Jan 17, 2024
जन्म देने वाले माता-पिता की निजता का अधिकार
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि जैविक माता-पिता (जन्म देने वाले माता-पिता) की निजता का अधिकार बच्चे का अपनी जड़ों के बारे में पता लगाने के लिये मूल वंशज की तलाश करने के अधिकार पर हावी होगा। ख़ासकर, जब एक अविवाहित मां अपने बच्चे को गोद लेने के लिए देती है और बाद में उसे ढूंढा नहीं जा पाता है।
‘न्याया इस सप्ताह’ में, हम देखेंगे कि ऐसे मामलों में दत्तक ग्रहण विनियम (गोद लेने के नियम), 2022 क्या कहते हैं और इस मामले में क्या हुआ।
दत्तक ग्रहण विनियम का विनियम 47 ‘मूल खोज’ से संबंधित है। मूल खोज वह प्रक्रिया है, जिसमें गोद लिया गया बच्चा अपनी गोद लेने की प्रक्रिया, उस स्रोत और परिस्थितियों के बारे में पता लगा सकता है, जिसमें उन्हें विशेष अनुग्रहण संस्था में भर्ती कराया गया था। यह बताता है कि:
- बच्चे को सौंपते समय, अगर जन्म देने वाले माता-पिता गोपनीयता का अनुरोध करते हैं, तो विशेष अनुग्रहण संस्था या जिला बाल संरक्षण इकाई को कोई भी जानकारी देने से पहले लिखित रूप में उनकी सहमति लेनी होगी।
- बहुत पहले गोद लिये दत्तक जब मूल वंशज की तलाश करने के लिए संपर्क करते हैं , तो अभिकरण या इससे जुड़े प्राधिकारी (जो प्राधिकृत विदेशी दत्तकग्रहण अभिकरण, केंद्रीय प्राधिकरण, भारतीय राजनयिक मिशन, प्राधिकरण, राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण या ज़िला बालक संरक्षक इकाई या विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण हैं) उनके मूल वंशज की तलाश में मदद देंगे।
- 18 से ऊपर के व्यक्ति स्वतंत्र रूप से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, जबकि अठारह साल से कम उम्र के बच्चे को मूल खोज में मदद के लिए अपने गोद लेने वाले माता-पिता के साथ मिलकर प्राधिकरण में आवेदन करना होगा।
- अगर जन्म देने वाले माता-पिता मूल खोज से इनकार करते हैं या समर्पित किए गए मामलों में नहीं मिल पाते हैं, तो अभिकरण या प्राधिकरण को गोद लेने वाले को जानकारी नहीं देने का कारण और परिस्थितियां बतानी पड़ेंगी।
- अभिकरण या प्राधिकरण किसी तीसरे पक्ष को मूल खोज की अनुमति नहीं दे सकते हैं और जन्म देने वाले माता-पिता, गोद लेने वाले माता-पिता या गोद लिए गए बच्चे से संबंधित कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते है।
- गोद लिए गए बच्चे के अधिकार से जन्म देने वाले माता-पिता की निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
इस केस में क्या हुआ?
इस मामले में, एक स्विस नागरिक अपने मूल वंशज की तलाश के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय पहुंचा। वह गोद देने वाली संस्था के खिलाफ कार्रवाई चाहते थे, जिसनें त्याग विलेख (बच्चे को गोद देने से जुड़े कागज) सुरक्षित नहीं रखे थे। अदालत को बताया गया कि एक अविवाहित मां ने 1988 में बच्चे को गोद लेने के लिए समर्थित किया था और इसके – बाद स्विस माता-पिता ने उसे गोद ले लिया था। न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य ने इस याचिका को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि यह मानने का कोई कारण नहीं है कि एक जन्म देने वाली मां जिसने अपने बच्चे को गोद लेने के लिए दिया था और जो लापता हो गई, वह इतने सालों के बाद समाज या अपने बच्चे की जांच के दायरे में आना चाहेगी। कोर्ट ने माना कि मां की निजता के अधिकार को ज्यादा अहमियत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी माना की जब माँ बच्चे से कोई संपर्क नहीं रखना चाहती है, तो गोद देने वाली संस्था भी त्यागपत्र (बच्चे को गोद देने से जुड़े कागज) रखने के लिए बाध्य नहीं है। आगे यह भी जोड़ा कि, “जन्म देने वाले माता-पिता की निजता का अधिकार बच्चे की उत्पत्ति का पता लगाने के लिये मूल वंशज की तलाश करने के अधिकार पर हावी होगा, क्योंकि यह अधिकार किसी को मूल वंशज जानने के अधिकार के विपरीत, जैविक माता-पिता के अस्तित्व की रक्षा करता है।”
आप बच्चे को कैसे गोद लेने के लिए समर्पित कर सकते हैं?
गैर-धार्मिक गोद लेने के कानून के तहत, आप अपने बच्चे को गोद नहीं दे सकते हैं, लेकिन माता-पिता या पालक के रूप में अपने बच्चे का समर्पण (किसी संस्था को देना) कर सकते है। समर्पण का मतलब है कि आप अपने बच्चे को उन शारीरिक, भावनात्मक, या सामाजिक कारणों के लिए दे देते हैं, जो आपके नियंत्रण के बाहर हैं।
एक बार जब बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) समर्पण को स्वीकार कर लेती है, तो बच्चे के साथ आपका कानूनी संबंध समाप्त हो जाता है। इसके बाद आप बच्चे से जुड़ी जिम्मेदारियों और विशेष अधिकार से मुक्त हो जाते हैं। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) पूछताछ करने के बाद बच्चे को गोद देने के लिए स्वतंत्र घोषित करने का निर्णय लेती है, जिसमें शामिल हैं:
- परिवीक्षा अधिकारी/सामाजिक कार्यकर्ता की एक रिपोर्ट,
- बच्चे की सहमति (अगर वह सहमित देने की उम्र का है),
- जिला बाल संरक्षण इकाई और बाल देखभाल संस्थान या विशेष अनुग्रहण संस्था आदि से आवश्यक घोषणा।
बच्चे का समर्पण कौन कर सकता है?
दत्तक ग्रहण विनियम के विनियम 7 में कहा गया है कि कौन बच्चे को गोद लेने के लिए समर्पित कर सकता है:
- अगर किसी विवाहित जोड़े से पैदा हुए बच्चे को सौंपना है, तो माता-पिता दोनों को समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा। अगर माता-पिता में से एक की मृत्यु हो गई है, तो उनके मृत्यु प्रमाण पत्र की जरूरत होगी।
- अगर किसी विवाहित जोड़े से जन्मे बच्चे के माता-पिता में से कोई एक बच्चे को सौंपने का फैसला करता है और दूसरे माता-पिता का पता नहीं है, तो बच्चे को त्यागा हुआ माना जाएगा। इसके बाद त्यागे हुए बच्चे को संभालने की प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा।
- अगर कोई बच्चा अविवाहित माता-पिता से पैदा हुआ है, तो केवल माँ ही बच्चे को सौंप सकती है। अगर मां नाबालिग है और उसके अभिभावक या परिवार अधिनियम की धारा 35 में दी गई प्रक्रिया के तहत बच्चे को समर्पण करने के लिए सहमत हैं, तो साथ में मौजूद एक बालिग गवाह के रूप में समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर करेगा।
- केवल माता-पिता या कानूनी अभिभावक ही बच्चे को समर्पित कर सकते हैं। अगर बच्चे को कोई दूसरा समर्पित करता है, तो बच्चे को त्यागा हुआ माना जाएगा और विनियम 6 के तहत प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
- अगर बच्चे को सौंपने वाली मां, जिसमें अविवाहित मां या नाबालिग भी शामिल है, अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहती है, तो ऐसे में बच्चे को त्यागा हुआ माना जाएगा।
अधिक जानकारी के लिए, आप बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया वाले एक्सप्लेनर को यहां पढ़ सकते हैं।