यह ज़रूरी नहीं की एक विषमलिंगी (स्ट्रेट /cisgendered) व्यक्ति न होना ही मानसिक बीमारी का आधार है। अन्य शब्दों में, सिर्फ LGBTQ व्यक्ति होने के चलते ही आप मानसिक रूप से बीमार नहीं हो जाते हैं। हालांकि, जब आप जन्म में मिले लिंग और स्वयं-निर्धारित लिंग के बीच के अंतर के कारण भयंकर तनाव का अनुभव करते हैं, तो ऐसी स्थिति में हो सकता है कि आपको ‘ लिंग पहचान विकार (जेंडर आइडेंटिटि डिसऑर्डर -लिंग निर्धारण से जुड़ा एक मानसिक रोग)’ से ग्रसित निदान किया जाय।
भारत में, मानसिक स्वास्थ्य के संबंधित आपके कुछ अधिकार हैं:
- यदि आप अपने समुदाय के धार्मिक विश्वासों, या नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, कार्यनीति या राजनैतिक मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं, तो सिर्फ इसके चलते आपको मानसिक रूप से बीमार में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आप समलैंगिक (गे) हैं तो सिर्फ इसके आधार पर आपको मानसिक रूप से बीमार नहीं कहा जा सकता है। यद्यपि आपका समुदाय समलैंगिकता को स्वीकार नहीं करता है, पर यह फिर भी एक सच है।
- आपको वे सभी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं लेने का अधिकार है, जो सरकार द्वारा वित्त पोषित / चलाए जाने वाले मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठानों द्वारा दी जाती हैं।
- जैसा कि ऊपर कहा गया है, स्वास्थ्य सेवाएं को देने से आपको कोई इनकार, आपके यौन, लिंग या यौन अभिविन्यास आदि के आधार पर, नहीं कर सकता है।
- यदि आपको, अपनी यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान के चलते, चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य सेवा पाने के दौरान किसी भी भेदभाव का सामना करना पड़ा हैं, तो यहां दिए गए विकल्पों की मदद से आप कार्रवाई कर सकते हैं।