गर्भावस्था/गर्भपात/गर्भपात/नसबंदी/ ऑपरेशन का प्रमाण पत्र

मातृत्व लाभ का दावा करने के लिए गर्भावस्था, गर्भपात, ट्यूबेक्टमी ऑपरेशन का प्रमाण देना जरूरी है। इन प्रमाण से आप इस तथ्य को साबित कर सकती हैं कि आप गर्भवती हैं, आपका गर्भपात हुआ था, नसबंदी ऑपरेशन हुआ था या बताए गए कारणों से हुई बीमारी का सामना कर रही हैं।

आपका प्रणाम पत्र इनके द्वारा बना होना चाहिएः

  • पंजीकृत डाॅक्टर द्वारा
  • क्षेत्रीय अस्पताल या कोयला खान कल्याण संगठन के अधीन बनी डिस्पेंसरी के चिकित्सा अधिकारी द्वारा
  • खान बोर्ड का चिकित्सा अधिकारी द्वारा (जहां खदान स्थित है)

जन्म रजिस्टर के प्रमाण पत्र या एक पंजीकृत दाई द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र से भी ये साबित किया जा सकता है। इसके अलावा, एक पंजीकृत दाई द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र भी गर्भपात साबित करता है। वहीं मृत्यु रजिस्टर का प्रणाम पत्र से महिला की मृत्यु को साबित किया जा सकता है।

नियोक्ता के खिलाफ शिकायत

अगर आपके नियोक्ता ने आपको कोई भुगतान या मातृत्व लाभ नहीं दिया है या मातृत्व छुट्टी की वजह से आपको काम से निकाल दिया है, तो आप इन अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं:

निरीक्षक (इंस्पेक्टर)
आप इंस्पेक्टर से शिकायत कर सकती हैं। इंस्पेक्टर खुद या शिकायत मिलने के बाद मामले पर जांच और आदेश भी दे सकता है। आमतौर पर, इस कानून के तहत नियुक्त इंस्पेक्टर श्रम क्षेत्रीय आयुक्त होते हैं। किन अधिकारियों को इंस्पेक्टर बनाया गया है, यहां से जानें। आप इंस्पेक्टर के फैसले पर लेबर कोर्ट में अपील कर सकती हैं। आपको उस तारीख से 30 दिनों के भीतर अपील दायर करनी है, जिस दिन आपको फैसले की जानकारी मिली थी। अगर आप अपील दायर नहीं करती हैं, तो निरीक्षक का फैसला आखिरी होगा। आप इसके लिए किसी वकील से सलाह का अनुरोध भी कर सकती हैं।

राष्ट्रीय और राज्य महिला आयोग राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू)
एक राष्ट्रीय स्तर का सरकारी संगठन है। एनसीडब्लू को महिलाओं को होने वाली समस्याओं से जुड़ी शिकायतों पर जांच करने का अधिकार है। एनसीडब्ल्यू इस तरह आपकी मदद कर सकता हैः

  • पुलिस द्वारा की जा रही जांच की निगरानी करने और जांच के काम में तेजी लाने में
  • दो पक्षों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श और सुनवाई जैसे काम करने में

आप हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कॉल करके या ncw@nic.in पर ईमेल भेजकर या ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकती हैं। इसके अलावा, आप अपने राज्य के राज्य महिला आयोग से भी संपर्क करके उनसे मदद मांग सकती हैं।

नर्सिंग ब्रेक या क्रेच जैसी सुविधाएं

नर्सिंग ब्रेक
अगर आप डिलीवरी के बाद काम पर लौटती हैं, तो आप हर दिन 15 मिनट के 2 ब्रेक ले सकती हैं। आप बच्चे की देखभाल कर सकती हैं और बच्चे के 15 महीने का होने तक ये नर्सिंग ब्रेक ले सकती हैं।

क्रेच सुविधा
50 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाली हर कम्पनी में क्रेच की सुविधा होनी चाहिए। इस कानून के अनुसार, आप एक दिन में 4 बार क्रेच में जा सकती हैं। आप 5-15 मिनट का एक्स्ट्रा समय ले सकती हैं। इसमें इन जगहों में आना -जाना भी शामिल हैः

  • क्रेच (एक ऐसी जगह जहां दिन के समय छोटे बच्चों की देखभाल की जाती है) या
  • कोई दूसरी जगह जहां बच्चों की देखभाल की जा रही हो।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने क्रेच बनाने और चलाने के लिए कुछ दिशानिर्देश दिए हैं, जिन का पालन करना जरूरी हैं। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि हर 30 बच्चों के लिए एक क्रेच होना चाहिए, जिसे 6 महीने से 6 साल की उम्र के बीच किसी भी कर्मचारी के बच्चे की देखभाल होनी चाहिए। क्रेच की जगह कार्यस्थल में या कार्यस्थल से 500 मीटर के अन्दर होनी चाहिए

महिला की मृत्यु होने पर मातृत्व लाभ

गर्भावस्था के कारण महिला की मृत्यु होने पर भी नियोक्ता का कर्तव्य है कि वह मातृत्व लाभ का भुगतान करें। अगर मातृत्व लाभ या पैसे लेने से पहले महिला की मृत्यु हो जाती है, तो नियोक्ता महिला के द्वारा दिए नोटिस में नामित व्यक्ति को पैसे का भुगतान करेगा। दिए जाने वाले पैसे इन बातों पर तय होंगेः

शर्त नियोक्ता का कर्त्तव्य
अगर किसी महिला की मृत्यु मातृत्व छुट्टी के दौरान हो जाती है तो नियोक्ता को मातृत्व लाभ शुरू होने से लेकर महिला की मृत्यु के दिन तक का भुगतान करना होगा
अगर महिला की डिलीवरी के समय या उसके बाद मृत्यु हो जाती है, लेकिन उसने अपने बच्चे को जन्म दिया है तो नियोक्ता उस पूरे समय के मातृत्व लाभ का भुगतान करेगा
अगर इस दौरान बच्चे की भी मृत्यु हो जाती है तो बच्चे की मृत्यु की तारीख तक के मातृत्व लाभ का भुगतान नियोक्ता को करना होगा

 

मातृत्व अवकाश (छुट्टी) के दौरान काम से निकालना?

मातृत्व छुट्टी के दौरान या मातृत्व छुट्टी के कारण आपका नियोक्ता आपको काम से नहीं निकाल सकता। नीचे बताई गई बातों का ध्यान रखेंः

  • मातृत्व छुट्टी के दौरान , आपका नियोक्ता आपके काम की शर्तों को आपको परेशान करने के लिए या आपको नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं बदल सकता है। जैसे- आपका नियोक्ता आप को नीची रैंक पर नहीं भेज सकता है, क्योंकि आपने मातृत्व छुट्टी ली थी।
  • अगर आपको गर्भावस्था के दौरान काम से निकाल दिया जाता है, तब भी आप मातृत्व लाभ या मेडिकल बोनस लेने की हकदार हैं।
  • गर्भावस्था के दौरान बिना मेहनत वाला काम करने और उसका अनुरोध करके के कारण कोई भी नियोक्ता आपके वेतन में कटौती नहीं कर सकता है। साथ ही, नर्सिंग ब्रेक लेने जैसे कारणों के लिए भी आपके वेतन में कटौती नहीं हो सकती है

बड़ी गड़बड़ी के मामलों में ही आपको काम से निकाला या आपके मातृत्व लाभ में कटौती की जा सकती है। बड़ी गड़बड़ी से मतलब नियोक्ता की संपत्ति को जानबूझकर खराब करना या उसके काम में बड़ी धोखाधड़ी करने, दूसरे कर्मचारियों पर हमला करने आदि से है।

मातृत्व लाभ कैसे लें?

आपकी डिलीवरी से पहले नियोक्ता को आपको मातृत्व लाभ देना होता है। इसके लिए, आपको नियोक्ता को मातृत्व लाभ के लिए आपके दावे को एक लिखित सूचना में देना होता है। नीचे दी गई जानकारी, लिखित सूचना में होनी चाहिएः

  • आपको यह बताना होगा कि मातृत्व लाभ का दावा करने की अवधि के दौरान आप किसी अन्य नियोक्ता के लिए काम नहीं करेंगे।
  • आप किसी दूसरे व्यक्ति को भी नामांकित कर सकती हैं जो आपकी ओर से भुगतान (पैसे) ले सकता है।
  • अगर आप गर्भवती हैं, तो सूचना में उस तारीख को बताना होगा जब से आप काम में नहीं रहेंगी। यह समय आपकी अपेक्षित डिलीवरी की तारीख से 6 हफ्ते पहले नहीं हो सकता है।
  • आपको प्रमाण (मेडिकल रिपोर्ट) देने होगा कि आप गर्भवती हैं।

डिलीवरी के बाद मातृत्व लाभ का दावा करना
आप डिलीवरी का प्रमाण देने के 48 घंटों के भीतर ही मातृत्व लाभ का दावा कर सकती हैं। अगर आपने गर्भवती होने पर नोटिस नहीं दिया है, तो आप डिलीवरी के बाद जल्द से जल्द ये नोटिस दे सकती हैं। नोटिस नहीं दिया है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप मातृत्व लाभ नहीं पा सकती है। आप इंस्पेक्टर को आवेदन दे सकती हैं और वह आदेश दे सकता है कि आपको भुगतान किया जाए।

काम पर वापसी
अगर आप अपने नियोक्ता द्वारा मातृत्व छुट्टी दिए जाने के बाद भी काम पर जाना जारी रखती हैं, तो आपको उस समय का मातृत्व लाभ छोड़ना होगा।

मातृत्व लाभ देने वाले कार्यस्थल
अगर आप नीचे दिए गए कार्यस्थलों में से किसी में काम करती हैं, तो मातृत्व लाभ अधिनियम आप पर लागू होगाः

  • सरकारी संस्थानों सहित कोई भी संस्थान जैसे कारखाना, खदान या बागान
  • घुड़सवारी, कलाबाजी और दूसरे प्रदर्शनों की प्रदर्शनी के लिए लोगों को रोजगार देने वाले संस्थान
  • 10 या उससे ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाली दुकानें या संस्थान, जो राज्य के कानूनों के अन्दर आते हैं
  • दूसरे संस्थान या संस्थानों की यूनिट, औद्योगिक, वाणिज्यिक, कृषि इकाइयां आदि जिन्हें राज्य अधिसूचित कर सकता है

हालांकि, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के तहत आने वाले सभी कार्यस्थलों को इस कानून के तहत दिए गए मातृत्व लाभों को देना होता है। इस बारे में और पढ़ें।

घर से काम करना (वर्क फ्रॉम होम)
मातृत्व छुट्टी खत्म होने पर, अगर आपका काम घर से हो सकता हैं, तो आप अपने नियोक्ता से घर से काम करने की अनुमति मांग सकती हैं। यह आपके और आपके नियोक्ता द्वारा घर से काम करने की शर्तों पर आपसी सहमती पर आधारित होगा।

नियोक्ताओं की जिम्मेदारी

सरकार या स्थानीय प्राधिकरण के नियंत्रण वाले संगठनों में, नियोक्ता उस संगठन के कर्मचारियों की देखरेख और नियंत्रण के लिए सरकार या स्थानीय अधिकारियों द्वारा नियुक्त व्यक्ति होते हैं। इन नियोक्ताओं का संगठनों पर आखिरी नियंत्रण होता है। धारा 3(डी), मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के अनुसार, अगर किसी को नियोक्ता नियुक्त नहीं किया जाता है, तो विभाग के प्रमुख या स्थानीय प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को नियोक्ता माना जाएगा। दूसरे सभी मामलों (जैसे निजी संचालित संगठन) में, मैनेजर, मैनिजिंग डायरेक्टर या कोई ऐसा व्यक्ति जिसका संगठन के मामलों पर आखिरी नियंत्रण हो, इन को भी नियोक्ता माना जाता है।

नियोक्ता के काम

नियोक्ता के काम नीचे दिए गए हैंः

  • महिला कर्मचारी को नौकरी में रखते ही नियोक्ताओं को मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत और संगठन के अन्दर उपलब्ध हर मातृत्व लाभ के बारे में बताना होता है।
  • नियोक्ता जानबूझकर किसी महिला को उसके प्रसव, गर्भपात की तारीख से 6 हफ्ते के दौरान काम पर नहीं रख सकता है
  • मातृत्व छुट्टी महिला की डिलीवरी की तारीख से 6 हफ्ते पहले शुरू होती है। हालांकि, अगर वह चाहे, तो यह 6 हफ्ते से एक महीने पहले से भी शुरू करवा सकती है। गर्भावास्था के दौरान, नियोक्ता उसे भारी काम नहीं दे सकता है, जो उसकी सेहत पर बुरा प्रभाव डाले।
  • नियोक्ता मातृत्व छुट्टी के दौरान, महिलाओं को नौकरी से निकाल नहीं सकते हैं।
  • नियोक्ता मातृत्व लाभ की योग्य महिला को भुगतान करने से मना नहीं कर सकता है।

नियोक्ताओं के लिए दंड (सजा)

बर्खास्तगी या मातृत्व लाभ न देने पर
अगर कोई नियोक्ता आपको मातृत्व लाभ का भुगतान नहीं करता है या मातृत्व छुट्टी के दौरान आपको काम से निकाल देता है, तो उस नियोक्ता को एक साल की जेल और पांच हजार रुपये तक के जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है।

दूसरी तरह के उल्लंघन के लिए सजा
अगर कोई नियोक्ता मातृत्व लाभ अधिनियम का उल्लंघन करता है, तो उसे एक साल तक की कैद या पांच हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है।

निरीक्षक (इंस्पेक्टर) के काम में बाधा डालने पर
अगर कोई नियोक्ता या कोई दूसरा व्यक्ति इंस्पेक्टर को उसका काम करने से रोकता है, तो उसे एक साल तक की कैद, या पांच हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है। अगर आपको लाभ लेने में या इसे जुड़ी कोई दूसरी परेशानी हो रही है, तो आपको शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। इस बारे में और पढ़ें।

मातृत्व अवकाश (छुट्टी) के दौरान वेतन

नियोक्ता को महिलाओं को उस समय के लिए वेतन देना होता है, जिस समय वे अपनी गर्भावस्था के कारण काम पर नहीं आ पाती हैं। इसे ही मातृत्व लाभ कहते हैं।

  • एक नियोक्ता को महिला की डिलीवरी के दिन से लेकर छह हफ्ते बाद तक के समय के लिए भुगतान करना होगा। इस अवधि में डिलीवरी का दिन भी शामिल है।
  • हालांकि, आप मातृत्व लाभ को तभी ले सकती हैं, जब आपने नियोक्ता के लिए डिलीवरी से पहले पिछले 12 महीनों में कम से कम 80 दिनों के लिए काम किया हो

भुगतान राशि/औसत मजदूरी (वेतन) की गणना करना
गर्भावस्था के दौरान, नियोक्ताओं को एक महिला को रोज के वेतन के रूप में मातृत्व लाभ का भुगतान करना होता है। औसत रोज के वेतन की गणना आपकी गर्भावस्था छुट्टी शुरू करने की तारीख से 3 महीने पहले के महिला के औसत वेतन पर होती है। मजदूरी (वेतन) की गणना करते समय इन बातों को ध्यान में रखना होता है।

गर्भावस्था की छुट्टी से पहले 3 महीने में एक महिला ने कितने दिनों तक काम किया है। इसकी गणना के लिए, नियोक्ता उन दिनों पर भी विचार करेगा, जब महिला को नौकरी से निकाल दिया गया था या वह सवैतनिक छुट्टी पर थी। अगर ऊपर बताई गई गणना नहीं हो पा रही है, तो मजदूरी की राशि 10 रुपये हर दिन मानी जाती है। गणना संभव होने पर भी दोनों में से ज्यादा पैसे महिला को दिए जाते हैं।

मेडिकल बोनस
अगर आपने अपनी डिलीवरी से पहले छुट्टी नहीं ली और आपका नियोक्ता मुफ्त प्रसवोत्तर देखभाल नहीं देता है, तो आप अपने नियोक्ता से 1000 रुपये का मेडिकल बोनस पाने की हकदार हैं ।

मातृत्व अवकाश (छुट्टी) क्या है?

बच्चा होने के बाद आप काम से छुट्टी लेने की हकदार हैं। हालांकि, यह हक कुछ परिस्थितियों के आधार पर अलग हो सकता हैः

जैसे-

  • अगर आप पहली बार गर्भवती हैं या आपका पहले से एक बच्चा है
    अगर आप पहली बार गर्भवती हैं या आपका पहले से ही एक बच्चा है, तो आप 26 हफ्ते की छुट्टी का दावा कर सकती हैं। हालांकि, आप अपेक्षित डिलीवरी की तारीख से पहले 8 हफ्ते से ज्यादा की छुट्टी नहीं ले सकती हैं।
  • अगर आपके पहले से ही 2 बच्चे हैं
    अगर आपके 2 या उसे ज्यादा बच्चे (जीवित) हैं, तो आप 12 हफ्ते की छुट्टी ले सकती हैं। जैसे- अगर किसी महिला के पहले से ही 2 बच्चे हैं और वह तीसरी बार गर्भवती है, तो वह 12 हफ्ते की छुट्टी ले सकती है। हालांकि, वह डिलीवरी से पहले सिर्फ 6 हफ्ते तक ही छुट्टी ले सकती हैं।
  • बच्चे को गोद लेना/कमीशनिंग माँ
    कानूनी रूप से तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेने वाली माँ या कमीशनिंग माँ मातृत्व छुट्टी की हकदार है। इस छुट्टी का समय गोद लेने वाली माँ या कमीशनिंग माँ को बच्चे को सौंपे जाने की तारीख से 12 हफ्ते का है। प्रसव यानि डिलीवरी के बाद माँ के स्वास्थ्य से जुड़ी छुट्टी के अलावा, एक कमीशनिंग माँ बच्चे के जन्म के बाद एक महिला कर्मचारी को मिलने वाले सभी लाभों को पाने की हकदार होती है।

अगर आप गर्भावस्था, प्रसव, बच्चे के समय से पहले जन्म, गर्भपात या नसबंदी ऑपरेशन से हुई बीमारी से पीड़ित हैं, तो आप मातृत्व लाभ के साथ एक और महीने की सवैतनिक छुट्टी की हकदार होंगी। इसके लिए (धारा 10, द मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट, 1961) आपको बीमारी का प्रमाण देना होगा।

मातृत्व लाभ कौन मांग सकता है?

सार्वजनिक क्षेत्र या सरकारी कर्मचारियों को कुछ निश्चित पितृत्व छुट्टी का लाभ भी मिलता है। 2 से कम जीवित बच्चों वाले पुरुष कर्मचारियों को अपने नवजात/गोद लिए बच्चे की देखभाल के लिए 15 दिनों की छुट्टी मिलती है।

आप मातृत्व लाभ ले सकती हैं,अगर आप:

  • पहली बार गर्भवती हो
  • दूसरी या तीसरी बार गर्भवती हो
  • 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लिया हो
  • सरोगेट के माध्यम से बच्चा पैदा किया हो
  • गर्भपात (मिसकैरेज या अबॉर्शन) या ट्यूबेक्टॉमी ऑपरेशन से उबर रही हो

आप इस दौरान सवैतनिक छुट्टी लेकर मातृत्व लाभ का आनंद ले सकती हैं, अगर आपने अपनी डिलीवरी से पहले के 12 महीनों में अपने नियोक्ता के लिए कम से कम 80 दिनों तक काम किया हो। यह सभी गर्भवती महिलाओं पर लागू होता है। लेकिन, यह नियम उन महिलाओं पर लागू नहीं होगा जो असम राज्य में आकर बस गई है और प्रवास के समय गर्भवती थी।

इस कानून के तहत, केवल महिलाओं को ही मातृत्व लाभ मिलता है। पुरुष और वे व्यक्ति जो खुद को अन्य लिंग के साथ पहचानते हैं उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता है। हालांकि, आप अपनी कम्पनी के अन्दर की नीति देख सकते हैं, क्योंकि वह आपको लिंग तटस्थ गर्भावस्था छुट्टी या पितृत्व छुट्टी का लाभ दे सकते हैं।

रोजगार के प्रकार:

नियमित (रेगुलर) कर्मचारी
मातृत्व लाभ सभी स्थायी, अस्थायी और संविदा कर्मचारियों को दिया जाता है, इसलिए किसी भी कर्मचारी को इस लाभ से रोकना या ना देना कानून के खिलाफ है।

कैजुअल/मस्टर रोल कर्मचारी
न्यायालयों ने माना है कि कैजुअल या मस्टर रोल के आधार पर नियुक्त महिला कर्मचारी जो दैनिक वेतन पर हैं, वे भी नियमित कर्मचारियों की तरह मातृत्व छुट्टी पाने की हकदार हैं।

संविदा (कंट्रक्चुअल) कर्मचारी
संविदा कर्मचारियों (यानि कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी) को भी मातृत्व छुट्टी का लाभ दिया जाता है। सभी महिला संविदा कर्मचारी 26 हफ्ते की मातृत्व छुट्टी की हकदार हैं। हालांकि, एक महिला कॉन्ट्रैक्ट की समयसीमा के बाद मातृत्व लाभ का फायदा नहीं ले सकती है।