सार्वजनिक क्षेत्र या सरकारी कर्मचारियों को कुछ निश्चित पितृत्व छुट्टी का लाभ भी मिलता है। 2 से कम जीवित बच्चों वाले पुरुष कर्मचारियों को अपने नवजात/गोद लिए बच्चे की देखभाल के लिए 15 दिनों की छुट्टी मिलती है।
आप मातृत्व लाभ ले सकती हैं,अगर आप:
- पहली बार गर्भवती हो
- दूसरी या तीसरी बार गर्भवती हो
- 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लिया हो
- सरोगेट के माध्यम से बच्चा पैदा किया हो
- गर्भपात (मिसकैरेज या अबॉर्शन) या ट्यूबेक्टॉमी ऑपरेशन से उबर रही हो
आप इस दौरान सवैतनिक छुट्टी लेकर मातृत्व लाभ का आनंद ले सकती हैं, अगर आपने अपनी डिलीवरी से पहले के 12 महीनों में अपने नियोक्ता के लिए कम से कम 80 दिनों तक काम किया हो। यह सभी गर्भवती महिलाओं पर लागू होता है। लेकिन, यह नियम उन महिलाओं पर लागू नहीं होगा जो असम राज्य में आकर बस गई है और प्रवास के समय गर्भवती थी।
इस कानून के तहत, केवल महिलाओं को ही मातृत्व लाभ मिलता है। पुरुष और वे व्यक्ति जो खुद को अन्य लिंग के साथ पहचानते हैं उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता है। हालांकि, आप अपनी कम्पनी के अन्दर की नीति देख सकते हैं, क्योंकि वह आपको लिंग तटस्थ गर्भावस्था छुट्टी या पितृत्व छुट्टी का लाभ दे सकते हैं।
रोजगार के प्रकार:
नियमित (रेगुलर) कर्मचारी
मातृत्व लाभ सभी स्थायी, अस्थायी और संविदा कर्मचारियों को दिया जाता है, इसलिए किसी भी कर्मचारी को इस लाभ से रोकना या ना देना कानून के खिलाफ है।
कैजुअल/मस्टर रोल कर्मचारी
न्यायालयों ने माना है कि कैजुअल या मस्टर रोल के आधार पर नियुक्त महिला कर्मचारी जो दैनिक वेतन पर हैं, वे भी नियमित कर्मचारियों की तरह मातृत्व छुट्टी पाने की हकदार हैं।
संविदा (कंट्रक्चुअल) कर्मचारी
संविदा कर्मचारियों (यानि कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी) को भी मातृत्व छुट्टी का लाभ दिया जाता है। सभी महिला संविदा कर्मचारी 26 हफ्ते की मातृत्व छुट्टी की हकदार हैं। हालांकि, एक महिला कॉन्ट्रैक्ट की समयसीमा के बाद मातृत्व लाभ का फायदा नहीं ले सकती है।