मतदान के दिन से पहले 48 घंटे (2 दिन) के समय में, चुनाव से जुड़े सभी तरह के प्रचार बंद हो जाते हैं – इसे मौन काल भी कहा जाता है। यह कानून विधानसभा और लोकसभा दोनों तरह के चुनावों पर लागू होता है।
कोई भी – चाहे वह आम आदमी, पत्रकार, उम्मीदवार, चुनाव एजेंट, फिल्म अभिनेता, थिएटर कलाकार आदि हो – चुनाव संबंधी कोई भी प्रचार नहीं कर सकता।
मतदान से 48 घंटे पहले निम्नलिखित की अनुमति नहीं है:
अगर कोई भी राजनीतिक पार्टी या उसके सदस्य या उम्मीदवार इस मौन काल में ऊपर बताए गए, किसी भी काम को करते हैं, तो उन्हें 2 साल तक की जेल या जुर्माने की सजा हो सकती है।
यह कानून ऐसी किसी भी चुनाव का प्रचार करने वाली जनसभा पर रोक लगता है, जो नीचे बताई गई हैंः
- संगीत कार्यक्रम
- नाट्य प्रदर्शन
- जुलूस
- मनोरंजन के दूसरे तरीके
कोई भी व्यक्ति मतदान की तारीख से 48 घंटे पहले चुनाव से जुड़ी किसी भी जनसभा को बुला या करवा नहीं कर सकता है। साथ ही, इस तरह की जनसभाओं में शामिल और इन्हें संबोधित भी नहीं कर सकता है।
उदाहरण के लिए:
- कोई भी उम्मीदवार मतदान से 48 घंटे पहले लोगों को इकट्ठा नहीं कर सकते हैं और खुद के लिए वोट भी नहीं मांग सकते हैं।
- कोई भी नाटक या थिएटर ग्रुप मतदान के दिन किसी राजनीतिक दल की उपलब्धियों (किए गए कामों का) का प्रचार पर नाटक नहीं कर सकती है।
अगर कोई व्यक्ति या उम्मीदवार ऐसा करता है, तो उस व्यक्ति को 2 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
चुनाव पर असर डालने के इरादे से किसी उम्मीदवार का समर्थन या आलोचना करने वाले विज्ञापन या कार्यक्रम या रिपोर्ट को टेलीविजन और रेडियो पर नहीं चला सकते हैं। अगर कोई राजनीतिक दल कुछ ऐसा करता है, जो किसी भी तरह से जनता पर असर नहीं डालता है, तो उस बारे में टीवी पर दिखा और रेडियो पर सुना सकते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर टेलीविजन पर कोई राजनीतिक नेता दूसरे पार्टी के उम्मीदवार का अपमान करते हुए दिखाया जाता है, तो ऐसी चीजों को मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (MCMC) टेलीविजन से हटा देती है।
निर्वाचन क्षेत्र के बाहर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर लाइव कवरेज
अगर मतदान होने वाले निर्वाचन क्षेत्र के बाहर कोई राजनीतिक कार्यक्रम करता है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर लाइव दिखाया जा रहा है तो यह लाइव कवरेज अवैध यानी गलत नहीं है। मगर शर्त यह है कि यह एक आम चर्चा हो, ना कि किसी ऐसे निर्वाचन क्षेत्र या ऐसे उम्मीदवार से जुड़ा, जो 48 घंटे के समय में चुनाव लड़ रहा हो।
अगर निर्वाचन क्षेत्र के अन्दर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टीवी, इंटरनेट, रेडियो) पर ऐसा कोई लाइव प्रोग्राम दिखाया जाता है, तो कार्यक्रम दिखाने वाले उम्मीदवार या पार्टी के नेता को जेल या जुर्माना या दोनों की सजा मिल सकती है।
चुनाव से 48 घंटे पहले शराब पर रोक होती है। आप इसे ड्राई डे भी कह सकते हैं, क्योंकि इस समय पर शराब की बिक्री पर रोक होती है। ऐसा मतदाताओं को रिश्वत देने से रोकने के लिए किया जाता है। मतदान की तारीख से 48 घंटे पहले शराब की सभी दुकानें बंद होनी चाहिए। राज्य प्रशासन की यह जिम्मेदारी हैं कि पड़ोस के निर्वाचन क्षेत्रों की शराब की दुकानें भी बंद हों।
चुनाव से 48 घंटे पहले सभा और इंटरव्यू करना मना है। मतदान से 48 घंटे पहले, उम्मीदवार और राजनीतिक दलों का प्रेस कॉन्फ्रेंस और इंटरव्यू में चुनावी मामलों पर मीडिया को कुछ बताना मना है।
मौन काल यानी मतदान की तारीख से 48 घंटे पहले लाउडस्पीकरों पर प्रचार करना मना है।
लाउडस्पीकरों को किसी वाहन, मकान या बिल्डिंग पर नहीं लगा सकते हैं और अगर कोई ऐसा करता है तो यह आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन है। 48 घंटे पूरे होने के बाद इन्हें फिर से इस्तेमाल करने के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।