गोद लेने की प्रक्रिया के दौरान कोर्ट बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोर्ट द्वारा निभाई गई कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाएं नीचे दी गई हैं:
दत्तक-ग्रहण आदेश (गैर-धार्मिक कानून)
गैर-धार्मिक कानून के तहत गोद लेने पर, कोर्ट बच्चे के संबंधित दस्तावेजों के साथ एस.ए.ए (विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी) से आवेदन प्राप्त करता है ताकि कोर्ट यह आकलन कर सके कि गोद लेने के लिए आदेश दिया जा सकता है या नहीं। आवेदन में ये सभी होना चाहिए:
• बाल देखभाल संस्थानों जैसे एस.ए.ए और सह-आवेदकों (यदि कोई हो) का विवरण
• भावी दत्तक माता-पिता का विवरण जैसे कि उनका नाम, बच्चे को गोद लेने के लिए संसाधन/संपत्ति/स्रोत की जानकारी और मार्गदर्शन प्रणाली पंजीकरण संख्या।
• गोद लिए जाने वाले बच्चे का विवरण
• बच्चे को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया गया है या नहीं, उसका प्रमाण या सबूत।
• भावी दत्तक माता-पिता ने दत्तक-पूर्व पालन-पोषण व देखभाल हलफनामे पर किये गए हस्ताक्षर का प्रमाण, जिसमें SAA, DCPU (जिला बाल संरक्षण इकाई) के सामाजिक कार्यकर्ताओं को घर का निरीक्षण करने की अनुमति होती हैं।
• दत्तक ग्रहण समिति के निर्णय की एक प्रति/कॉपी
आवेदन में और क्या-क्या विवरण शामिल हैं, यह समझने के लिए आवेदन का एक प्रारूप को यहां पढ़ें। गोद लेने के इस आदेश को पारित कर के, कोर्ट गोद लेने वाले व्यक्ति को बच्चे का भावी दत्तक माता-पिता बनने की अनुमति देगा। दत्तक ग्रहण आदेश पारित करने से पहले, कोर्ट का यह कर्तव्य है कि वह निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें:
• कि दत्तक ग्रहण बच्चे के कल्याण के लिए हो।
• कि बच्चे की उम्र और स्थिति की समझ के आधार पर उसकी इच्छाओं को ध्यान में रखा जाए।
• कि बच्चे का भावी दत्तक माता-पिता, उसे गोद लेने के लिए कोई भी ईनाम या पैसों का लेन-देन न किया हो।
• कोर्ट द्वारा दत्तक ग्रहण की कार्यवाही एक बंद कमरे में या गुप्त ढंग से होनी चाहिए।
गोद लेने की अनुमति (हिंदू कानून)
हिंदू कानून के तहत गोद लेने पर, एक अभिभावक को कुछ मामलों में बच्चे को गोद लेने के लिए, या उसे गोद छोड़ने के लिए कोर्ट की अनुमति की आवश्यकता होती है, जो इस प्रकार हैं:
• जब माता और पिता दोनों की मृत्यु हो गई हो;
• जब माता और पिता दोनों ने पूरी तरह से संसार को त्याग दिया हो;
• जब पिता और माता दोनों ने बच्चे को छोड़ दिया हो;
• जब संबंधित कोर्ट द्वारा पिता और माता दोनों को असमर्थ या बीमार घोषित कर गया हो;
• जब बच्चे के माता-पिता के बारे में कोई जानकारी न हो।
अपील (गैर-धार्मिक कानून और हिंदू कानून)
गैर-धार्मिक कानून के तहत गोद लेने पर, अगर आप बच्चे को गोद लेने के दौरान संबंधित अधिकारियों द्वारा दिए गए आदेशों से संतुष्ट नहीं हैं या गोद लेने के लिए आपके द्वारा दिए गए आवेदन को खारिज कर दिया गया हो, तो उस दिए गए आदेश के 30 दिनों के भीतर आप बाल न्यायालय में अपील कर सकते हैं। हालांकि, भले ही 30 दिनों से अधिक समय बीत चुका हो, फिर भी आप अपील करने का प्रयास कर सकते हैं, और अगर कोर्ट का यह मानना है कि निर्धारित 30 दिनों के भीतर अपील करने में सक्षम नहीं होने के लिए आपके पास पर्याप्त कारण हैं, तो इस पर विचार किया जाएगा। अगर आप कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप अपने राज्य के उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) में अपील दायर कर सकते हैं।