अगर कोई मेरी संपत्ति पर अतिक्रमण करता है, तो मुझे क्या करना चाहिए?

अगर कोई आपकी संपत्ति पर अतिक्रमण या अतिचार (बिना अधिकार के प्रवेश करना) करता है या कोई निर्माण आपकी संपत्ति की सीमा रेखा से आगे करता है, तो इसे बताए गए तीन तरीके से हल कर सकते हैंः

अतिचार: अगर कोई आपकी संपत्ति में अपराध करने, आपको डराने, अपमान करने या चिढ़ाने के इरादे से या वैध रूप से प्रवेश करके अवैध रूप से वहां रहने लगता है, तो बताई गई सभी स्थितियों में प्रवेश अवैध ही माना जाएगा।

भारतीय दंड संहिता के तहत यह अपराध आपराधिक अतिचार की श्रेणी में आता है।1 इसके खिलाफ आप आपराधिक शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

संपत्ति का सीमांकन: दूसरा विकल्प दीवार या बाड़ बनाकर ज़मीन का सीमांकन करना है। यह ज़मीन की सीमाओं को ठीक रखता है और सीमांकित ज़मीन की सुरक्षा को बनाए रखता है।  साथ ही ज़मीन को अतिक्रमण या कब्जा करने वालों से भी बचाता है।

संपत्ति के अतिक्रमण के लिए सिविल मुकदमा: तीसरा विकल्प सिविल कोर्ट में एक आवेदन करना और अतिक्रमण के खिलाफ आदेश मांगना है। आप किसी को भी आपकी ज़मीन पर कब्ज़ा करने से रोकने के लिए कोर्ट से स्थायी निषेधाज्ञा की मांग कर सकते हैं।

मकान/फ्लैट किराए पर लेना

एक मकान या फ्लैट को किराए पर लेने में कई प्रक्रियाएं और कार्यविधियां शामिल हैं। यदि आप इन प्रक्रियाओं और कार्यविधियों से अवगत नहीं हैं, तो आप से कोई गलत लाभ उठा सकता है। मकान किराए पर लेते समय अपनी सुरक्षा के लिए कृपया निम्नलिखित बातों को जान लें:

  • मकान कैसे ढूढ़ें
  • अपना करार तय करना
  • लिखित एग्रीमेन्ट पर हस्ताक्षर करना
  • करार का पंजीकरण कराना या उस पर नोटरी से हस्ताक्षर करवाना
  • करार के सम्बन्ध में स्टॉम्प ड्यूटी का भुगतान करना
  • किराये का भुगतान करना
  • पुलिस से सत्यापन कराना

जब ‘रास्ते का अधिकार’ पर विवाद होता है, तो क्या करना चाहिए?

‘रास्ते का अधिकार’ किसी दूसरी ज़मीन पर मालिकाना या रहने  वाले का अधिकार है, न कि उसका अपना, जो उन्हें अपनी संपत्ति1 का आनंद लेने की अनुमति देता है।

इसमें अपनी ज़मीन का इस्तेमाल करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की ज़मीन को बिना बाधा इस्तेमाल करने का अधिकार शामिल है। अगर इस अधिकार में कोई बाधा आती है, तो इसे रोकने के लिए निषेधाज्ञा या होने वाले नुकसान के लिए आप मुकदमा कर सकते हैं।

एग्रीमेंट के प्रकार

जब आप मकान किराए पर ले रहे हों या किराए पर अपना घर दे रहे हैं, तो एग्रीमेंट करना उपयुक्त है ताकि:

  • जब पैसे, उपयोगिताओं और मरम्मत आदि के बारे में कोई असहमति होती है, तो अनुबंध का विवरण आपस में सहमति बनाने में सार्थक होगा।
  • यदि आप पुलिस/अदालत में शिकायत दर्ज करना चाहते हैं तो आप लिखित समझौते/अनुबंध को प्रमाण के रूप में दिखा सकते हैं।
  • एक किरायेदार/लाइसेंसधारी के रूप में, आप अपने किराए के एग्रीमेंट को अपने अस्थायी निवास के सबूत के रूप में दिखा सकते हैं।

आपके अधिकार और कर्तव्य, मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता या किरायेदार/ लाइसेंसधारी के रूप में, मोटे तौर पर समझौते के प्रकार पर निर्भर करती हैं, जिस पर आप मकान किराए पर लेने के उद्देश्य से हस्ताक्षर करते हैं। आवासीय उद्देश्यों से संपत्ति को किराए पर लेने के लिए दो प्रकार के समझौते हैं। यथा-

  • लीज एग्रीमेंट या लीज डीड (आमतौर पर इसे रेंट एग्रीमेंट के रूप में जाना जाता है)
  • लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट

अचल संपत्ति का मालिकाना हक और उससे जुड़े विवाद

किसी व्यक्ति को ज़मीन पर मालिकाना अधिकार उत्तराधिकार, उत्तरजीविता, विरासत, विभाजन और खरीद द्वारा मिल सकता है। मालिक/ खरीदार के अधिकारों की वैधता या ज़मीन बेचने वाले की पात्रता और ज़मीन को लेने के लिए सरकारी नियमों और विनियमों के उल्लंघन पर विवाद हो सकते हैं। इन विवादों को हल करने के लिए, हर मामले की खास बातों को ध्यान में रखते हुए खास तरह की जानकारी की जरूरत होती है। 

इस तरह के मामलों में मुकदमेबाजी करने से पहले एक वकील से राय मशविरा कर लेना चाहिए। 

इस बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए यहां  क्लिक करें।

लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट

कुछ शहरों में, किराए के समझौते के बजाय, लीव एंड लाइसेंस समझौते का उपयोग किया जाता है। इस समझौते का उपयोग करके, संपत्ति का मालिक आपको सिर्फ एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए अपने घर का उपयोग करने की अनुमति देता है।

लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट में, किराए पर मकान देने वाले व्यक्ति को लाइसेंसकर्ता कहा जाता है, और मकान को किराए पर लेने वाले व्यक्ति को लाइसेंसधारी कहा जाता है।

लीव एंड लाइसेंस समझौते में भाग लेते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

एक लाइसेंसधारी को ‘किरायेदार का संरक्षण’ (टीनेंट प्रोटेक्शन) उपलब्ध नहीं है।

कानून के अनुसार आप तकनीकी रूप से एक किरायेदार नहीं हैं और इसलिए आप कुछ अधिकार से वंचित हैं। इसके बजाय, आप एक लाइसेंसधारी हैं, और आपने एक विशिष्ट अवधि के लिए, इस परिसर को उपयोग करने का एक सीमित अधिकार प्राप्त किया है।

समझौते द्वारा निर्देशित

लाइसेंसकर्ता और लाइसेंसधारी दोनों के अधिकार और कर्तव्य, मुख्य रूप से समझौते द्वारा तय किए जाते हैं। यदि समझौते के किसी भी नियम का उल्लंघन किया जाता है, तो इसे अनुबंध के उल्लंघन करने या तोड़ने के रूप में माना जाता है। और इसके लिए एक नागरिक मुकदमा न्यायालय में दायर किया जा सकता है।

अगर मेरा किसी से जमीन या अचल संपत्ति को लेकर कोई विवाद है, तो मुझे किस अदालत में जाना चाहिए?

अचल संपत्ति के विवाद में मुकदमा दायर करने के लिए आपको किस अदालत में जाना हैं, यह आपकी संपत्ति की जगह से तय होगा। अदालत के पास उस विवादित संपत्ति की जगह का अधिकार क्षेत्र होना चाहिए।1 अगर कोई संपत्ति एक से ज्यादा अदालतों की अधिकार क्षेत्र की सीमाओं के बाहर स्थित है, तो मुकदमा इनमें से किसी भी अदालत में दायर किया जा सकता है। मुकदमेबाजी करने से पहले एक वकील से राय मशविरा कर लें।

अदालतों में जाने के अलावा, लोक अदालतों की मदद से भी विवादों को सुलझा सकते हैं। ये कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत मान्यता प्राप्त विवादों को हल करने का एक वैकल्पिक तरीका हैं।

लोक अदालत एक ऐसा मंच है, जहां ज़मीन और संपत्ति जैसे मुकदमे में या पहले के मुकदमेबाजी पर लंबित विवादों/मामलों  का शांतिपूर्वक निपटारा/समझौता किया जाता है। लोक अदालत का फैसला आखिरी और बाध्यकारी होता है। इसके फैसले पर आगे अपील का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, अगर पक्ष फैसले से असंतुष्ट है, तो वे अदालत में मुकदमेबाजी की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।

लीज़ एग्रीमेंट

एक लीज डीड/एग्रीमेंट दिल्ली, बैंगलोर, आदि जैसे कई शहरों में उपयोग किए जाने वाले समझौते का सबसे सामान्य रूप है। इसे आमतौर पर ‘रेंट एग्रीमेंट’ भी कहा जाता है।

किराए के करार (रेंट एग्रीमेंट) के तहत अधिकार

एक किरायेदार के रूप में, यदि आपने अपने मकान मालिक के साथ लीज डीड पर हस्ताक्षर किए हैं, तो आपके पास कुछ अधिकार हैं जो आपको लीव और लाइसेंस समझौते के तहत नहीं होंगे, जैसे:

संपत्ति में रुचि

जब आप संपत्ति के किराए का भुगतान कर रहे हैं, आपको उसमें रहने और उपयोग करने का अधिकार है।

सम्पत्ति पर आधिपत्य का अधिकार

किराए पर दिए जा रहे घर पर आधिपत्य स्थापित करने का एकमात्र अधिकार आपके पास है। इसका मतलब यह है कि अगर मकान मालिक ने अपना घर या स्थान आपको किराए पर दे दिया है, तो आपको सौंपी गई जगह का उपयोग अब वह नहीं कर सकता है। यह लीज की अवधि तक के लिए एकमात्र आपके उपयोग के लिए है।

निष्कासन (बेदखली) से संरक्षण

उचित कानूनी औचित्य दिये बिना एक मकान मालिक, एकतरफा आपके लीज की अवधि को समाप्त या कम नहीं कर सकता है। आपके पास बेदखली के खिलाफ खास संरक्षण उपलब्ध हैं।

लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करना

हस्ताक्षर करने के पहले समुचित सावधानी बरतना

यदि आप घर लेने का फैसला करते हैं या किराए पर अपना घर देते हैं, तो यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें बतायी गईं हैं जिन्हें आपको लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले करनी चाहिए:

अपना अनुबंध पढ़ें

अपने समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपने या आपके वकील ने समझौते की सभी शर्तों को पढ़ा है। कृपया सुनिश्चित करें कि आपने किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर, उसकी अंतर्वस्तु (कंटेंट) को पढ़े बिना नही किया है। बाद में आप यह दावा नहीं कर सकते कि आप इस करार से बाध्य नहीं हैं क्योंकि आपने समझौते को पढ़ा नहीं है।

गवाहों की उपस्थिति को सुनिश्चित करें

अपने समझौते की शर्तों को पढ़ने के बाद, आपको और मकान मालिक ध्लाइसेंसकर्ता/किरायेदार/लाइसेंसधारी दोनों को समझौते पर हस्ताक्षर करना होगा। कृपया सुनिश्चित करें कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले दो गवाह भी मौजूद हैं। यह आवश्यकता वैकल्पिक नहीं है क्योंकि गवाहों के हस्ताक्षर के बिना समझौते को वैध नहीं माना जाएगा।

हस्ताक्षर करने के बाद समुचित सावधानी बरतना

लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें सुनिश्चित करनी चाहिए:

समझौते का नोटरीकरण और पंजीकरण कराना

यदि आप अपना मकान किराए पर दे रहे हैं, या मकान किराए पर ले रहे हैं, तो आप समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद यह सुनिश्चित करें कि आप इसे नोटरीकृत या पंजीकृत करवा लिये हैं।

11 महीने के किराए के समझौतों के लिए पंजीकृत कराना अनिवार्य नहीं है। हालांकि, ऐसे समझौते को नोटरीकृत करना अनिवार्य है।

पुलिस सत्यापन (वेरिफिकेशन)

अपने समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद यह सुनिश्चित करें कि यदि आप अपना घर किराए पर दे रहे हैं तो पुलिस वेरिफिकेशन जरूर करवाएं। किराए पर मकान लेने वाले व्यक्ति के रूप में आपको पुलिस वेरिफिकेशन करवाने का कोई दायित्व नहीं है। हालांकि, आपको अपने मकान मालिक के साथ सहयोग करना चाहिए जब वह इस प्रक्रिया के लिए आपका विवरण मांगता है। क्योंकि कानून के तहत इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मकान मालिक के लिये यह अपेक्षित है।

समझौते का नोटरीकरण या पंजीकरण

किराए/लीज़ समझौते का पंजीकरण

यदि आपका लीज एग्रीमेंट एक साल या उससे अधिक के लिए है, तो जिस शहर में आप रह रहे हैं, उसके सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में इसे पंजीकृत करना अनिवार्य है। यह लीज एग्रीमेंट होने के 4 महीने के अंदर इसे पंजीकृत करवा देना चाहिए। यदि यह करार पंजीकृत नही करवाया जाता है तो इसे उस स्थिति में न्यायलय द्वारा साक्ष्य के रूप में स्वीकार नही किया जायेगा, यदि किराये पर ली गयी/दी गयी संपत्ति के संबंध में कभी कोई मुकदमा दायर किया जाता है।

आपके करार का पंजीकरण यह सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी है कि आपका मकान मालिक आपसे सहमत हुए राशि से अतिरिक्त कुछ भी नहीं लेता है, या किसी भी अवैध लेनदेन के लिये आपके साथ जबरदस्ती नही करता है।

यही कारण है कि अधिकांश करार 11 महीने की अवधि के होते हैं, ताकि इस पंजीकरण प्रक्रिया से बचा जा सके। ऐसे मामलों में, करार को आपको पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसे केवल नोटरीकृत कराना होगा।

हालांकि, मुंबई जैसे कुछ शहरों में, जहां लीव एंड लाइसेंस समझौते का उपयोग किया जाता है, इस समझौते को पंजीकृत करना अनिवार्य है, भले ही किरायेदारी की अवधि कुछ भी हो। महाराष्ट्र में, किरायेदारी के सभी समझौते, चाहें वह लीज या लीव एंड लाइसेंस हों, कानूनन अनिवार्य रूप से पंजीकृत होने चाहिए।

अपने समझौते को नोटरीकृत कराना

किसी भी तरह के किराये के समझौते को, यदि इसे पंजीकृत नहीं किया जा रहा है तो इसे नोटरीकृत कराना आवश्यक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके और आपके मकान मालिक के बीच एक अनुबंध है और सभी अनुबंध आमतौर पर नोटरीकृत कराए जाने के बाद ही मान्य होते हैं। समझौते को नोटरीकृत कराने से आपके दस्तावेज को वैधता मिलती है और यह इस बात की भी पुष्टि करता है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले पक्ष वास्तव में कौन कौन हैं। यह न केवल आपको आपके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में सुनिश्चित करता है, बल्कि अगर मामला अदालत में जाता है, तो एक नोटरीकृत समझौते पर विवाद होने की संभावना नहीं होती है।