वसीयत बदलना

आखिरी अपडेट Jul 12, 2022

आप अपनी इच्छानुसार जितनी बार चाहें अपनी वसीयत को बदल सकते हैं। वसीयत के पंजीकृत होने के बाद भी, आप के द्वारा इसमें परिवर्तन करना संभव है।

यदि आप अपनी इच्छाओं को सही तरीके से व्यक्त करने के लिए अपनी वसीयत में बड़ा परिवर्तन कर रहे हैं, तो आपको आदर्श रूप से एक ‘कोडिसिल’ को निष्पादित करना चाहिए। ‘कोडिसिल’ एक लिखित बयान है, जो मौजूदा वसीयत के पूरक के रूप में होता है, या इसे संशोधित करता है। इसे, मूल वसीयत की भांति ही निष्पादित किया जाना चाहिए।

आप अपनी वसीयत में परिवर्तन करने के लिये, उसमें से कुछ हटा सकते हैं, कुछ संशोधित कर सकते हैं, या नई बात जोड़ सकते हैं। परन्तु आपको इन परिवर्तनों के समीप हाशिये में या वसीयत के अन्त में अपने, इनका हवाला देते हुए हस्ताक्षर करने होंगे और अपने गवाहों के हस्ताक्षर करवाने होंगे। पहले से निष्पादित वसीयत में कोई परिवर्तन नहीं किए जा सकते हैं (सिवाय इसे ज्यादा स्पष्ट करने या समझने योग्य बनाने के लिए)

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विल का पंजीकरण

विल का पंजीकृत करना अनिवार्य नहीं है।

प्रोबेट की प्रक्रिया

कुछ मामलों में आपको, एक वसीयत के लाभार्थी के रूप में अपना अधिकार स्थापित करने के लिए, उस वसीयत के ‘प्रोबेट’ को प्राप्त करना आवश्यक है।

वसीयत के लिये एक निष्पादक (Executor) की नियुक्ति

जिस व्यक्ति को आप अपनी मृत्यु के बाद, वसीयत में दिए गए अनुदेशों को निष्पादित करने अथार्त लागू करने का दायित्व सौंपते हैं, उसे आपकी विल का निष्पादक कहा जाता है।

मृत्यु के बाद भी भरण-पोषण का उत्तरदायित्व

माता-पिता के भरण-पोषण का कर्तव्य किसी व्यक्ति के लिये, स्वयम् के मृत्यु के बाद भी रहती है।