झूठी शिकायत यदि किसी खास मकसद से की गई है, या समिति को फर्जी दस्तावेजों दी गई तो कानून इसे बहुत गंभीरता से लेता है। यदि कोई पीड़िता या उससे संबंधित कोई अन्य व्यक्ति, इनमें से कोई भी कार्य करता है तो उसे कार्यस्थल के सेवा नियमों के आधार पर दंडित किया जा सकता है। अगर कोई सेवा नियमावली नहीं हैं तो उनके खिलाफ की जाने वाली कारवाई समिति द्वारा तय की जा सकती है। सजा के तौर पर अभियुक्त को:
- लिखित माफीनामा देना होगा
- अभियुक्त को चेतावनी दी जायेगी या निंदा की जायेगी
- अभियुक्त की पदोन्नति रुक सकती है
- अभियुक्त की वेतन वृद्धि रुक सकती है
- अभियुक्त को काम से निलम्बित किया जा सकता है
- अभियुक्त को मनोविश्लेषक के पास काउंसलिंग सेशन के लिए भेजना पड़ सकता है
- अभियुक्त को सामुदायिक सेवा करनी पड़ सकती है
यदि कोई पीड़िता समिति को पर्याप्त सबूत देने में असमर्थ है, इसका यह मतलब नहीं है कि उसकी शिकायत झूठी है। समिति को यह पता लगाना होगा कि क्या उसने किसी खास उद्देश्य से झूठी शिकायत की है।
उदाहरण के तौर पर, अगर ईशा रोहित के खिलाफ शिकायत करती हैं लेकिन उसमें न कोई गवाह है, ना ही कोई दस्तावेज, या ना ही कुछ ऐसा दिखता है जिससे लगता है कि उसका यौन उत्पीड़न किया गया है, तो भी उसकी शिकायत को झूठा नहीं माना जायेगा। लेकिन अगर ईशा ने, किसी दोस्त को ईमेल लिखकर यह बताया है कि उत्पीड़न के बारे उसने झूठ बोला है तो उसकी शिकायत को दुर्भावनापूर्ण या झूठा माना जायेगा।