यदि आपको पीआईओ से 30 दिनों के भीतर कोई निर्णय नहीं मिलता है, तो आप ‘पीआईओ’ से ऊँचे अधिकारी के समक्ष, पीआईओ के निर्णय के खिलाफ अपील कर सकते हैं। आपको अपने अपील को 30 दिनों के अंदर दर्ज करना होगा। अगर अधिकारी को लगता है कि देर होने का कारण सही है तो इस समय की अवधि को बढ़ा दिया जा सकता है।
आम तौर पर, एक सार्वजनिक प्राधिकरण अपने वेबसाइट पर या कार्यालय में यह बताएगा कि उनका अपीलीय प्राधिकारी (अप्पेलेट ऑथोरिटी) कौन है। यह एक ऐसा अधिकारी होगा जो ‘पीआईओ’ से ऊ़ँचे रैंक का होगा। कोई तीसरी पार्टी भी ‘पीआईओ’ के आदेश के खिलाफ 30 दिनों के भीतर अपील दायर कर सकती है।
यदि आप पहले अपील के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप दूसरी अपील 90 दिनों के अंदर सुझाए गए प्रारूप में, केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को कर सकते हैं।
सूचना देने से इनकार करना उचित था, यह सिद्ध करने की पूरी ज़िम्मेदारी ‘पीआईओ’ पर है जिन्होंने इस सूचना को देने से इंकार कर दिया है। सूचना आयोग को 30 दिनों में अपील पर निर्णय ले लेनी चाहिए। इसे पैंतालिस दिन तक बढ़ाया जा सकता है पर इस अवधि के बढ़ाये जाने का कारण भी दर्ज करना होगा।
अपील पर निर्णय लेने के लिए, सूचना आयोग उस सार्वजनिक प्राधिकरण से मांग कर सकता है कि वे:
-सूचना को एक विशेष तरीके से दें -एक ‘पीआईओ’ को नियुक्त करें -प्रासांगिक सूचना को प्रकाशित करें -अपने दस्तावेजों को सही ढंग से रक्खें -अपने अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम को आयोजित करें -एक वार्षिक रिपोर्ट दिया करें -किसी भी शिकायतकर्ता को मुआवजा दें
यह उन पर जुर्माना लगा सकता है और कुछ विशिष्ट आवेदनों को ठुकरा सकता है।