कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के सभी मामलों के लिए कानून एक ही तरह की सजा नहीं होती है। इसके बजाय, जांच करने वाली समिति यह सिफारिश करेगी कि पीड़िता के नियोक्ता के पास यदि अपने कार्यस्थल का ‘सेवा नियमावली’ है, तो वे उसके मुताबिक काम करे। अगर आपके पास ‘कर्मचारी हैंडबुक’ है तो उसे देखे कि आपका नियोक्ता यौन उत्पीड़क को कैसे दंडित करता है। यदि कार्यस्थल का ‘सेवा नियमावली’ नहीं हैं तो समिति सिफारिश करेगी कि जिला अधिकारी कार्रवाई करे। सजा के रूप में एक अभियुक्त को:
- लिखित माफीनामा देना होगा -बढ़ोतरी / पदोन्नति / वेतन वृद्धि से इंकार कर दिया जायेगा
- सामुदायिक सेवा करनी होगी
- चेतावनी दी जाय या निंदा की जाय
- काम से निलम्बित कर दिया जाय -काउंसेलिंग करवानी होगी
कार्यस्थल पर ‘सेवा नियमावली’ हो या नहीं, समिति यह भी सिफारिश कर सकती है कि नियोक्ता अभियुक्त के वेतन/मजदूरी से एक निश्चित राशि काट ले ताकि प्रताड़ित होने वाली महिला को मुआवजा अदा किया जा सके। यदि नियोक्ता अभियुक्त के वेतन से पैसा नहीं ले सकता क्योंकि वे काम नहीं कर रहे हैं या काम छोड़ चुके हैं तो समिति अभियुक्त को सीधे पीड़िता को मुआवजा देने का आदेश दे सकती है। अगर अभियुक्त ने मुआवजे का भुगतान नहीं किया तो समिति जिला अधिकारी से कह सकती है कि वह अभियुक्त से मुआवजे की राशि वसूल करे।