एलजीबीटी समुदाय में कई स्वयं-निर्धारित समूह शामिल हैं, और “LGBTQ” शब्द का अर्थ लेस्बियन (समलैंगिक स्त्री), गे (समलैंगिक पुरुष), बाइसेक्सुअल (उभयलिंगी), ट्रांसजेंडर (हिज़ड़ा), क्वेअर (विचित्रलिंगी) समुदाय से है और “+” चिह्न, LGBTQ के व्यापक स्तर को संदर्भित करता है, जिसमें ऐसे ही अन्य लैंगिक पहचान के लोग भी शामिल हैं।
न्यायालयों ने यह स्वीकार किया है कि यदि कोई व्यक्ति जन्म के समय मिले लिंग के साथ खुद की पहचान करने में असमर्थ है तो उसे अपने लिंग का चयन करने का अधिकार है। यह चुनाव तब किया जा सकता है, जब कोई व्यक्ति अपने शरीर के आंतरिक और व्यक्तिगत अनुभव, शारीरिक बनावट, बोलचाल का लहजा, हाव-भाव आदि को समझने लगा है। इसे ‘लिंग पहचान/निर्धारण’ के रूप में जाना जाता है।
भारत में आपको यह अधिकार है कि आप खुद के निर्धारित किए गये लिंग से पहचाने जाएं। यह वह लिंग हो सकता है, जो आपको जन्म से मिला हो, या वह लिंग जिसके साथ आप खुद को जोड़ने लगते हैं, जैसे जैसे आप बड़े होते हैं। अपने पूरे जीवन में, आप अपने लिंग की पहचान को कई बार बदल सकते हैं। अभी कानून के तहत, तीन लिंगों को मान्यता दी गई है: ‘पुरुष, ‘महिला’ और ‘तीसरा लिंग’ (हिज़ड़ा -‘ट्रांसजेंडर’)। उदाहरण के लिए, आपको जन्म के समय ‘पुरुष’ माना गया हो, लेकिन बड़े होने के दौरान आप अपने लिंग का निर्धारण एक हिज़ड़े / ट्रांसजेंडर व्यक्ति के रूप में कर सकते हैं।
आप अपने लिंग की पहचान को बदलने के लिए निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
- आप अपने द्वारा निर्धारित किए गए नए लिंग के अनुसार अपना नाम बदल सकते हैं।
- आप अपने लिये ‘लिंग सकरात्मक चिकित्सा’ (जेंडर अफ़र्मेटिव थेरेपी) करा सकते हैं, जिसके अंतर्गत कई चिकित्सीय उपचार शामिल हैं, जिसके द्वारा आप अपने नये लिंग पहचान की पुष्टि के लिए विभिन्न चिकित्सीय विकल्पों को आजमा सकते हैं।
- यदि आप अपने नये लिंग की पुष्टि कर लेते हैं, तो अपने नये लिंग की पहचान को दर्शाने के लिए, आप नए दस्तावेज़ बनवा सकते हैं, या अपने पुराने दस्तावेज़ों को अपडेट करा सकते हैं।