चुनाव प्रचार के दौरान रेडियो विज्ञापनों को कैसे नियंत्रित किया जाता है?

आखिरी अपडेट Sep 26, 2022

राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के विज्ञापन का माध्यम ‘रेडियो’ भी है और ‘मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति’ (एम.सी.एम.सी) सभी जिलों और राज्य में हरेक रेडियो पर प्रसारित गतिविधियों की निगरानी करती है। वे एफ.एम. चैनलों पर प्रसारित होने वाले सभी राजनीतिक दलों के रेडियो जिंगल की निगरानी करते हैं ताकि यह पता लगाने के लिए उचित कदम उठाया जा सके कि क्या वे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन तो नहीं कर रहे हैं। रेडियो जिंगल के कंटेंट को किसी भी रूप में,

  • राजनेताओं के निजी जीवन की आलोचना नहीं करनी चाहिए।
  • धार्मिक समुदायों पर हमला नहीं करना चाहिए। · अश्लील/अभद्र और अपमान सूचक नहीं होना चाहिए।
  • हिंसा नहीं भड़काना चाहिए।
  • भारत की अखंडता, एकता और संप्रभुता को प्रभावित नहीं करना चाहिए।

उन एफ.एम. चैनलों पर नज़र रखने के लिए एक रजिस्टर मेन्टेन किया जाता है जिसमें चैनलों का नाम और संख्या विशेष रूप से दर्ज की जाती है। प्रत्येक एफ.एम. चैनल को 30 मिनट के स्लॉट में सुनने के लिए दो अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। उदाहरण के लिए, यदि कोई राजनीतिक दल किसी दूसरे दल या उम्मीदवार का मजाक उड़ा रहा है, तो एम.सी.एम.सी. उसे हटाने या वापस लेने का आदेश देगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

क्या आपके पास कोई कानूनी सवाल है जो आप हमारे वकीलों और वालंटियर छात्रों से पूछना चाहते हैं?

Related Resources

ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंकों की जिम्मेदारी

बैंकों को अपने ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के लिए अनिवार्य रूप से एसएमएस अलर्ट के लिए पंजीकरण करने के लिए कहना चाहिए।

शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया

इस सबके बावजूद, शिकायत का समाधान न होने पर, आप उपभोक्ता मंचों से संपर्क हेतु किसी वकील की मदद ले सकते हैं।

उपभोक्ता शिकायतों के प्रकार

उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत प्रत्येक व्यक्ति को निम्नलिखित प्रकार की उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने का अधिकार है |

उपभोक्ता शिकायत मंच

उपभोक्ता संरक्षण कानून संबद्ध प्राधिकरणों को निर्दिष्‍ट करता है कि कोई उपभोक्ता-अधिकारों का उल्‍लंघन होने पर उनसे संपर्क कर सकता है।

विवाद निपटान तंत्र के रूप में मध्यस्थता

मध्यस्थता एक आउट-ऑफ-कोर्ट समझौता है जहां पार्टियां कार्यवाही के तरीके को तय कर सकती हैं। यह विवादों के शीघ्र निपटारे में मदद करता है।

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ क्रूर और अपमानजनक अत्याचार

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ किए गए निम्न में से किसी भी अपराध को कानून ने अत्याचार माना हैछ
citizen rights icon