पीड़िताओं को चिकित्सा संस्थानों (सार्वजनिक और निजी (प्राइवेट) दोनों) से तत्काल और मुफ्त प्राथमिक चिकित्सा या चिकित्सा उपचार प्राप्त करने का अधिकार है। संस्था को आपराधिक घटना के बारे में पुलिस को भी सूचित करना चाहिए। यदि संस्था उपचार प्रदान करने और पुलिस को सूचित करने से इनकार करती है, तो संस्था के प्रभारी व्यक्ति को 1 वर्ष तक के कारावास और/या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
आपराधिक घटना की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर पुलिस पीड़िता को चिकित्सकीय परीक्षण के लिए अधिकृत चिकित्सक के पास भेजती है। चिकित्सा परीक्षण केवल पीड़िता या उसकी ओर से सहमति देने वाले किसी व्यक्ति की सहमति से हो सकता है। सहमति प्राप्त करने के बाद, डॉक्टर तुरंत पीड़िता की जांच करता है और पीड़िता के चोटों, मानसिक स्थिति आदि के बारे में निष्कर्ष के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है। रिपोर्ट में यह भी दर्ज किया जाता है कि सहमति प्राप्त की गई थी, और चिकित्सा परीक्षण शुरू होने एवम् अंत होने तक का निश्चित समय लिखा जाता है। डॉक्टर तुरंत संबंधित पुलिस अधिकारी, जो मामले की जांच कर रहा है, को चिकित्सा रिपोर्ट भेजता है और फिर अधिकारी उसे आगे मजिस्ट्रेट को भेजता है।