उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के लिए किसी व्यक्ति या संस्था को दंडित करने की शक्ति केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के पास होती है। यह दंड विभिन्न तरीकों से तय किया जाता है जैसे जुर्माना, दोषपूर्ण सामान वापस लेना, ऐसी वस्तुओं/सेवाओं की प्रतिपूर्ति, या अनुचित व्यापार प्रथाओं को बंद करना।
झूठे या भ्रामक विज्ञापनों के लिए दंड
निर्माता, विज्ञापनदाता या समर्थनकर्ता झूठे या भ्रामक विज्ञापनों के लिए उत्तरदायी होते हैं। हालांकि, इन मामलों में पैरोकार का दायित्व तभी बनता है जब उन्होंने इस तरह के विज्ञापन का समर्थन करने से पहले अपना शोध न किया हो। सज़ा इस प्रकार तय होती है-
• पहले अपराध के लिए – जुर्माना जो रु.10 लाख तक और 2 साल तक की जेल हो सकती है।
• हर दोहराये जाने वाले अपराध के लिए-जुर्माना जो रु.50 लाख तक हो सकता है और 5 साल तक की जेल हो सकती है।
• केंद्रीय प्राधिकरण उन्हें 1 साल तक के लिए किसी भी उत्पाद का विज्ञापन करने से भी रोक सकता है। बाद के अपराधों के मामले में, इसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
• केंद्रीय प्राधिकरण के इन निर्देशों का पालन न किये जाने की सूरत में 6 महीने तक की जेल या 20 लाख.रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
मिलावटी उत्पादों की बिक्री के लिए दंड
मिलावटी खाद्य-पदार्थों की बिक्री, आयात, भंडारण या वितरण में शामिल निर्माता या खुदरा विक्रेता की कोई भी व्यापार दंडनीय है। ऐसे में निम्नलिखित दंड लागू होते हैं-
• जब उपभोक्ता को कोई हानि न पहुंचे, जैसे किसी तरह का दर्द या मौत, 6 महीने तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
• जब चोट उपभोक्ता को गंभीर चोट न लगी हो, तो 1 साल तक की जेल और 3 लाख रुपये तक जुर्माने का दंड दिया जा सकता है।
• उपभोक्ता को गंभीर चोट लगने के मामले में 7 साल तक की जेल और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने की सज़ा मिल सकती है।
• मिलावट के कारण उपभोक्ता की मृत्यु हो जाने पर तो कम से कम 7 साल की जेल और यहां तक कि आजीवन कारावास, तथा कम से कम 10 लाख रुपये तक के जुर्माना का दंड दिया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, पहला अपराध होने पर उपभोक्ता प्राधिकरण, निर्माता के लाइसेंस को 2 साल तक के लिए निलंबित कर सकता है। अपराध की पुनरावृत्ति पर ऐसे निर्माता के लाइसेंस को पूरी तरह से रद्द भी किया सकता है।
नकली माल की बिक्री के लिए दंड
नकली सामान वे होते हैं जिन पर झूठा दावा किया जाता है कि वे असली हैं या फिर वे असल, मूल सामान की अनुकृति होते हैं। ये अक्सर निम्न गुणवत्ता वाले होते हैं और मूल सामान के कानूनी मालिकों के ट्रेडमार्क व कॉपीराइट का उल्लंघन करते हैं। एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्थानीय बाज़ारों में मिलने वाली दवाओं या सस्ते मेकअप उत्पादों का है। इन सामानों की बिक्री, आयात, भंडारण या वितरण में शामिल निर्माता का कोई भी कृत्य निम्नानुसार दंडनीय है-
क. यदि उपभोक्ता को गंभीर नुकसान नहीं होता है, तो 1 साल तक की जेल और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
ख. जब इस तरह के नकली सामान से उपभोक्ता को गंभीर नुकसान होता है, तो निर्माता को 7 साल तक की जेल और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने की सज़ा मिल सकती है।
ग. जब खरीदे गये उत्पाद से उपभोक्ता की मृत्यु हो जाती है, तो न्यूनतम 7 वर्ष की जेल से लेकर आजीवन कारावास तक और न्यूनतम 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।