एक अधिवक्ता का अपने मुवक्किलों के प्रति कर्तव्य

आखिरी अपडेट Jul 13, 2022

ऐसे कई कर्तव्य हैं जो एक अधिवक्ता को अपने मुवक्किल के प्रति निभाने होते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार के हैं:

मामलों को स्वीकार करना और मामले को छोड़ देना

एक अधिवक्ता

  • जब तक कि असाधारण परिस्थितियां उपस्थित न हों, वह किसी भी मामले को स्वीकार कर सकता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अगर कोई मुवक्किल आपकी फीस देने के लिए तैयार है, तो अधिवक्ता उस मुवक्किल का मामला लेने से इंकार नहीं कर सकता है, बशर्ते कि वह बहुत व्यस्त न हो। एक अधिवक्ता की फीस उसके पेशेवर प्रतिष्ठा और मामले की प्रकृति पर आधारित होगी।
  • किसी भी मामले को लेने के बाद उससे पीछे नहीं हटना चाहिये। हालांकि, अधिवक्ता पर्याप्त कारण बताकर और मुवक्किल को उचित नोटिस दे कर ऐसा कर सकता है। यदि अधिवक्ता किसी मामले से वापिस हटता है तो उसे कोई भी अनर्जित फीस वापिस करनी होगी।
  • उस मामले को न वो स्वीकार कर सकता है, न उसकी तरफ से उपस्थित हो सकता है, जिसमें उस अधिवक्ता को एक गवाह के तौर पर उपस्थित होना है।

मुवक्किल के प्रति निष्ठा

एक अधिवक्ता को

  • अपने मुवक्किल को, मामले के विपक्ष से जुड़े अपने संबंध, या किसी अन्य हित के बारे में पूर्ण और स्पष्ट रूप से प्रकट करना चाहिये।
  • सभी उचित और सम्मानजनक उपायों से अपने मुवक्किल के हितों की रक्षा करना है। अधिवक्ताओं को इस सिद्धांत के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए और मुवक्किल के अपराध के बारे मे अपनी राय के चलते उसका मामला लेने से नहीं मुकरना चाहिये। मुवक्किल के अपराध के बारे मे अपनी राय के एक तरफ रखकर उन्हें अपने मुवक्किल को बचाना चाहिए।
  • किसी निर्दोष को दंड दिलवाने के लिये काम नहीं करना चाहिये। उदाहरण के लिए, अधिवक्ताओं को ऐसी किसी सामग्री को नहीं छुपानी चाहिए जो किसी आपराधिक मामले में किसी व्यक्ति की बेगुनाही को स्थापित करता हो।
  • केवल मुवक्किल या मुवक्किल के एजेंट के निर्देशानुसार काम करना चाहिये।
  • यदि एक अधिवक्ता ने मुकदमे के किसी भी चरण में एक मुवक्किल को सलाह दी हो, उसके लिये कार्य किया हो, उपस्थित हुआ हो, या बहस किया हो तो वह विरोधी पक्ष की तरफ से न कभी प्रस्तुत हो सकता है, न कभी बहस कर सकता है।

मुवक्किल के हितों की रक्षा करना।

अधिवक्ताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे:

  • कोई फीस मामले के परिणाम के आधार पर निर्धारित न करें। एक अधिवक्ता को उन लाभों को साझा करने के लिए सहमत नहीं होना चाहिए जो लाभ उसके मुवक्किल को उस मामले से प्राप्त होंगे।
  • मुवक्किल के विश्वास का दुरुपयोग न करें, न उससे लाभ उठायें।
  • मुवक्किल द्वारा दिए गए पैसों का स्पष्ट हिसाब रखें।
  • यदि मुवक्किल फीस देने में सक्षम है तो उससे फीस उतने पैसे से कम न लें जिस पर कर लग सकता है।

इनमें से किसी भी कर्तव्य को करने में विफल होने पर एक अधिवक्ता पर व्यावसायिक दुराचार (प्रोफेशनल मिस्कंडक्ट) का अभियोग लगेगा, और एक मुवक्किल अधिवक्ता के विरोध में अपनी शिकायत उपयुक्त फोरम में दर्ज कर सकता है।

Comments

    हेमंत कुमार शर्मा

    November 9, 2023

    राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर प्रेसिडेंट महेंद्र शांडिल्य सेक्रेटरी बलराम जी उनके यहां संगठन का परिचय पत्र का कार्य करते हैं विगत 5 माह से पेमेंट रोक रखा है हमने कार्य बंद कर दिया शर्तों के मुताबिक इन्होंने 5 दिन में पेमेंट करने की वादा किया था लेकिन दो-दो तीन-तीन महीने बाद भी इन्होंने पेमेंट नहीं किया जिसके कारण कार्य बंद करना पड़ा और अभी यह 5 महीने से पेमेंट नहीं कर रहे और कहते हैं जो मर्जी आई वह कर लो नहीं होगा तो उनके विरुद्ध क्या कार्रवाई कर सकते हैं

    Alka Manral

    June 10, 2024

    इस मामले में सबसे पहले बार एसोसिएशन से शिकायत करें और देखें कि क्या यह भुगतान के लिए काम करता है, लेकिन अगर इससे भी मदद नहीं मिलती है तो आप सीमा अवधि के भीतर बीसीआई में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। क्योंकि आख़िरकार वह सत्ता का दुरुपयोग नहीं कर सकताI

    Lokesh sahu

    July 17, 2024

    Yah yah family wale bahut smart hai apne aap ko bahut smart samajh rahe hai Aishwarya Rai Bachchan is family ne kiya hai ab shoshan ho jis prakar ka bhi aap samajhte ho vah shoshan hai usi ki baat kar Raha Hun main. Ab mujhe inke khilaf kaarvayi karvani hai. Aur compromise ka 50 karod….

    Brajendra Kumar Jain

    December 9, 2024

    Nagar Palik Nigam ki ek dukaan jo ki Palika Bazar morena mein Nilami Mein Ashok Kumar Shivhare Ke Naam Se 1985 Mein Allot Huyee, Us Dukaan Ko Brajendra Kumar Jain Ne 1989 Mein Brajendra Kumar Jain Ne Ashok Kumar Shivhare se 4 Bujurgon ke beech mein Dukaan kharidi, In Bujurgon Mein Ashok Kumar Shivhare Ke Taauji, Uaske Pitaji, Wa Mujh Brajendra Kumar Jain Ke Pita Bhi The In Ke Beech Mein Dukaan Ki Dhan Rasi Bhi Dedi Gayee , Aaj Teenon Bujurg Is Duniya Mein Nahin Hain, Ashok Kumar Shivhare Ne Mujh Brajendra Kumar Jain Ko Dukaan Ki chhabi Bhi Dedi . Ashok Kumar Shivhare Dwara 4 Se 5 Din Ka Wayada Notery Karane Ka Kiya, uske wayade Ke Anusar Us Din se Gayab Ho Gaya Ab Usne Dukaan Ki Nottery 2022 Mein Kisi Anya Vyakti Ko Kardi, Mein Brajendra Kumar Jain Ko Pata Chala Tab Mene Court Mein Case File Kiya.Nagar Palik Mein Mujh Brajendra Kumar Jain Ke Dwara Kiraya mere Haste Jama Kiya Gaya Uski Samast Raseede Mere Paas Hai, Wa dukaan Ke Notice Bhi Mere Hi pass Uske naam Se Aate The Jinki Bharpayee Mein Swayam Karata Tha, Mene Dukaan Mein Tent Avam Sound Ka Vyawasaya kar Raha Hoon, Nichali Adalat Se mujhe Stay Order Nahin Mila, Iske Baad Mene DJ Sahab Ki Adalat Mein Apeel Ki Wahan Se Bhi Apeel Kharij Kardee Gayee, Dukaan mein Brajendra Kumar Jain Karyarat Hai, Mene Dukaan Ke Liye Nireekshan Ke Liye Aavedan Bhi Lagaya Hai iska Order 10-12-2024 ko Aane Wala hai, Nagar Nigam Ne Apani File Mein Mujhe Sikami Kirayedar ke Naam Se Bhi Sambodhit Bhi Kiya, Nagar Nigam Ke Anubandh Patra Mein Likha Ki aap Kisi Ko Kiraye Athva Patte Par Nahin denge Anyatha Dukaan Raajsat Ho Jayegi , Ye Bhi Likha Hai Ki dukaan Mein Koi Anya Paya Jata Hai To Nagar Nigam Ko Adhikar Hoga Ki Ashok Kumar Shivhare Se Dukaan wapas Lekar, Jo dukaan Kar Raha Hai Us Se Premium Rashi Jama Karawakar Dukaan Ka Kabja Naye Sire Se Dediya Jayega, Court Ne Nin Dekha Aur Mujhe Stay Dene Se Inkaar Kar Diya Hai Aage Mujhe Karyawahi Karane Ki Salah De

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