राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के विज्ञापन का माध्यम ‘रेडियो’ भी है और ‘मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति’ (एम.सी.एम.सी) सभी जिलों और राज्य में हरेक रेडियो पर प्रसारित गतिविधियों की निगरानी करती है। वे एफ.एम. चैनलों पर प्रसारित होने वाले सभी राजनीतिक दलों के रेडियो जिंगल की निगरानी करते हैं ताकि यह पता लगाने के लिए उचित कदम उठाया जा सके कि क्या वे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन तो नहीं कर रहे हैं। रेडियो जिंगल के कंटेंट को किसी भी रूप में,
- राजनेताओं के निजी जीवन की आलोचना नहीं करनी चाहिए।
- धार्मिक समुदायों पर हमला नहीं करना चाहिए। · अश्लील/अभद्र और अपमान सूचक नहीं होना चाहिए।
- हिंसा नहीं भड़काना चाहिए।
- भारत की अखंडता, एकता और संप्रभुता को प्रभावित नहीं करना चाहिए।
उन एफ.एम. चैनलों पर नज़र रखने के लिए एक रजिस्टर मेन्टेन किया जाता है जिसमें चैनलों का नाम और संख्या विशेष रूप से दर्ज की जाती है। प्रत्येक एफ.एम. चैनल को 30 मिनट के स्लॉट में सुनने के लिए दो अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। उदाहरण के लिए, यदि कोई राजनीतिक दल किसी दूसरे दल या उम्मीदवार का मजाक उड़ा रहा है, तो एम.सी.एम.सी. उसे हटाने या वापस लेने का आदेश देगी।