अगर आपको पता है कि किसी व्यक्ति को, पुलिस या किसी प्राधिकारी ने हवालात में रक्खा है, या गिरफ्तार किया है लेकिन कोई कारण नहीं बता रहा है, तो ऐसे मामलों में, गिरफ्तार व्यक्ति या उसका कोई रिश्तेदार, भारत के किसी भी उच्च न्यायालय में या सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, बंदी प्रत्यक्षीकरण (ह्बीस कॉर्पस) याचिका दायर कर सकता है।
भारत का संविधान हर किसी को न्यायालय से यह निवेदन करने का मौलिक अधिकार देता है कि न्यायालय, गिरफ्तार करने वाले प्राधिकारी को, गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को पेश करने के लिये आदेश करे, और यह भी जाँच करे कि क्या यह गिरफ्तारी वैध है।
इस मौलिक अधिकार का उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और उसे एक ‘हवालात प्राधिकारी’ (डीटेनिंग ऑथोरिटी) की हिरासत में रक्खे रहता है:
- बिना गिरफ्तारी के कारणों के बारे में सूचित किए; या
- अपनी पसंद के कानूनी व्यवसायिक द्वारा बचाव किये जाने के अधिकार से वंचित कर दिया है।
यह मौलिक अधिकार अत्यंत ही व्यापक है। कब बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर किया जा सकता है इसे अधिक समझने के लिए कृपया किसी कानूनी व्यवसायी से बात करें।
सुनिल कुमार
March 3, 2024
मेरा तलाक का केस चल रहा है और मुझेलग रहा है कि मैं निर्दोष हु लेकिन सेना से मेरी यूनिट तारीख पर जाने के लिए मुझे छुट्टी नही दे रहे है।
और कोर्ट ने मुझे अभी ex पार्टी भी बना दिया है और अभी भी छुट्टी नहीं दे रहे है
इस कारण मैं तलाक और दहेज के झूठे केस में दोषी साबित हो रहा हुं और मेरा परिवार और जिंदगी बरबाद हो रही है।
मैंने सभी अधिकारियों से प्रार्थना की है लेकिन कोई नहीं मान रहा है।
क्या मुझे तारीख पर जाने का अधिकार है या नहीं ???
क्या मुझे तारीख पर जाने का अधिकार है या नही
अगर है तो किस प्रावधान के तहत मैं तारीख पर जा सकता हूं।
Pls reply
Alka Manral
June 4, 2024
अगर आपका तलाक केस चल रहा है और सेना से अपनी यूनिट की तारीख पर जाने की छुट्टी नहीं मिल रही है, तो आपको यहाँ का अधिकार है कि आप उस दिन जाएं। सेना के नियमों और कानून के तहत, आपको कानूनी सहायता लेनी चाहिए ताकि आपको इस मामले में सही दिशा में मदद मिल सके। अगर सेना या किसी अन्य अधिकारी ने आपके अधिकारों को अनदेखा किया है, तो आपकी छुट्टी का मामला न्यायालय में उठाया जा सकता है।