आप, ‘भरण-पोषण न्यायधिकरण’ (मेंटीनेन्स ट्रिब्यूनल) में ‘माता पिता और वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण एवं देखभाल’ अधिनियम, 2007 के तहत अर्जी दे सकते हैं। आप अपनी अर्जी उस क्षेत्र के भरण-पोषण न्यायधिकरण में दे सकते है जहाँः
- आप वर्तमान समय में रह रहें हैं, या
- पहले रह चुके हैं, या
- जहां आपकी संतान या रिश्तेदार रहते हैं।
जब आप एक बार ‘माता पिता और वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण एवं देखभाल’ अधिनियम, 2007 के तहत न्यायधिकरण में अर्जी देते हैं तब आप आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 125 के तहत (जो भी आपको अधिकार देता है) भरण-पोषण के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। कृपया याद रखें कि इस संहिता के तहत, मासिक भरण-पोषण की राशि पर कोई उच्चतम सीमा नहीं है जिसकी आप मांग कर सकते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है।
प्रक्रिया
आपके द्वारा अर्जी दिये जाने के बाद (राज्य के आधार पर प्रारूपों में बदलाव होगा) न्यायालय पहले आपके संतानों को सूचित करेगा और उन्हें बतायेगा कि आपने ऐसी अर्जी दायर की है। तब न्यायालय इस मामले को, किसी ‘सुलह समझौता अधिकारी’ को भेज सकता है जो दोनो पक्षों को एक मैत्रीपूर्ण समझौते के लिए सहमत कराने का प्रयास करेगी। अगर न्यायालय इस मामले को वहाँ नहीं भेजती है तो वह दोनों पक्षों (माता-पिता, संताने या रिश्तेदार) की बात सुनेगी।
न्यायालय यह पता लगाने के लिए जांच कराएगी कि आपको अपने भरण-पोषण के लिये कितना दिया जाना चाहिये। हालांकि यह जांच पूरी तरह से कानूनी कार्यवाही नहीं है। कानूनन इन न्यायालयों में वकीलों द्वारा प्रतिनिधित्व की अनुमति नहीं है लेकिन हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि वकीलों के इनके इस अधिकार को सीमित नहीं किया जा सकता। यह न्यायालय स्वभाव से थोड़ा अनौपचारिक है लेकिन इनके पास सिविल कोर्ट की शक्तियां हैं और ये गवाहों की हाजिरी का आदेश दे सकती है, शपथ पर गवाही ले सकती है, इत्यादि।
अगर न्यायालय को पता चलता है कि संताने या रिश्तेदार, माता-पिता की देखभाल करने में लापरवाही कर रहे हैं तो वे उन्हें मासिक भरण-पोषण का भुगतान करने का निर्देश देते हुए आदेश पारित कर सकते हैं। न्यायालय यह भी आदेश दे सकती है कि आवेदन की तारीख से, भरण-पोषण की राशि पर ब्याज (5% से 8% के बीच) अदा किया जाए। अगर आपके संतान या माता-पिता कोर्ट के आदेश के बाद भी भरण-पोषण का भुगतान नहीं कर रहे हैं तो आप इसी तरह की किसी न्यायालय में (‘भरण-पोषण न्यायधिकरण’) जा सकते हैं और उस आदेश को लागू कराने की मदद मांग सकते हैं।