सेवा का अर्थ है लोगों को उपलब्ध कराई गई कोई भी गतिविधि, और इसमें बैंकिंग, वित्तपोषण, बीमा, परिवहन, प्रसंस्करण, विद्युत या अन्य ऊर्जा के सामान, दूरसंचार, ठहरने या खाने की व्यवस्था, आवास निर्माण, मनोरंजन, आमोद-प्रमोद, समाचार या सूचना के प्रसारण संबंधी सुविधाएं शामिल हो सकती हैं। ‘सेवाओं’ में कुछ भुगतान या अन्य लाभों के बदले में एक व्यक्ति द्वारा दूसरे के लिए की गईं कोई भी गतिविधियां शामिल होती हैं, जैसे कि एक ऑफर के हिस्से के रूप में गिफ्ट वाउचर, आदि। उदाहरण के लिए, बाल कटाई, मेडिकल जांच, पैकिंग-ऍण्ड-मूविंग सेवाओं जैसी गतिविधियां, भुगतान के बदले आटा चक्की, मालिश, घड़ी-मरम्मत आदि को सेवाओं के रूप में माना जाएगा। मोटे तौर पर, सेवाओं में निम्नलिखित शामिल हो सकती हैं-
• व्यावसायिक सेवाएं-व्यावसायिक सेवाएं ऐसी सेवाएं हैं जो किसी भी व्यवसाय के दैनिक कामकाज और गतिविधि में अपना सहयोग देती हैं, जैसे तकनीकी तंत्र, वेबसाइट होस्टिंग, कॉल सेंटर, बैंकिंग, परिवहन सेवा, दूरसंचार आदि।
• व्यक्तिगत सेवाएं-आम तौर पर व्यक्तिगत सेवाओं की प्रकृति अधिक व्यक्तिवादी होती है, जैसे खानपान, होटल आवास, दवा, पेंटिंग, मूर्तिकला आदि।
• सामाजिक सेवाएं-सामाजिक सेवाओं को आम तौर पर सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है, और इसमें आवास, वंचितों के लिए चिकित्सा देखभाल, प्राथमिक शिक्षा आदि जैसी सेवाएं शामिल होती हैं।
निःशुल्क सेवाएं
इसके अलावा, नि:शुल्क सेवाएं, आम तौर पर उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के दायरे में नहीं आती हैं। दूसरे शब्दों में, अनौपचारिक रूप से दी गयीं अदत्त सेवाएं, उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत नहीं आती हैं।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति डॉक्टर के पास मेडिकल चेक-अप के लिए जाता है, लेकिन परिचित होने के नाते, डॉक्टर कोई शुल्क नहीं लेता है, तो रोगी बाद में किसी भी सेवा की कमी के लिए डॉक्टर पर मुकदमा नहीं कर सकता, क्योंकि वह सेवा निःशुल्क प्रदान की गयी थी। हालांकि, ट्रेन के लिए टिकट खरीदने वाला यात्री एक उपभोक्ता होता है, और खराब भोजन सेवा, खराब स्वच्छता मानकों आदि सहित सेवा की किसी भी कमी के लिए रेलवे पर मुकदमा कर सकता है।