अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ मौलिक अधिकार

आखिरी अपडेट Jul 12, 2022

अगर आपको पता है कि किसी व्यक्ति को, पुलिस या किसी प्राधिकारी ने हवालात में रक्खा है, या गिरफ्तार किया है लेकिन कोई कारण नहीं बता रहा है, तो ऐसे मामलों में, गिरफ्तार व्यक्ति या उसका कोई रिश्तेदार, भारत के किसी भी उच्च न्यायालय में या सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, बंदी प्रत्यक्षीकरण (ह्बीस कॉर्पस) याचिका दायर कर सकता है।

भारत का संविधान हर किसी को न्यायालय से यह निवेदन करने का मौलिक अधिकार देता है कि न्यायालय, गिरफ्तार करने वाले प्राधिकारी को, गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को पेश करने के लिये आदेश करे, और यह भी जाँच करे कि क्या यह गिरफ्तारी वैध है।

इस मौलिक अधिकार का उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और उसे एक ‘हवालात प्राधिकारी’ (डीटेनिंग ऑथोरिटी) की हिरासत में रक्खे रहता है:

  1. बिना गिरफ्तारी के कारणों के बारे में सूचित किए; या
  2. अपनी पसंद के कानूनी व्यवसायिक द्वारा बचाव किये जाने के अधिकार से वंचित कर दिया है।

यह मौलिक अधिकार अत्यंत ही व्यापक है। कब बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर किया जा सकता है इसे अधिक समझने के लिए कृपया किसी कानूनी व्यवसायी से बात करें।

Comments

    सुनिल कुमार

    March 3, 2024

    मेरा तलाक का केस चल रहा है और मुझेलग रहा है कि मैं निर्दोष हु लेकिन सेना से मेरी यूनिट तारीख पर जाने के लिए मुझे छुट्टी नही दे रहे है।
    और कोर्ट ने मुझे अभी ex पार्टी भी बना दिया है और अभी भी छुट्टी नहीं दे रहे है
    इस कारण मैं तलाक और दहेज के झूठे केस में दोषी साबित हो रहा हुं और मेरा परिवार और जिंदगी बरबाद हो रही है।
    मैंने सभी अधिकारियों से प्रार्थना की है लेकिन कोई नहीं मान रहा है।

    क्या मुझे तारीख पर जाने का अधिकार है या नहीं ???

    क्या मुझे तारीख पर जाने का अधिकार है या नही
    अगर है तो किस प्रावधान के तहत मैं तारीख पर जा सकता हूं।

    Pls reply

    Alka Manral

    June 4, 2024

    अगर आपका तलाक केस चल रहा है और सेना से अपनी यूनिट की तारीख पर जाने की छुट्टी नहीं मिल रही है, तो आपको यहाँ का अधिकार है कि आप उस दिन जाएं। सेना के नियमों और कानून के तहत, आपको कानूनी सहायता लेनी चाहिए ताकि आपको इस मामले में सही दिशा में मदद मिल सके। अगर सेना या किसी अन्य अधिकारी ने आपके अधिकारों को अनदेखा किया है, तो आपकी छुट्टी का मामला न्यायालय में उठाया जा सकता है।

    Rajan Kumar

    June 19, 2025

    मुझे दिल्ली पुलिस अफसर ने मेरे घर मे घुस कर जबरन उठा लिया था बन्दुक के जोर पर और बिना मुकदमा के अवैध गिरफ़्तारी कर ले जाया गया था 8 घंटे बाद मुकदमा दर्ज़ किया गया और अरेस्ट मेमो अवैध गिरफ्तारी के समय नहीं बनाया गया गिरफ्तार कर ले जाने वाला अफसर सिविल ड्रेस मे बिना नेम्पलेट के था मुझे मेरे वकील से नहीं मिलने दिया था मुझे गिरफ़्तारी का कारण भी नहीं बताया था मेरे तमाम मौलिक आधिकारों का हनन हुआ था मुआवजा कैसे प्राप्त करें

    Sikha

    July 28, 2025

    आपके साथ जो घटना हुई है, वह गंभीर रूप से अवैध, असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। आपने जो तथ्य बताए हैं — जैसे कि बिना वारंट गिरफ़्तारी, बिना अरेस्ट मेमो, बिना सूचना दिए वकील से मिलने का अधिकार छीना गया, सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी बिना पहचान के — ये सभी न केवल भारतीय संविधान बल्कि Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS) 2023 के स्पष्ट प्रावधानों का उल्लंघन है।
    आपके अधिकारों का उल्लंघन कैसे हुआ (कानूनी आधार पर):
    उल्लंघन कानूनी प्रावधान टूटे हुए अधिकार
    बिना गिरफ्तारी ज्ञापन BNSS 2023, Section 38 अरेस्ट मेमो देना अनिवार्य है
    वकील से नहीं मिलने दिया संविधान का अनुच्छेद 22(1) वकील से तुरंत मिलने का अधिकार
    गिरफ्तारी का कारण नहीं बताया गया BNSS 2023, Section 37(2) गिरफ्तारी का कारण बताना आवश्यक है
    सिविल ड्रेस में गिरफ्तारी, बिना पहचान Supreme Court: DK Basu v. State of West Bengal पुलिस को पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य है
    बिना FIR के गिरफ्तारी BNSS & Constitutional Law गैर-जमानती/संज्ञेय अपराध को छोड़कर गिरफ्तारी गैरकानूनी

    अब आप क्या कर सकते हैं – Step-by-Step मार्गदर्शन:
    1. मानवाधिकार आयोग (NHRC) में शिकायत दर्ज करें
    राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में आप ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं:
    🔗 https://nhrc.nic.in/complaints
    आपके केस में पुलिस की गंभीर मनमानी और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, इसलिए NHRC आपको मुआवज़ा दिलवाने की सिफारिश कर सकती है।

    2. दिल्ली हाईकोर्ट में रिट याचिका (Writ Petition) दायर करें
    आप दिल्ली हाईकोर्ट में “हबियस कॉर्पस” या “रिट ऑफ कंपन्सेशन” के तहत याचिका दायर कर सकते हैं:
    📌 याचिका में मांगें:
    • अवैध गिरफ्तारी के लिए पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई
    • मुआवज़ा (₹1 लाख से ₹10 लाख तक, केस के अनुसार)
    • गिरफ्तारी रिकॉर्ड से नाम हटाने की मांग (अगर गलत केस था)
    आधार:
    • DK Basu v. State of West Bengal, AIR 1997 SC 610
    • Rudul Sah v. State of Bihar, 1983 AIR 1086 – सुप्रीम कोर्ट ने अवैध गिरफ्तारी के लिए मुआवज़ा देने का आदेश दिया था।

    3. पुलिस विभाग में शिकायत (CP Delhi) करें:
    • दिल्ली पुलिस की विजिलेंस विंग में लिखित शिकायत दें।
    https://delhipolice.gov.in पर ऑनलाइन भी कर सकते हैं।
    4. RTI डालें (Records के लिए):
    • RTI के ज़रिए मांगे:
    o गिरफ़्तारी का रिकॉर्ड
    o FIR की कॉपी
    o Arrest memo
    o CCTV footage (जहां से उठाया गया)

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जब आपको गिरफ्तार किया जा रहा है, तो इससे पहले कि आप हिरासत में ले लिये जाएं, आप एक व्यक्ति (दोस्त या परिवार के सदस्य) को चुन सकते हैं जिन्हें, आपकी गिरफ्तारी की खबर पुलिस को देनी होगी।

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए LGBTQ+ व्यक्ति

जब पुलिस अधिकारी आपको किसी अपराध या किसी अपराध के संदेह के आधार पर गिरफ्तार करना चाहते हैं, तो वे आपके स्थान पर आ सकते हैं, और आपको गिरफ्तार कर सकते हैं।
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