गैर-जमानती अपराधों के लिए जमानत

आखिरी अपडेट Jul 12, 2022

गैर-जमानती अपराध के आरोप में भी, कुछ मामलों में आपको जमानत दी जा सकती है:

  • अगर जांच या मुकदमे के किसी भी चरण में, अधिकारी या न्याालय को यह लगता है कि अभियुक्त ने गैर-जमानती अपराध नहीं किया है, तो आरोपी को जमानत दी जा सकती है।
  • यदि गैर-जमानती अपराध के आरोप में किसी व्यक्ति के मुकदमे में 60 दिनों से ज्यादा समय लगता है, और वह व्यक्ति 60 दिन से जेल में हो, तो अदालत उसे रिहा कर सकती है और उसे जमानत दे सकती है।

Comments

    Ganesh Singh Maravi

    December 30, 2022

    मैं शासकीय सेवा में हूँ मेरे विरुद्ध गैर जमानती एफ आई आर दर्ज हुआ था व थाने से सरेन्डर हेतु सूचना आई। मैं अपने आप को बीमार बताया और चार माह तक बीमार घोषित किया।
    बाद में रेगुलर बेल हुआ।
    मेरा विभाग कह रहा है कि मैं मेडीकल अवकाश नहीं ले सकता।
    कृपया मुझे बताने का कष्ट करेंगे कि किस आधार पर मेडीकल अवकाश नहीं मिलेगा?
    या
    मैं पात्र हूँ

    Alka Manral

    July 8, 2024

    यह आपके सेवा नियमों और लागू सरकारी आदेशों पर निर्भर करेगा। विभाग से पूछना बेहतर होगा कि वे आपको चिकित्सा अवकाश क्यों नहीं दे रहे हैं।

    आप प्राथमिकी रद्द कराने और गिरफ्तारी के आदेश पर रोक लगवाने का प्रयास क्यों नहीं करते, अगर आपके पास मजबूत मामला है? या फिर अग्रिम जमानत की मांग क्यों नहीं करते?

    Mahaveer Jain

    May 1, 2024

    Sir namskar
    Bail order mila hai
    Par problem ye hai ki jamanat dene vala koi taiyar nahi hai to kya hota hai next process

    Sumit

    October 19, 2024

    kya anticepatry bail me marrit ke adhar satendra kumar antil v/s सीबीआई ka hawala dete hue 12 din ke andar srender ke liye bol kr case ko dispose kr diya to regular bail milne me kitna time lgega

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एफआईआर, गिरफ्तारी और जमानत

इसके अलावा, वह व्यक्ति जो इस कानून के तहत किए या ना किए गए अपराधों के लिए गिरफ्तारी से डरता है, वह अग्रिम जमानत के लिए फाइल नहीं कर सकता है।
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पीड़ितों और गवाहों के अधिकार

यह विशेष कानून पीड़ितों, उनके आश्रितों और इस कानून के तहत दायर शिकायतों के गवाह के रूप में कार्य करने वालों को कुछ अधिकारों की गारंटी देता है।
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अत्याचार करने वाले व्यक्तियों का निर्वासन

यदि किसी व्यक्ति द्वारा ऐसे क्षेत्रों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर अपराध या अत्याचार करने की संभावना है, तो विशेष अदालतें उन्हें वहां से हटा सकती हैं।
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अग्रिम जमानत

कानून हर वैसे व्यक्ति को जमानत के लिए आवेदन करने की इजाजत देता है, जिसे भले ही अभी गिरफ्तार नहीं किया गया हो, लेकिन निकट भविष्य में उसे अपनी गिरफ्तारी का भय/संदेह है।

जमानत को भलि भांति समझना

जब एक आरोपी व्यक्ति अदालत/पुलिस को आश्वासन देता है कि वह रिहा होने पर समाज से भागेगा नहीं और कोई नया अपराध नहीं करेगा, तब उसे जमानत दी जाती है ।

अदालत की अवमानना ​​कहां हो सकती है?

कोर्ट की अवमानना ​​कहीं भी हो सकती है-कोर्ट के अंदर, सोशल मीडिया पर, आदि। अवमानना ​​की कार्यवाही या तो उच्च न्यायालय द्वारा की जा सकती है।