदद, परामर्श, चिकित्सा सुविधा, आश्रय घर इत्यादि में आपकी सहायता करेगा।
आपको आपके कानूनी अधिकार से अवगत करवाएगा
पी.ओ आपके साथ घरेलू हिंसा के विभिन्न प्रकारों के बारे में बात करेगा ताकि वह यह समझ सके कि आप किन परिस्थितियों से होकर गुजरे हैं। इसे डी.आई.आर में रिकॉर्ड किया जाएगा। तत्पश्चात, शिकायत दर्ज कराने के बाद पी.ओ आपको उन अधिकारों और उपचारों की जानकारी देगा जिसके लिए आप क़ानून के तहत पात्र हैं।
न्यायालय की कार्यवाहियों द्वारा आपकी सहायता
प्रोटेक्शन ऑफिसरः
- ज़िला कानूनी सहायता सेवा प्राधिकरण के माध्यम से आपको दुबारा निःशुल्क कानूनी सहायता तक पहुँच प्रदान करेगा।
. सुनिश्चित करेगा कि अदालती कार्यवाहियों के दौरान आप और आपके बच्चे उत्पीड़क के द्वारा उत्पीड़ित किए या दबाए न जाएं।
चेक की राशि वसूल करने की शिकायत
ऐसी शिकायत एक दीवानी शिकायत है। अपने पैसे की वसूली के लिए, आपको या तो नगर सिविल न्यायालय या जिला न्यायालय में मनी सूट फाइल करने की जरूरत है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी राशि वसूल करना चाहते हैं।
आपको यह मामला चेक रिटर्न मेमो के तीन साल के भीतर दाखिल करना होगा।
मनी सूट का मुकदमा दायर करने में और सहायता के लिए, कृपया किसी कानूनी पेशेवर से संपर्क करें।
चेक जारी करने वाले को दंडित करने की शिकायत
इस तरह की शिकायत को आपराधिक शिकायत के रूप में जाना जाता है और इसे मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर किया जा सकता है कहाँ का मजिस्ट्रेट:
क्रॉस चेक के लिए :
जिस क्षेत्र में आपकी होम ब्रांच है, यानी उस बैंक की ब्रांच जहां आपका अकाउंट है।
बियरर या ऑर्डर चेक के लिए:
उस क्षेत्र में जहां अदाकर्ता बैंक की शाखा है, अर्थात जिस बैंक से चेक जारी किया गया था।
जब तक आपके पास चेक रिटर्न मेमो नहीं है, तब तक एक आपराधिक मामला शुरू नहीं किया जा सकता है, इसलिए चेक को बैंक में जमा करने की आवश्यकता है।
चेक बाउंस होने के मामले में आपराधिक शिकायत दर्ज किए जाने पर अदालत के बाहर समझौता हो सकता है। कानून एक कानूनी अवधारणा के माध्यम से निपटान की अनुमति देता है जिसे अपराधों का समझौता करने के लिए कहा जाता है।
इस प्रक्रिया में, चेक का प्राप्तकर्ता/धारक अदालत में मामला दर्ज नहीं करने के लिए सहमत होता है या कुछ मुआवजे (आमतौर पर आर्थिक) के बदले में अपने अदालती मामले को वापस लेने के लिए सहमत होता है।
चाहे अदालती कार्यवाही किसी भी स्तर पर हो, यह समझौता किसी भी समय किया जा सकता है।
कानून, अदालतों पर मुकदमेबाजी और उससे संबंधित बोझ को कम करने के लिए इस तरह के समझौते की अनुमति देता है।