नैदानिक मनोवैज्ञानिक के कुछ कर्तव्य नीचे दिए गए हैं:
अपनी सेवाओं का विज्ञापन करना
एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक को निम्नलिखित बातें नहीं करनी चाहिए:
- किसी भी विकलांग व्यक्ति को काम के लिये याचना, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करना। इसमें विज्ञापन, परिपत्र (सर्कुलर), हैंड-बिल आदि शामिल हैं। हालांकि, नैदानिक मनोवैज्ञानिक औपचारिक रूप से प्रेस के माध्यम से, अपना पेशा शुरू करने / पुनः शुरू करने, पेशे में परिवर्तन, पते में परिवर्तन, पेशे के समापन, और पेशे से अस्थायी अनुपस्थितियों के बारे में घोषणा कर सकते हैं।
- वे अपने योग्यताओं का प्रदर्शन साइन बोर्ड, लेटर हेड पैड, पर्ची, विजिटिंग कार्ड, प्रमाण पत्र, रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों पर सकते हैं, जिस पर मनोवैज्ञानिक के हस्ताक्षर होते हैं। पंजीकरण प्रमाण पत्र को स्पष्ट रूप से पेशे के स्थान पर दिखाया जाना चाहिए।
- मनोवैज्ञानिक को अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र के अलावे, किसी भी अन्य क्षेत्र में पेशा नहीं करना चाहिये।
शुल्क और भुगतान
नैदानिक मनोवैज्ञानिकों को अत्यधिक शुल्क नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा, एक मनोवैज्ञानिक को ‘जब तक इलाज नहीं, तब तक भुगतान नहीं’ के सौदे में नहीं जाना चाहिए।
मरीजों का विवरण
नैदानिक मनोवैज्ञानिकों को मरीजों के विवरण, उन्हें दी गई प्रेसक्रिप्शन, शुल्क आदि का एक रजिस्टर में बनाए रखना चाहिए।
इसके अलावा, नैदानिक मनोवैज्ञानिकों का कर्तव्य है कि वे गोपनीयता बनाए रखें। इसमें उनके मरीज के मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपचार और शारीरिक स्वास्थ्य देखभाल आदि की गोपनीयता के बारे में जानकारी शामिल है।
मरीजों का इलाज और देखभाल
एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक को विकलांग लोगों के पुनर्वास या उपचार का कार्य नियमित और आवश्यक अंतराल पर, या उचित समय पर करना चाहिए। हालांकि, उन्हें निम्नलिखित चीजें नहीं करनी चाहिए:
- विकलांग व्यक्तियों के साथ किसी भी बीमारी की अवधि या उसकी तीव्रता के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बताना।
- मरीज के साथ किसी भी अनुचित गतिविधि या कोई अनुचित संबंध में शामिल होना।
- विकलांग व्यक्ति के साथ कठोर और असभ्य भाषा का प्रयोग करना।
- विकलांग व्यक्ति की परिस्थिति का अनुचित लाभ उठाना।
- किसी भी विकलांग व्यक्ति की जानबूझकर उपेक्षा करना।
- किसी भी तरह का लाभ विकलांगता से पीड़ित लोगों से उठाने का प्रयास करना।
इन कर्तव्यों का उल्लंघन ‘दुराचार’ (मिसकंडक्ट), के रूप में माना जाएगा और भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा उस मनोवैज्ञानिक को अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए उत्तरदायी बना सकता है।