मतदान और चुनाव

इस व्याख्या की मदद से आप भारत में मतदान कैसे कर सकते हैं और मतदान प्रक्रिया से जुड़ी अधिक जानकारी पा सकते हैं। 

यह व्याख्या लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, चुनाव संचालन नियम, 1961, भारत का संविधान, 1950 और भारतीय दंड संहिता, 1860 में निर्धारित कानूनों से संबंधित है।

 

मतदान दिवस से 2 दिन पहले

मतदान के दिन से पहले 48 घंटे (2 दिन) के समय में, चुनाव से जुड़े सभी तरह के प्रचार बंद हो जाते हैं – इसे मौन काल भी कहा जाता है। यह कानून विधानसभा और लोकसभा दोनों तरह के चुनावों पर लागू होता है।

कोई भी – चाहे वह आम आदमी, पत्रकार, उम्मीदवार, चुनाव एजेंट, फिल्म अभिनेता, थिएटर कलाकार आदि हो – चुनाव संबंधी कोई भी प्रचार नहीं कर सकता।

मतदान से 48 घंटे पहले निम्नलिखित की अनुमति नहीं है:

अगर कोई भी राजनीतिक पार्टी या उसके सदस्य या उम्मीदवार इस मौन काल में ऊपर बताए गए, किसी भी काम को करते हैं, तो उन्हें 2 साल तक की जेल या जुर्माने की सजा हो सकती है।

लोकसभा चुनाव (आम चुनाव) क्या हैं?

लोकसभा चुनाव के माध्यम से आप संसद सदस्यों (सांसदों) का चुनाव करते हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर आपके निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे।

 

लोकसभा चुनावों में चुने हुए प्रतिनिधि संसद के निचले सदन (लोक सभा) में 5 साल  के लिए चुने जाते  है। 

 

लोकसभा चुनाव यह भी तय करते हैं कि हमारे देश का प्रधानमंत्री कौन होगा। इन चुनावों में जीतने वाली पार्टी तय करती है कि वह किस व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद के लिए नियुक्त करेगी।

 

लोकसभा में हर राज्य का समान प्रतिनिधित्व होता है। एक राज्य में कितने लोग रहते हैं, इसके आधार पर देश में हर राज्य के निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या तय की जाती है। । हर एक  निर्वाचन क्षेत्र में से एक सदस्य को संसद सदस्य के रूप में लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना जाता है।

 

लोकसभा, जिसे लोगों का सदन या संसद के निचले सदन के रूप में भी जाना जाता है, 550 सदस्यों से बनी है जो सभी राज्यों और क्षेत्रों में भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।   

लोकसभा के चुनावों को आम चुनाव के नाम से भी जाना जाता है। 

चुनाव से 48 घंटे पहले जनसभाएं करना

यह कानून ऐसी किसी भी चुनाव का प्रचार करने वाली जनसभा पर रोक लगता है, जो नीचे बताई गई हैंः

  • संगीत कार्यक्रम
  • नाट्य प्रदर्शन
  • जुलूस
  • मनोरंजन के दूसरे तरीके

कोई भी व्यक्ति मतदान की तारीख से 48 घंटे पहले चुनाव से जुड़ी किसी भी जनसभा को बुला या करवा नहीं कर सकता है। साथ ही, इस तरह की जनसभाओं में शामिल और इन्हें संबोधित भी नहीं कर सकता है।

उदाहरण के लिए:

  • कोई भी उम्मीदवार मतदान से 48 घंटे पहले लोगों को इकट्ठा नहीं कर सकते हैं और खुद के लिए वोट भी नहीं मांग सकते हैं।
  • कोई भी नाटक या थिएटर ग्रुप मतदान के दिन किसी राजनीतिक दल की उपलब्धियों (किए गए कामों का) का प्रचार पर नाटक नहीं कर सकती है।

अगर कोई व्यक्ति या उम्मीदवार ऐसा करता है, तो उस व्यक्ति को 2 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

आचार-संहिता (एमसीसी) कब लागू होती है?

चुनाव की  घोषणा होते ही, आचार-संहिता (एमसीसी) लागू हो जाती  है।

लोकसभा चुनावों के लिए, आचार-संहिता तब लागू होती है जब भारत का चुनाव आयोग चुनाव की तारीख की घोषणा करता है और यह सभी निर्वाचन/लोकसभा क्षेत्रों के परिणाम न निकल जाए, तब तक लागू रहती है। 

2024 के आम चुनावों की घोषणा 17 मार्च को हुई थी लिहाज़ा तभी से देश में आचार संहिता लागू हो चुकी है और ये अंतिम परिणाम घोषित होने तक यानी 4 जून 2024 तक लागू रहेगी।

चुनाव से 48 घंटे पहले टेलीविजन और रेडियो पर विज्ञापन

चुनाव पर असर डालने के इरादे से किसी उम्मीदवार का समर्थन या आलोचना करने वाले विज्ञापन या कार्यक्रम या रिपोर्ट को टेलीविजन और रेडियो पर नहीं चला सकते हैं। अगर कोई राजनीतिक दल कुछ ऐसा करता है, जो किसी भी तरह से जनता पर असर नहीं डालता है, तो उस बारे में टीवी पर दिखा और रेडियो पर सुना सकते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर टेलीविजन पर कोई राजनीतिक नेता दूसरे पार्टी के उम्मीदवार का अपमान करते हुए दिखाया जाता है, तो ऐसी चीजों को मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (MCMC) टेलीविजन से हटा देती है।

निर्वाचन क्षेत्र के बाहर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर लाइव कवरेज

अगर मतदान होने वाले निर्वाचन क्षेत्र के बाहर कोई राजनीतिक कार्यक्रम करता है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर लाइव दिखाया जा रहा है तो यह लाइव कवरेज अवैध यानी गलत नहीं है। मगर शर्त यह है कि यह एक आम चर्चा हो, ना कि किसी ऐसे निर्वाचन क्षेत्र या ऐसे उम्मीदवार से जुड़ा, जो 48 घंटे के समय में चुनाव लड़ रहा हो।

अगर निर्वाचन क्षेत्र के अन्दर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टीवी, इंटरनेट, रेडियो) पर ऐसा कोई लाइव प्रोग्राम दिखाया जाता है, तो कार्यक्रम दिखाने वाले उम्मीदवार या पार्टी के नेता को जेल या जुर्माना या दोनों की सजा मिल सकती है।

चुनाव से 48 घंटे पहले शराब पर रोक

चुनाव से 48 घंटे पहले शराब पर रोक होती है। आप इसे ड्राई डे भी कह सकते हैं, क्योंकि इस समय पर शराब की बिक्री पर रोक होती है। ऐसा मतदाताओं को रिश्वत देने से रोकने के लिए किया जाता है। मतदान की तारीख से 48 घंटे पहले शराब की सभी दुकानें बंद होनी चाहिए। राज्य प्रशासन की यह जिम्मेदारी हैं कि पड़ोस के निर्वाचन क्षेत्रों की शराब की दुकानें भी बंद हों।

आचार-संहिता (एमसीसी) के तहत कौन-कौन आता है?

आचार-संहिता (एमसीसी) इन सब पर लागू होती हैः

  1. राजनीतिक  पार्टी पर
  2. उम्मीदवारों पर 
  3. संगठन  पर
  4. समितियां  पर 
  5. निगम/संस्था/नगरपालिका पर
  6. केंद्र या राज्य सरकार द्वारा पूर्ण या आंशिक रूप से वित्त पोषित आयोग पर , जैसेः विद्युत-नियामक आयोग, जल-बोर्ड, परिवहन-निगम, आदि पर।

चुनाव से 48 घंटे पहले सभा और इंटरव्यू करना

चुनाव से 48 घंटे पहले सभा और इंटरव्यू करना मना है। मतदान से 48 घंटे पहले, उम्मीदवार और राजनीतिक दलों का प्रेस कॉन्फ्रेंस और इंटरव्यू में चुनावी मामलों पर मीडिया को कुछ बताना मना है।

आचार-संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन का क्या परिणाम है?

अगर कोई एमसीसी नियमों का उल्लंघन करता है, तो आमतौर पर उसे सजा नहीं होगी। वहीं कुछ ऐसे मामलों में जिसमें एमसीसी का उल्लंघन ‘भारतीय दंड संहिता और लोक प्रतिनिधित्व’ कानून, 1951 के तहत एक अपराध है। ऐसे मामलों को करने वाले व्यक्ति को  जेल  हो सकती है। केवल  एमसीसी का उल्लंघन करने पर, उम्मीदवार को चेतावनी दी जाएगी, लेकिन अगर ऐसा  बार-बार होता है।  तो उस पर जरूरी कार्रवाई के लिए उसकी शिकायत चुनाव अधिकारियों को भेज दी जाएगी। चुनाव अधिकारी जरूरत पड़ने पर उम्मीदवार की उम्मीदवारी को भी ख़त्म कर सकता है। आचार-संहिता के लागू होते ही चुनाव आयोग सबसे जरूरी भूमिका निभाता है, और उसके उल्लंघन को रोकने के लिए हर संभव कार्रवाई करता है। 

चुनाव आयोग के काम के कुछ उदाहरण इस तरह हैं: 

  • चुनाव आयोग सत्ताधारी दल को जीतने पर मदद करने वाले सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगा सकता है। 
  • सत्ताधारी दल को अपने राजनीतिक शक्ति/प्रभाव का इस्तेमाल और टेलीविजन या सिनेमा में उसके एजेंडे को बढाने से रोकता है। 
  • किसी भी उम्मीदवार या पार्टी को ऐसे किसी भी काम को करने से रोकता है,  जिससे आपसी नफरत या जातियों और समुदायों के बीच तनाव पैदा हो । 
  • अगर कोई व्यक्ति ऐसा बयान देता है, जिससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है। तो जिला चुनाव अधिकारी उसके खिलाफ एफ़.आई.आर दर्ज करने का आदेश दे सकता है।