ऐसे कई कर्तव्य हैं जो एक अधिवक्ता को अपने मुवक्किल के प्रति निभाने होते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार के हैं:
मामलों को स्वीकार करना और मामले को छोड़ देना
एक अधिवक्ता
- जब तक कि असाधारण परिस्थितियां उपस्थित न हों, वह किसी भी मामले को स्वीकार कर सकता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अगर कोई मुवक्किल आपकी फीस देने के लिए तैयार है, तो अधिवक्ता उस मुवक्किल का मामला लेने से इंकार नहीं कर सकता है, बशर्ते कि वह बहुत व्यस्त न हो। एक अधिवक्ता की फीस उसके पेशेवर प्रतिष्ठा और मामले की प्रकृति पर आधारित होगी।
- किसी भी मामले को लेने के बाद उससे पीछे नहीं हटना चाहिये। हालांकि, अधिवक्ता पर्याप्त कारण बताकर और मुवक्किल को उचित नोटिस दे कर ऐसा कर सकता है। यदि अधिवक्ता किसी मामले से वापिस हटता है तो उसे कोई भी अनर्जित फीस वापिस करनी होगी।
- उस मामले को न वो स्वीकार कर सकता है, न उसकी तरफ से उपस्थित हो सकता है, जिसमें उस अधिवक्ता को एक गवाह के तौर पर उपस्थित होना है।
मुवक्किल के प्रति निष्ठा
एक अधिवक्ता को
- अपने मुवक्किल को, मामले के विपक्ष से जुड़े अपने संबंध, या किसी अन्य हित के बारे में पूर्ण और स्पष्ट रूप से प्रकट करना चाहिये।
- सभी उचित और सम्मानजनक उपायों से अपने मुवक्किल के हितों की रक्षा करना है। अधिवक्ताओं को इस सिद्धांत के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए और मुवक्किल के अपराध के बारे मे अपनी राय के चलते उसका मामला लेने से नहीं मुकरना चाहिये। मुवक्किल के अपराध के बारे मे अपनी राय के एक तरफ रखकर उन्हें अपने मुवक्किल को बचाना चाहिए।
- किसी निर्दोष को दंड दिलवाने के लिये काम नहीं करना चाहिये। उदाहरण के लिए, अधिवक्ताओं को ऐसी किसी सामग्री को नहीं छुपानी चाहिए जो किसी आपराधिक मामले में किसी व्यक्ति की बेगुनाही को स्थापित करता हो।
- केवल मुवक्किल या मुवक्किल के एजेंट के निर्देशानुसार काम करना चाहिये।
- यदि एक अधिवक्ता ने मुकदमे के किसी भी चरण में एक मुवक्किल को सलाह दी हो, उसके लिये कार्य किया हो, उपस्थित हुआ हो, या बहस किया हो तो वह विरोधी पक्ष की तरफ से न कभी प्रस्तुत हो सकता है, न कभी बहस कर सकता है।
मुवक्किल के हितों की रक्षा करना।
अधिवक्ताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे:
- कोई फीस मामले के परिणाम के आधार पर निर्धारित न करें। एक अधिवक्ता को उन लाभों को साझा करने के लिए सहमत नहीं होना चाहिए जो लाभ उसके मुवक्किल को उस मामले से प्राप्त होंगे।
- मुवक्किल के विश्वास का दुरुपयोग न करें, न उससे लाभ उठायें।
- मुवक्किल द्वारा दिए गए पैसों का स्पष्ट हिसाब रखें।
- यदि मुवक्किल फीस देने में सक्षम है तो उससे फीस उतने पैसे से कम न लें जिस पर कर लग सकता है।
इनमें से किसी भी कर्तव्य को करने में विफल होने पर एक अधिवक्ता पर व्यावसायिक दुराचार (प्रोफेशनल मिस्कंडक्ट) का अभियोग लगेगा, और एक मुवक्किल अधिवक्ता के विरोध में अपनी शिकायत उपयुक्त फोरम में दर्ज कर सकता है।
हेमंत कुमार शर्मा
November 9, 2023
राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर प्रेसिडेंट महेंद्र शांडिल्य सेक्रेटरी बलराम जी उनके यहां संगठन का परिचय पत्र का कार्य करते हैं विगत 5 माह से पेमेंट रोक रखा है हमने कार्य बंद कर दिया शर्तों के मुताबिक इन्होंने 5 दिन में पेमेंट करने की वादा किया था लेकिन दो-दो तीन-तीन महीने बाद भी इन्होंने पेमेंट नहीं किया जिसके कारण कार्य बंद करना पड़ा और अभी यह 5 महीने से पेमेंट नहीं कर रहे और कहते हैं जो मर्जी आई वह कर लो नहीं होगा तो उनके विरुद्ध क्या कार्रवाई कर सकते हैं
Alka Manral
June 10, 2024
इस मामले में सबसे पहले बार एसोसिएशन से शिकायत करें और देखें कि क्या यह भुगतान के लिए काम करता है, लेकिन अगर इससे भी मदद नहीं मिलती है तो आप सीमा अवधि के भीतर बीसीआई में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। क्योंकि आख़िरकार वह सत्ता का दुरुपयोग नहीं कर सकताI
Lokesh sahu
July 17, 2024
Yah yah family wale bahut smart hai apne aap ko bahut smart samajh rahe hai Aishwarya Rai Bachchan is family ne kiya hai ab shoshan ho jis prakar ka bhi aap samajhte ho vah shoshan hai usi ki baat kar Raha Hun main. Ab mujhe inke khilaf kaarvayi karvani hai. Aur compromise ka 50 karod….