विवाह अधिकारी वह व्यक्ति होता है, जिसे राज्य सरकार द्वारा सरकारी राजपत्र में अधिसूचना देने के बाद नियुक्त किया जाता है। विवाह अधिकारी का मुख्य कर्तव्य पंजीकरण की सुविधा और पार्टियों को विवाह का प्रमाण पत्र प्रदान करना है।
विवाह अधिकारी वह व्यक्ति होता है, जिसे राज्य सरकार द्वारा सरकारी राजपत्र में अधिसूचना देने के बाद नियुक्त किया जाता है। विवाह अधिकारी का मुख्य कर्तव्य पंजीकरण की सुविधा और पार्टियों को विवाह का प्रमाण पत्र प्रदान करना है।
सुभावन चौधरी
January 4, 2023
1-अन्य रूप से संपन्न विवाह क्या होता है
2-विवाह अधिकारी कौन होता है
3-विवाह प्रमाण पत्र जिले में जिलाधिकारी के यह से प्राप्त होता है।
4-कैसे पता करें कि प्रमाण पत्र सही है या गलत है।
Alka Manral
June 20, 2024
ANSWER: “1- अन्य रूप से संपन्न विवाह उन विवाहों को कहते हैं जिन्हें धार्मिक, कानूनी या सामाजिक कारणों से सामान्य विवाह के नियमों के तहत नहीं माना जाता है। इसमें विवाह सम्पन्न करने के लिए विवाहयोग्य अभियोजकों के बीच किया जाने वाला संपन्न करने को एक संविधानिक और कानूनी प्रक्रिया शामिल हो सकता है। इसमें प्रमुख संदर्भ जोड़द का विवाह अपराध अधिनियम, 1955 है, जो मूल रूप से धार्मिक, वैधिक एवं अनधिकृत विवाहों के प्रति संलग्न विवाह के मामलों को व्यवस्थित करता है। इसी तरह, शादी कनून एवं तलाक के बारे में संस्था (हिन्दू विवाह्यादिकार अधिनियम) विधेयक, 1955 है जो हिन्दू, बौद्ध, जैन एवं सिख विवाहों के बारे में कानून निर्धारित करता है।
2- विवाह अधिकारी कानूनी रूप से प्रमाणित व्यक्ति होता है जो विवाह के संबंध में सक्षम होता है, आवश्यक प्रमाणित दस्तावेज और तार्किक साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है और अश्लीलता या बहुविवाह के विरुद्ध कार्यवाही कर सकता है।
3- विवाह प्रमाण पत्र जिले में जिलाधिकारी के यहाँ से प्राप्त होता है। जिलाधिकारी अधिनियम, 1884 के तहत जिलाधिकारी शहर के खातेब के निर्धारित प्रमाण पत्रों को जारी कर सकते हैं, जिन्हें विवाह प्रमाण पत्र भी सम्मिलित हो सकते हैं।
4- प्रमाण पत्र सही है या गलत है यह जानने के लिए, आपको इसे मोजूदा कानूनी प्रावधानों के आधार पर जांचना होगा। यदि विवाह प्रमाण पत्र शहर के जिलाधिकारी या उसके न्यायालय के द्वारा जारी किया गया है, तो उसे सही और मान्य माना जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, आपको भारतीय हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 या अन्य संबंधित प्रावधानों के तहत विवाह प्रमाण पत्र की जाँच करने की आवश्यकता हो सकती है। सही और गलत के बारे में निर्णय उच्चतम न्यायालय के माध्यम से किया जा सकता है जहां प्रमाण पत्र के वैधता या मान्यता के बारे में निर्णय लिया जा सकता है।”