एक बार जब आपने अपराध की सूचना एफआइआर दर्ज करके दे दी, तो इसके बाद प्रभारी अधिकारी को यह रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को भेजनी होगी, जो बिना किसी अनावश्यक देरी के मामले पर ध्यान देंगे और जांच को आगे बढ़ाएंगे। यह अनिवार्य कदम है जिसका पालन पुलिस को करना होगा, क्योंकि इसके चलते मजिस्ट्रेट को जांच अपने नियंत्रण में लेने की अनुमति मिलती है और यदि आवश्यक हो तो वे इसपर पुलिस को उचित दिशा-निर्देश देते हैं।
पुलिस मामले के तथ्यों और स्थितियों की जांच करेगी, और यदि आवश्यक पड़ी तो अपराध करने वाले व्यक्ति की पहचान करके उसे गिरफ्तार करने की कोशिश करेगी।
यदि पुलिस अधिकारी को लगता है कि मामला गंभीर प्रकृति का नहीं है तो वह जांच करने के लिए एक अधीनस्थ अधिकारी को निर्धारित कर सकता है। साथ ही यदि उन्हें ऐसा लगता है कि आगे जांच के लिए पर्याप्त आधार नहीं हैं तो वे कुछ भी नहीं करेंगे।
जब पुलिस जांच की कार्रवाई पूरी कर लेती है और उसे आपराधिक मामला को आगे बढ़ाने के लिये पर्याप्त सबूत मिल जाते हैं तो वे आरोप पत्र दाखिल करते हैं। यदि जांच के बाद उन्हें उस अपराध को साबित करने का कुछ नहीं मिलता है तो वे मजिस्ट्रेट के समक्ष ‘समापन (क्लोज़र) रिपोर्ट’ दाखिल कर, मामले को बंद करने का सुझाव देंगे।
आरोप पत्र का दाखिल होने के साथ ही किसी आपराधिक मुकदमें की शुरूआत होती है। पुलिस के पास आरोप पत्र या समापन रिपोर्ट दाखिल करने के लिये कोई समय सीमा नहीं होती है। यहां तक कि मजिस्ट्रेट भी किसी विशेष अवधि के अंदर आरोप पत्र दाखिल करने के लिए पुलिस को बाध्य नहीं कर सकता है। लेकिन यदि कोई अभियुक्त जेल में है तो उसके पास आरोप पत्र दाखिल करने के लिए या तो 60 दिन (जहां अपराध की सजा 10 साल से कम हो), या 90 दिन (जहां अपराध की सजा 10 साल से अधिक हो) का समय है।
Rajeev
July 6, 2024
Sir mere ex partee div ho chuka h ab court me 498a 406 34 354 a ka case chal rha
Rah kya divorce se dusri Sadi kr skte h