किसी भी पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज की जा सकती है। यह हो सकता है कि अपराध उस पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो, पर इससे चलते शिकायत दर्ज कराने में कोई अड़चन नहीं है। पुलिस के लिए यह अनिवार्य है वह उपलब्ध कराई गई जानकारी को दर्ज करे, और फिर उसे उस थाने में स्थानांतरित करना जिसके क्षेत्र में/अधिकार क्षेत्र में अपराध हुआ है। उदाहरण के लिए, यदि कोई अपराध का मामला उत्तरी दिल्ली में हुआ हो तो उसकी सूचना दक्षिणी दिल्ली के किसी भी थाने में दर्ज कराई जा सकती है।
इस संकल्पना को सामान्य तौर पर “जीरो एफआइआर” के रूप में जाना जाता है और इसे सन् 2013 में शुरू किया गया था। जीरो एफआइआर शुरू होने से पहले बड़े पैमाने पर देरी हुआ करती थी क्योंकि जिस इलाके में अपराध हुआ होता था, वहां की ही पुलिस स्टेशन सूचना को दर्ज कर सकती थी।
जब आपकी गिरफ्तारी हो रही है, उस समय आपके पास कुछ अधिकार हैं, जो हैं:
- आप पुलिस से, उनकी पहचान पूछ सकते हैं क्योंकि उन्हें अपने पदनाम सहित नाम का स्पष्ट टैग पहने रहना चाहिये, जो सही हो, और साफ दिखे।
- आप पुलिस से अपने वकील को फोन करने के लिए कह सकते हैं। अगर आपका अपना वकील नहीं है या आप वकील का खर्चा बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं, तो आप न्यायालय से अपने लिए एक वकील नियुक्त करने के लिए निवेदन कर सकते हैं।
- आप पुलिस को, अपनी गिरफ्तारी का वारंट, पुलिस रिपोर्ट और आपकी गिरफ्तारी से संबंधित अन्य दस्तावेजों को दिखाने के लिए कह सकते हैं, और पुलिस को, यह सब आपको दिखाना ही होगा।
- आपको अपने हस्ताक्षर करने से पहले, पुलिस द्वारा तैयार किये गये गिरफ्तारी के ज्ञापन की सटीकता की जाँच जरूर कर लेनी चाहिए। गिरफ्तारी के ज्ञापन में गिरफ्तारी की तारीख और समय लिखित होना चाहिए, और कम से कम एक गवाह द्वारा प्रमाणित किया रहना चाहिए।
- पुलिस द्वारा आपको यह सूचित किया जाना चाहिए कि इस अपराध के लिए आपको जमानत मिल सकती है।
- आप किसी प्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा, अपने शरीर पर प्रमुख और मामूली चोटों को जांच कराने के लिए कह सकते हैं और पुलिस को इसका पालन करना होगा। यदि आप उनकी हिरासत में हैं तो यह जाँच हर 48 घंटों पर की जानी चाहिए। इस शारीरिक जाँच को ‘निरीक्षण ज्ञापन’ (‘इन्सपेक्शन मेमो’) में दर्ज की जानी चाहिए और इस पर पुलिस अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किया जाना चाहिए। जब आप उनकी हिरासत में होते हैं तो पुलिस द्वारा अपराधी पर हिंसा करने से रोकने के लिए, यह किया जाता है।
- आपको हस्ताक्षरित निरीक्षण ज्ञापन की एक प्रति प्राप्त होनी चाहिए।
सार्वजनिक स्थान पर मोटर वाहन चलाने के लिए आपकी आयु न्यूनतम आयु से अधिक होनी चाहिए।
कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा नीचे दी गई है:
• किसी भी मोटर वाहन को चलाने के लिए (50 सीसी से कम इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिल को छोड़कर): 18 वर्ष
• 50 सीसी से कम इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिल चलाने के लिए: 16 वर्ष
• परिवहन वाहन चलाने के लिए (उदाहरण के लिए, एक ट्रक): 20 वर्ष
अगर किसी विशेष प्रकार का मोटर वाहन चलाने के लिए आपकी आयु न्यूनतम आयु से कम है, लेकिन आप फिर भी उसे चलाते हैं, तो आपको 5000 रुपये के जुर्माने या 3 महीने तक की जेल या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है। लागू जुर्माना राशि राज्यों में भिन्न हो सकती है।
नीचे दो राज्यों के लिए जुर्माने की राशि दी गई है:
राज्य |
वाहन का प्रकार |
जुर्माना राशि (भारतीय रुपयों में) |
दिल्ली |
लागू नहीं |
5,000 |
कर्नाटक |
दो पहिया वाहन/तीन पहिया वाहन |
1,000 |
हल्का मोटर वाहन |
2,000 |
अन्य |
5,000 |
यदि बोर्ड यह निर्णय लेता है कि प्रारंभिक मूल्यांकन के बाद बच्चे पर एक वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाना चाहिए, तो वह मामले को बाल न्यायालय में भेजता है। बाल न्यायालय एक मौजूदा सत्र न्यायालय हो सकता है जो बाल-विशिष्ट कानूनों या किशोर न्याय(जेजे)अधिनियम के तहत अपराधों से निपटने के लिए स्थापित किया गया है। बाल न्यायालय तब दो चीजों में से एक कर सकता है:
बोर्ड निर्णय ले सकता है कि बच्चे पर मुकदमा वयस्क की तरह चलाया जाना चाहिए और फिर अंतिम निर्णय देना चाहिए। जबकि बाल न्यायालय आम तौर पर जघन्य/अतिदुष्ट अपराध के लिए अधिकतम सजा (3 साल से अधिक की सजा) पारित कर सकता है, यह रिहाई की संभावना के बिना बच्चे को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा नहीं दे सकता है।
बोर्ड यह निर्णय कर सकता है कि बच्चे पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की आवश्यकता नहीं है और बोर्ड पहले की तरह जांच पूरी कर सकता है और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 18 के तहत आदेश पारित कर सकता है।
सभी मुकदमों में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोर्ट का माहौल बच्चों के अनुकूल हो। यदि मुकदमे के दौरान उन्हें कानूनी हिरासत में लिया जाना है तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उसे एक सुरक्षित स्थान पर रखा जाए। यदि पाया जाता है कि बच्चेे जघन्य /अतिदुष्ट अपराध में सम्मिलित है तो 21 का होने तक उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखा जाए इसके बाद में उन्हें जेल भेजा जाए। उनके यहां रहने तक उनकी शिक्षा और कौशल विकास की व्यवस्था होनी चाहिए।
कानून न्यायपालिका और उसके अधिकार में जनता के विश्वास की रक्षा के लिए है। कानून आम जनता पर लागू होता है, और जनता को न्यायपालिका के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी करने से रोकता है। हालाँकि, यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा यदि टिप्पणी कानून द्वारा दिए गए किसी भी बचाव के तहत आती है।
कानून जनता को सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, अधीनस्थ न्यायालयों और कानून द्वारा स्थापित न्यायाधिकरणों के खिलाफ कोई भी टिप्पणी करने से रोकता है। हालांकि, अवमानना का कानून न्याय पंचायतों या अन्य ग्राम न्यायालयों की रक्षा नहीं करता है जो न्याय के प्रशासन के लिए कानून द्वारा स्थापित किए गए हैं। अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की शक्ति के बारे में अधिक पढ़ने के लिए, हमारे व्याख्याता को देखें “कानून के तहत प्राधिकारी कौन हैं?”।
निःशुल्क कानूनी सहायता के लिए आवेदन पत्र प्राप्त करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। आवेदन प्राप्त करने या जमा करने के लिए आपको कोई पैसा खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। यहां तक कि प्रक्रिया शुल्क, आलेखन शुल्क, टंकण ( टाइपिंग ) शुल्क, लिपिक आदि जैसे खर्च भी कानूनी सेवा संस्थानों द्वारा वहन किए जाते हैं।
कानूनी सहायता मिलने पर आपको कोई पैसा नहीं देना होगा। आपको इसके लिए भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है:
• निःशुल्क कानूनी सहायता का अनुरोध करने के लिए एक आवेदन पत्र प्राप्त करना। आवेदन प्राप्त करने या जमा करने के लिए आपको कोई पैसा खर्च करने की आवश्यकता नहीं है।
• प्रक्रिया शुल्क, आलेखन शुल्क, टंकण ( टाइपिंग ) शुल्क, लिपिक, आदि जैसे व्यय।
• गवाहों के खर्च और किसी कानूनी कार्यवाही के संबंध में देय या खर्च किए गए अन्य सभी शुल्क।
ऐसे मामलों में जहां न्यायालय का मानना है कि कार्यवाही के किसी भी चरणों के दौरान, वह व्यक्ति:
-गवाहों को भयभीत करने, रिश्वत देने या छेड़छाड़ करने में लगा है,
-फरार होने या भागने की कोशिश कर रहा है।
तब न्यायालय उसकी जमानत रद्द कर सकती है, और उस व्यक्ति को फिर से गिरफ्तार कर सकती है। यह बात दोनों, जमानती और गैर-जमानती अपराधों पर लागू होती है। जमानत रद्द तब होता है जब व्यक्ति, अपनी रिहाई के बाद ऐसा आचरण करता है जिससे मुकदमें की निष्पक्ष कार्यवाही की संभावना पर बाधा उत्पन्न हो सकती है।
यदि आप निम्नलिखित में से किसी अपराध के बारे में जानकारी देना चाहते हैं तो ऐसी जानकारी किसी महिला पुलिस अधिकारी या किसी अन्य महिला अधिकारी को ही दर्ज करानी होती है:
ऊपर बताए गए 3 से 12 तक के अपराधों के लिए अगर किसी मानसिक या शारीरिक विकलांगता (अस्थाई या स्थायी दोनों) से पीड़ित किसी महिला पर ऐसा अपराध किया गया है या ऐसे अपराध का आरोप लगाया गया है तो ऐसी जानकारी किसी पुलिस अधिकारी को उनके आवास या किसी ऐसे स्थान पर दर्ज की जाएगी जो रिपोर्टिंग करने वाले व्यक्ति के लिए सुविधाजनक हो। परिस्थितियों के आधार पर, वे रिपोर्ट करने के लिये किसी दुभाषिए या विशेष शिक्षाविद् की सहायता का भी अनुरोध कर सकते हैं।
सूचित करना
गिरफ्तारी के 12 घंटों के भीतर, पुलिस अधिकारी को इसके बारे में पुलिस नियंत्रण कक्ष (पुलिस कंट्रोल रूम) को सूचित करना होगा:
- आपकी गिरफ्तारी के बारे में
- वह जगह जहां आपको हिरासत में रक्खा जा रहा है।
छान-बीन करना
जांच के दौरान पुलिस केस की छान-बीन करेगी और इसकी एक केस डायरी बनाएगी। केस डायरी एक अधिकारी द्वारा रखी गई दैनिक डायरी है जो जांच में होने वाली सभी घटनाओं का विवरण देती है। पुलिस मजिस्ट्रेट को, केस डायरी की प्रविष्टियों (एंट्रीज़) की एक प्रतिलिपि देने की जरूरत होगी।
आरोप पत्र (चार्जशीट )
जांच के आधार पर पुलिस फिर एक आरोप पत्र दायर करेगी। यदि आरोपी व्यक्ति पुलिस हिरासत में है तो, आरोप पत्र 90 दिनों के भीतर ही दायर कर दिया जाना चाहिए।
अगर आप मोटर वाहन को तेज गति से या इस तरह चलाते हैं, जो जनता के लिए खतरनाक है, या जो कार चलाने वालों, अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं और सड़क के पास के लोगों के लिए खतरे या परेशानी का कारण बनता है, तो इसे खतरनाक ड्राइविंग माना जाता है। नीचे सूचीबद्ध खतरनाक ड्राइविंग के कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
• लाल बत्ती तोड़ना
• स्टॉप साइन (रुकने के साइन) का उल्लंघन करना।
• वाहन चलाते समय मोबाइल फोन जैसे किसी भी संचार उपकरण का उपयोग करना।
• अन्य वाहनों को अवैध रूप से पास करना या ओवरटेक करना।
• यातायात के प्रवाह के विपरीत गाड़ी चलाना, जैसे गलत दिशा में गाड़ी चलाना।
अगर आप खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाते हैं, तो आपको छह महीने से लेकर एक साल तक की जेल या 1,000 से 5000 रुपये के बीच जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है। तीन साल के भीतर बाद के प्रत्येक अपराध के लिए, आपको 2 साल तक की जेल या 10,000 रुपये का जुर्माना, या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है। लागू जुर्माना राशि राज्यों में भिन्न हो सकती है।
नीचे दो राज्यों के लिए जुर्माने की राशि दी गई है:
राज्य |
अपराध की निरंतरता |
जुर्माना राशि (भारतीय रुपयों में) |
दिल्ली |
पहला अपराध |
1,000 – 5,000 |
बाद का अपराध |
10,000 |
कर्नाटक |
पहला अपराध |
1,000 – 5,000
(ड्राइविंग करते समय हैंडहेल्ड संचार उपकरणों के उपयोग के लिए जुर्माना शामिल नहीं है) |
कोई बाद का अपराध |
10,000 |