नियोक्ताओं की जिम्मेदारी

आखिरी अपडेट Sep 25, 2024

सरकार या स्थानीय प्राधिकरण के नियंत्रण वाले संगठनों में, नियोक्ता उस संगठन के कर्मचारियों की देखरेख और नियंत्रण के लिए सरकार या स्थानीय अधिकारियों द्वारा नियुक्त व्यक्ति होते हैं। इन नियोक्ताओं का संगठनों पर आखिरी नियंत्रण होता है। धारा 3(डी), मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के अनुसार, अगर किसी को नियोक्ता नियुक्त नहीं किया जाता है, तो विभाग के प्रमुख या स्थानीय प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को नियोक्ता माना जाएगा। दूसरे सभी मामलों (जैसे निजी संचालित संगठन) में, मैनेजर, मैनिजिंग डायरेक्टर या कोई ऐसा व्यक्ति जिसका संगठन के मामलों पर आखिरी नियंत्रण हो, इन को भी नियोक्ता माना जाता है।

नियोक्ता के काम

नियोक्ता के काम नीचे दिए गए हैंः

  • महिला कर्मचारी को नौकरी में रखते ही नियोक्ताओं को मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत और संगठन के अन्दर उपलब्ध हर मातृत्व लाभ के बारे में बताना होता है।
  • नियोक्ता जानबूझकर किसी महिला को उसके प्रसव, गर्भपात की तारीख से 6 हफ्ते के दौरान काम पर नहीं रख सकता है
  • मातृत्व छुट्टी महिला की डिलीवरी की तारीख से 6 हफ्ते पहले शुरू होती है। हालांकि, अगर वह चाहे, तो यह 6 हफ्ते से एक महीने पहले से भी शुरू करवा सकती है। गर्भावास्था के दौरान, नियोक्ता उसे भारी काम नहीं दे सकता है, जो उसकी सेहत पर बुरा प्रभाव डाले।
  • नियोक्ता मातृत्व छुट्टी के दौरान, महिलाओं को नौकरी से निकाल नहीं सकते हैं।
  • नियोक्ता मातृत्व लाभ की योग्य महिला को भुगतान करने से मना नहीं कर सकता है।

नियोक्ताओं के लिए दंड (सजा)

बर्खास्तगी या मातृत्व लाभ न देने पर
अगर कोई नियोक्ता आपको मातृत्व लाभ का भुगतान नहीं करता है या मातृत्व छुट्टी के दौरान आपको काम से निकाल देता है, तो उस नियोक्ता को एक साल की जेल और पांच हजार रुपये तक के जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है।

दूसरी तरह के उल्लंघन के लिए सजा
अगर कोई नियोक्ता मातृत्व लाभ अधिनियम का उल्लंघन करता है, तो उसे एक साल तक की कैद या पांच हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है।

निरीक्षक (इंस्पेक्टर) के काम में बाधा डालने पर
अगर कोई नियोक्ता या कोई दूसरा व्यक्ति इंस्पेक्टर को उसका काम करने से रोकता है, तो उसे एक साल तक की कैद, या पांच हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है। अगर आपको लाभ लेने में या इसे जुड़ी कोई दूसरी परेशानी हो रही है, तो आपको शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। इस बारे में और पढ़ें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

क्या आपके पास कोई कानूनी सवाल है जो आप हमारे वकीलों और वालंटियर छात्रों से पूछना चाहते हैं?

Related Resources

नियोक्ता की जिम्मेदारी

कार्यस्थल कानून के तहत किसी नियोक्ता को महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य माहौल बनाने के लिए कुछ कदम उठाने होते हैं।

ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंकों की जिम्मेदारी

बैंकों को अपने ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के लिए अनिवार्य रूप से एसएमएस अलर्ट के लिए पंजीकरण करने के लिए कहना चाहिए।

ग्राहक दायित्व

ग्राहक को किसी तीसरे पक्ष के साथ भुगतान क्रेडेंशियल प्रकट नहीं करना चाहिए। यदि कोई ग्राहक ऐसा करता है तो लापरवाह के कारण देनदारी बढ़ जाएगी।

उपभोक्ता अधिकारों के उल्‍लंघन के लिए दंड

उपभोक्ता अधिकारों के उल्‍लंघन के लिए किसी व्यक्ति या संस्था को दंडित करने की शक्ति केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के पास होती है।

उपभोक्ता शिकायतों के प्रकार

उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत प्रत्येक व्यक्ति को निम्नलिखित प्रकार की उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने का अधिकार है |

उपभोक्ता शिकायत मंच

उपभोक्ता संरक्षण कानून संबद्ध प्राधिकरणों को निर्दिष्‍ट करता है कि कोई उपभोक्ता-अधिकारों का उल्‍लंघन होने पर उनसे संपर्क कर सकता है।