जब कोई भी सरकार के प्रति घृणा या असंतोष या विद्रोह करने का प्रयास करता है, तब उसने देशद्रोह का कार्य किया है। देशद्रोह का कार्य निम्नलिखित तरीकों में से किसी एक के माध्यम से किया जाता है:
-बोले या लिखे गए शब्दों से। -संकेत, वीडियो, चित्र या कार्टून जैसे दृश्यों के चित्रण से।
राजद्रोह के कार्य का परिणाम हिंसा या सार्वजनिक अव्यवस्था हो, या हिंसा या सार्वजनिक अव्यवस्था फैलाने का प्रयास होना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में माना है कि राजद्रोह का कानून केवल वहीं लागू होता है, जहाँ
-एक व्यक्ति किसी हिंसा का कारण बनता है, या -एक व्यक्ति लोगों को हिंसा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
उदाहरण के लिए, एक गाँव के नेता, श्री रामपाल, एक भाषण देते हैं जहाँ वह लोगों को भारत से अलग होने के लिए सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के लिए कहते हैं। इसके चलते सार्वजनिक अव्यवस्था और दंगों होते हैं, और साथ-साथ सरकार के खिलाफ बहुत नफरत पैदा होती है। श्री रामपाल को देशद्रोह का उत्तरदायी माना जायेगा।
एक गतिविधि देशद्रोह तब है, जब आपकी गतिविधि के कारण लोगों के बीच सरकार के प्रति घृणा या अवमानना की अनुभूति होती है। यदि कोई व्यक्ति कहे गए या लिखित शब्दों का, या इशारों का उपयोग करता है, जिसका उद्देश्य लोगों को प्रोत्साहित करना है:
-सरकार के अधिकार की अवहेलना करने के लिये, या -सरकार के अधिकार का विरोध करने के लिये।
ये कार्य लोगों को हिंसा के लिए प्रेरित करे और सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करे।
सार्वजनिक अव्यवस्था या हिंसा के माध्यम से लोगों में, सरकार की अवज्ञा करने या सरकार का विरोध करने का प्रयास भी, देशद्रोह का कार्य हो सकता है।
भारत के संविधान के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के कारण निम्नलिखित कार्य राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आते है:
-सरकार की नीतियों और उनके कार्यों की आलोचना। -सरकार के खिलाफ, सद्भावना से की गई कोई भी आलोचना। -सरकार के कामकाज में सुधार के लिए की गई, कोई भी आलोचना।
दूसरे शब्दों में, सरकार या उसकी एजेंसियों के उपायों या कार्यों पर कड़े शब्दों में टिप्पणी करना सरकार के प्रति बगावत नहीं है। जब तक किसी व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द, लोगों के बीच सरकार के प्रति शत्रुता और द्रोह पैदा नहीं करते, और इसके लिये सार्वजनिक अव्यवस्था या हिंसा का उपयोग नहीं करते, तो यह देशद्रोह का कार्य नहीं है।
उदाहरण 1:
-अगर अमित सरकार में भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए ‘द हिंदू’ अखबार के लिये एक कार्टून बनाते हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहा जायेगा। -यदि कोई फिल्म निर्माता जम्मू-कश्मीर की हिंसा पर एक वृत्तचित्र बनाता है और उसमें सरकार की कार्रवाई की आलोचना करता है, तो वह देशद्रोह नहीं होगा।
उदाहरण 2:
-यदि बॉबी विधान सभा के आम चुनावों का बहिष्कार करने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालय में पोस्टर चिपकाते हैं और लिखते हैं “लोगों का शोषण करने वाले मालिकों के लिए कोई वोट नहीं”, तो यह देशद्रोह नहीं है। -यदि राहुल अपने क्षेत्र में सड़कों के रखरखाव के लिए अपनी फेसबुक वॉल पर सरकार की आलोचना करते हैं, और सरकार के बारे में बुरी बातें कहते हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहलायेगी। -अगर तान्या, बिना किसी उत्तेजना या हिंसा के, या घृणा या हिंसा को उत्तेजित करने का प्रयास किए बिना, सरकार की किसी भी प्रशासनिक या अन्य कार्यवाही के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करती हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहा जायेगा।
उदाहरण 3:
-अगर राज किसी मंच पर, किसी खास समुदाय के साथ चल रहे अन्याय के बारे में उग्र भाषण देते हैं, तो उनका भाषण देना देशद्रोह नही होगा अगर वह किसी हिंसा को नहीं भड़काता है, ना ही किसी सार्वजनिक अव्यवस्था का कारण बनता है। -यदि रामू ने नारा दिया कि “मुझे सरकार से नफरत है, सरकार भ्रष्ट है”, यह देशद्रोह का अपराध नहीं है। अगर यह नारा लोगों के बीच हिंसा के साथ-साथ सरकार के प्रति नफरत फैलाने का काम करता है, तो यह देशद्रोह का अपराध होगा।
एक नागरिक के रूप में, आपको सरकार या उसके कार्यों के बारे में, अखबार, पत्रिका आदि के माध्यम से, आलोचना या टिप्पणी, जो भी पसंद हो, लिखने का अधिकार हैं, जब तक आप लोगों को सरकार के खिलाफ हिंसा के लिए, या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने के लिए उकसाते नहीं हैं। लेखन, वितरण और प्रसार देशद्रोह के कार्यों के भाग हैं। हालाँकि, इनमें से सिर्फ किसी एक कार्य करने से देशद्रोह नहीं हो सकता है। यह न्यायालय द्वारा मामले दर मामले पर तय किया जाता है। यदि इन कार्यों के परिणामस्वरूप लोगों के बीच सार्वजनिक अव्यवस्था या हिंसा पैदा होती है, तो इसके लिए जिम्मेदार लोग इस अपराध के उत्तरदायी होंगे।
उदाहरण: यदि श्री एक्स के पास, सरकार के साथ लड़ने के लिए हिंसा और छापामार बल का उपयोग पर चर्चा करने वाले एक नक्सली संगठन के पर्चे, पुस्तिकाएं और पत्र पाये गये, या वे उसे वितरित करते पाए गए, तो वे राजद्रोह कानून के दोषी हैं। ये दस्तावेज़ स्वयं दिखाते हैं कि ये सरकार के प्रति असंतोष को बढ़ाने के लिए तैयार किए गए दस्तावेज़ हैं।
वैसे परिदृश्य में, जहाँ आप पर देशद्रोह का आरोप लगाया जा रहा है, तब आपके पास की अखबार, किताब या दस्तावेज की हर कॉपी जिसमें राजद्रोही पाठ या सामग्री मौजूद है, सरकार द्वारा जब्त की जा सकती है। विशेष रूप से, कोई भी सामग्री जो आपके पास है उसे भी उस पुलिस अधिकारी द्वारा जब्त की जा सकती है, जिसके पास आपके परिसर और अन्य क्षेत्रों के खोज का अधिकार है और जहाँ उसे संदेह है कि राजद्रोह की सामग्री मौजूद है।
देशद्रोह की सजा तीन साल की जेल है जो जीवन पर्यंत जेल तक बढ़ायी जा सकती है, इसके साथ साथ जुर्माना भी लग सकता है।