अगर कोई एमसीसी नियमों का उल्लंघन करता है, तो आमतौर पर उसे सजा नहीं होगी। वहीं कुछ ऐसे मामलों में जिसमें एमसीसी का उल्लंघन ‘भारतीय दंड संहिता और लोक प्रतिनिधित्व’ कानून, 1951 के तहत एक अपराध है। ऐसे मामलों को करने वाले व्यक्ति को जेल हो सकती है। केवल एमसीसी का उल्लंघन करने पर, उम्मीदवार को चेतावनी दी जाएगी, लेकिन अगर ऐसा बार-बार होता है। तो उस पर जरूरी कार्रवाई के लिए उसकी शिकायत चुनाव अधिकारियों को भेज दी जाएगी। चुनाव अधिकारी जरूरत पड़ने पर उम्मीदवार की उम्मीदवारी को भी ख़त्म कर सकता है। आचार-संहिता के लागू होते ही चुनाव आयोग सबसे जरूरी भूमिका निभाता है, और उसके उल्लंघन को रोकने के लिए हर संभव कार्रवाई करता है।
चुनाव आयोग के काम के कुछ उदाहरण इस तरह हैं:
- चुनाव आयोग सत्ताधारी दल को जीतने पर मदद करने वाले सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगा सकता है।
- सत्ताधारी दल को अपने राजनीतिक शक्ति/प्रभाव का इस्तेमाल और टेलीविजन या सिनेमा में उसके एजेंडे को बढाने से रोकता है।
- किसी भी उम्मीदवार या पार्टी को ऐसे किसी भी काम को करने से रोकता है, जिससे आपसी नफरत या जातियों और समुदायों के बीच तनाव पैदा हो ।
- अगर कोई व्यक्ति ऐसा बयान देता है, जिससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है। तो जिला चुनाव अधिकारी उसके खिलाफ एफ़.आई.आर दर्ज करने का आदेश दे सकता है।